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दस सेकंड में विस्फोटक का पता लगा सकता है ‘नैनोस्निफर’ उपकरण

दस सेकंड में विस्फोटक का पता लगा सकता है ‘नैनोस्निफर’ उपकरण
, मंगलवार, 13 अप्रैल 2021 (12:05 IST)
नई दिल्ली, देश में आतंकी खतरों को देखते हुए अक्सर हवाईअड्डों, रेलवे और मेट्रो स्टेशनों को हाई-अलर्ट कर दिया जाता है। उस दौरान सामान्य नागरिक को कई समस्याओं का सामना करना पडता है।

ऐसी स्थिति में, लोगों और उनके सामान की तेजी से जांच के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे की स्टार्टअप कंपनी ‘नैनोस्निफ टेक्नोलॉजी’ ने माइक्रो-सेंसर तकनीक पर आधारित एक्सप्लोसिव ट्रेस डिटेक्टर ‘नैनोस्निफर’ बनाया है।

‘नैनोस्निफर’ के निर्माण के लिए ‘नैनोस्निफ टेक्नोलॉजी’ ने ‘वेहांत टेक्नोलॉजी’ के साथ साझेदारी की है। ‘वेहांत टेक्नोलॉजी’ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली का स्टार्टअप है।

वेहांत टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित भौतिक सुरक्षा, निगरानी एवं यातायात निगरानी और जंक्शन एनफोर्समेंट सॉल्यूशन्स में एक अग्रणी कंपनी है। ‘नैनोस्निफर’ 10 सेकंड से भी कम समय में विस्फोटक का पता लगा सकता है। यह अलग-अलग तरह से बने विस्फोटकों- जैसे सैन्य, पारंपरिक और घर में बने विस्फोटकों का पता आसानी से लगा सकता है, और उन्हें उसी अनुरूप वर्गीकृत भी कर सकता है। ‘नैनोस्निफर’ आवाज और दृश्य दोनों रूप से अलर्ट देता है।

केन्द्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक ने ‘नैनोस्निफर’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह अनुसंधान, विकास और निर्माण के क्षेत्र में पूर्णतः ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद है। हालांकि, नैनोस्निफर की मूल तकनीक अमेरिका और यूरोप में पेटेंट द्वारा संरक्षित है।

उन्होंने कहा कि यह किफायती उपकरण आयातित विस्फोटक ट्रेस डिटेक्टर उपकरणों पर हमारी निर्भरता को कम करेगा। उन्होंने कहा कि आईआईटी, बॉम्बे और आईआईटी, दिल्ली अपनी स्टार्टअप कंपनियों के साथ मिलकर देश की सुरक्षा के लिए उन्नत और सस्ते स्वदेशी उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं। यह शिक्षा और उद्योग के सहयोग का एक बेहतर उदाहरण है, जो भारत में अन्य स्टार्टअप के लिए एक आदर्श बनेगा।

‘नैनोस्निफर’ की मदद से न केवल पुलिस, सुरक्षा बल और सैन्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि नागरिक उड्डयन को भी एक नया सुरक्षा कवच मिलेगा। इस उत्पाद की मदद से विस्फोटक के छोटे-छोटे अंश का भी पता लगाया जा सकता है।

‘नैनोस्निफर’ ने भारतीय रक्षा अनुसंधान (डीआरडीओ) की पुणे स्थित उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) में हुए परीक्षण को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) द्वारा भी इसका परीक्षण किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

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