- कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुए अध्ययन से खुलासा
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जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहा है लू का खतरा
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SDG प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को किया बाधित
Heat Wave Threat in India : जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में 'लू' लगातार और भी खतरनाक होती जा रही है। देश का 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर लू का खतरा मंडरा रहा है। गर्म हवाएं 80 फीसदी आबादी के लिए खतरा पैदा करने लगी है।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन के मुताबिक भारत का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा और पूरी दिल्ली लू के प्रभावों के 'खतरे के क्षेत्र' में है। अध्ययन में कहा गया है कि 'लू' ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को पहले की तुलना में ज्यादा बाधित किया है।
उल्लेखनीय है कि साल 2015 में पेरिस जलवायु समझौता हुआ था, जिसमें 200 देशों ने इस ऐतिहासिक जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, इस समझौता का मकसद था दुनिया में हो रही तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से कम रखना। इसके साथ ही यह तय करना कि यह पूर्व औद्योगिक समय की तुलना में सदी के अंत तक 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फारेनहाइट) से ज्यादा न हो। रिपोर्ट में शामिल 200 से ज्यादा लेखक पांच परिदृश्यों पर नजर बनाए हुए हैं और उनका मानना है कि किसी भी स्थिति में दुनिया 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के आंकड़े को पार कर लेगी। यह आशंका पुराने पूर्वानुमानों से काफी पहले है।
आईएमडी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में और ओडिशा के बारीपदा में अधिकतम तापमान 44.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, मध्यप्रदेश के खजुराहो में सबसे ज्यादा 44.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। गत आठ दिनों से पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदान के कुछ इलाकों में लू चल रही है। वहीं, आंध्रप्रदेश में गत छह दिन से, बिहार में गत पांच दिन से और पंजाब व हरियाणा में गत दो दिन से लू का प्रकोप है।
क्या है हीट वेव : मौसम विभाग के मुताबिक देश के मैदानी इलाकों, तटीय क्षेत्रों और पर्वतीय इलाकों में जब अधिकतम तापमान 40, 37 और 30 डिग्री पहुंचता है तो हिट वेव जैसे हालात पैदा होते हैं। हीट वेव में तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है। वहीं अगर तापमान थोड़ा और बढ़ जाए तो उस प्रचंड हीट वेव कहा जाता है।
गर्मियों में क्यों लगती है लू : गर्मियों के मौसम में लू चलना आम बात है और 'लू' (Loo) गर्मी के मौसम की बीमारी है। 'लू' लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने के रूप में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है।
इसके साथ ही कई और कारण भी हैं, जैसे- शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाना, घर से भूखे पेट निकलकर धूप में अधिक देर तक घूमना, धूप से आने के तुरंत बाद एकदम ठंडा पानी पी लेना, अचानक शरीर में नमक की मात्रा का घट जाना, धूप में लगातार काम करते रहना आदि।
लू लगने पर क्या करें :
- यदि लू लगने के कारण बुखार तेज होने लगे तो रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाएं।
- लू लगने पर डॉक्टर को दिखाने के पूर्व कुछ प्राथमिक उपचार करने पर भी लू के रोगी को राहत महसूस होने लगती है। यदि ऐसा नहीं हो रहा हो तो तत्काल योग्य डॉक्टर को दिखाए और उपचार लें।
- बुखार 104 डिग्री से अधिक होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए।
- प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए। बर्फ का पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है।
- रोगी के शरीर को दिन में 4-5 बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए।
लू से बचने के लिए क्या करें :
- अचानक ठंडी जगह से एकदम गर्म जगह ना जाएं। खासकर एसी में बैठे रहने के बाद तुरंत धूप में ना निकलें।
- कच्चा प्याज रोज खाएं। धूप में निकलने पर अपने पॉकेट में छोटा सा प्याज रखें यह लू शरीर को लगने नहीं देता और सारी गर्मी खुद सोख लेता है।
- गर्मी में सफेद या हल्के रंग के कॉटन कपड़े पहनें।
- धूप में निकलने पर सिर अवश्य ढकें। आंखों पर सनग्लासेस लगाएं।
- अधिक गर्मी में मौसमी फल, जलजीरा, लस्सी, फल का रस, दही, मठ्ठा, जीरा छाछ, आम का पना पिएं या आम की चटनी खाएं।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। जिससे पसीना आकर शरीर का तापमान नियमित निर्धारित हो सके तथा शरीर में जल की कमी न हो सके।
- गर्मी के मौसम में खुले शरीर धूप में न निकलें।