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गुजरात में कैसे रुकी BJP की हैट्रिक, कैसे कांग्रेस की गनीबेन बनीं बनास की बेन?

गुजरात में कैसे रुकी BJP की हैट्रिक, कैसे कांग्रेस की गनीबेन बनीं बनास की बेन?
, बुधवार, 5 जून 2024 (19:53 IST)
- हरीश चौकसी 
 
Lok Sabha Election 2024 Results : इस बार गुजरात लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम आया है। चुनाव से पहले भाजपा ने राज्य में जो जबरदस्त प्रचार अभियान चलाया था, तब ऐसा लग रहा था कि इस बार बीजेपी को हैट्रिक मिलेगी। हर उम्मीदवार भारी बढ़त के साथ चुनाव जीतेगा। लेकिन, बनासकांठा में कांग्रेस की गनीबेन की जीत के बाद बीजेपी का सपना टूट गया। 
कांग्रेस शुरू से ही टूटी हुई थी। विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सभी सीटें जीतने का भरोसा था, लेकिन यह भरोसा ओवर कॉन्फिडेंस में बदल गया। दूसरी ओर, कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज भाजपा में शामिल हो रहे थे और उन्हें पदों का ताज मिल रहा था। इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं में भी असंतोष फैल गया। बात यहीं नहीं रुकी, बीजेपी नेताओं के खिलाफ जनता की नाराजगी और क्षत्रिय आंदोलन के कारण मतदान प्रतिशत घट गया और बीजेपी को बढ़त की चिंता सताने लगी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पास खोने के लिए कुछ नहीं था। अगर उन्हें एक भी सीट मिल जाती तो उनके लिए बड़ा ताज होता। परिणामस्वरूप, गुजरात में क्षत्रिय आंदोलन का बहुत कम प्रभाव पड़ा, लेकिन इस चुनाव में वोट शेयर बढ़ने से कांग्रेस को कुछ ताकत मिली।
गनीबेन बनासकांठा में स्थानीय उम्मीदवार थीं और रेखाबेन को बनास डेयरी के कारण ही मैदान में उतारा गया था। स्थानीय स्तर पर बीजेपी नेताओं की गुटबाजी और बनास डेयरी की राजनीति बड़ा खेल खेल सकती थी, जिसमें गनीबेन आसानी से चल पा रही थीं। इसके बावजूद लोग कह रहे हैं कि रेखाबेन चौधरी को प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मिला है। गनीबेन ने अकेले दम पर जीत हासिल की और कांग्रेस को पुनर्जीवित किया। साथ ही 62 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि बनासकांठा सीट से कोई महिला सांसद चुनी गई है। 1962 में जोहराबेन चावड़ा बनासकांठा सीट से निर्वाचित हुई थीं। 
 
कितने नेताओं को मिली 5 लाख की बढ़त : गुजरात में बीजेपी द्वारा दिया गया 5 लाख लीड का लक्ष्य इस बार पूरा हो गया है। राजकोट सीट से उम्मीदवार रूपाला भले ही भारी अंतर से जीत गए हों, लेकिन उनके बयान से क्षत्रिय नाराज हो गए और उन्होंने बीजेपी के पक्ष में वोट करने से परहेज किया। इसके अलावा राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कुछ कार्यकर्ताओं में असंतोष के कारण भी बीजेपी की बढ़त कम हुई है। 
 
इस बार गांधीनगर से गृहमंत्री अमित शाह 7.68 लाख की बढ़त के साथ जीते हैं। उधर, नवसारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने 7.44 लाख की बढ़त के साथ जीत हासिल की। वहीं, राजपाल सिंह जादव ने पंचमहल सीट से 5 लाख की बढ़त के साथ जीत हासिल की है। इनके अलावा वडोदरा सीट पर बीजेपी में आंतरिक गुटबाजी पैदा हो गई और रंजनबेन के चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद डॉ. हेमांग जोशी को बीजेपी ने मैदान में उतारा। हेमांग जोशी को 8.73 लाख वोट मिले और उन्होंने 5.82 लाख की बढ़त के साथ जीत हासिल की। भावनगर से निमुबेन बंभनिया ने 4 लाख की बढ़त के साथ, राजकोट से परषोत्तम रूपाला ने 4.80 लाख की बढ़त के साथ और अहमदाबाद पूर्व सीट से हसमुख पटेल ने 4.61 लाख की बढ़त के साथ जीत हासिल की है।
4 लाख से कम की लीड : अमरेली से भरत सुतारिया को 3.21 लाख, खेड़ा से देवुसिंह चौहान को 3.57 लाख, दाहोद से जसवन्त भाभोर को 3.33 लाख, छोटा उदेपुर से जसवन्त सिंह राठवा को 3.97 लाख। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया पोरबंदर से 3.80 लाख वोटों से चुनाव जीत गए हैं। इसके अलावा पाटन से बीजेपी उम्मीदवार भरतसिंह डाभी 29 हजार वोटों से, आनंद से मितेश पटेल 89 हजार वोटों से और भरूच से मनसुख वसावा 85 हजार वोटों से चुनाव जीते हैं।

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