दिल्ली। चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा में एक चरण में चुनाव कराने का फैसला किया। दोनों ही राज्यों में एक साथ 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 24 अक्टूबर को मतगणना होगी। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा शासित इन दोनों राज्यों में होने वाले चुनाव काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे है। दोनों ही राज्यों के चुनाव परिणाण के नतीजे नरेंद्र मोदी सरकार के पहले 100 दिन के कामकाज पर मुहर भी लगाएंगे।
चुनाव आयोग की तारीखों के एलान के साथ ही दोनों ही राज्यों में चुनावी बिगुल फूंक गया है। चुनाव की तारीखों के एलान के बाद अब बात उन मुद्दों की होने लगी है जिसके आसपास दोनों ही राज्यों में पूरा चुनाव प्रचार केंद्रित होगा।
1.अनुच्छेद 370 और कश्मीर का मुद्दा – लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस तरह ताबड़तोड़ फैसले लिए वह सभी फैसले इस बार चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनने जा रहे है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और उसके बाद कश्मीर के हालात इन चुनाव में विशेष मुद्दा होगा। भाजपा जहां वोटरों के बीच इस नरेंद्र मोदी और भाजपा की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए वोटरों को अपनी ओर रिझाने की पूरी कोशिश करेगी, वहीं विपक्ष कश्मीर के हालात को लेकर भाजपा पर हमलावर होने की कोशिश करेगी।
2.राष्ट्रवाद – विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा फिर गर्म होगा। चुनाव की तारीखों के एलान के ठीक पहले अपनी प्रेस कॉफेंस में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एलान कर दिया है कि राष्ट्रवाद इस बार चुनाव में मुख्य मुद्दा होगा। दूसरी ओर महाराष्ट्र में चुनावी शंखनाद के लिए पहले पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नसिक में हुई रैली में विपक्ष के नेताओं को पाकिस्तान सरपस्त बताते हुए चुनावी एजेंडा सेट कर दिया है। विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान से लेकर राष्ट्रवाद का मुद्दा जोर शोर से उठाकर वोटरों के ध्रुवीकरण करने की कोशिश होगी।
3.आर्थिक मंदी और बेरोजगारी का मुद्दा – महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी का मुद्दा भी जमकर गूंजेगा। विपक्ष एक सुर में भाजपा को घेरने के लिए जोर शोर से आर्थिक मंदी और उसके चलते लोगों क बेरोजगार होने का मुद्दा जोर शोर से उठाने की तैयारी में है। चुनाव की तारीखों के एलान के बाद हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने एलान कर दिया है कि हरियाणा के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का मुद्दा और युवाओं के सामने नौकरी का संकट मुख्य होगा। इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को कठघरे में खड़ा करते हुए इस चुनाव में मुख्य मुद्दा बता दिया।
4.किसानों का मुद्दा – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसानों का मुद्दा खूब जोर शोर से उठेगा। महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके और मराठवाड़ा में सूखे और अकाल के चलते किसानों की खुदकुशी और उनको मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा भी उठेगा। पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देंवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले जो रथ यात्रा की थी उसमें भी किसानों का मुद्दा जोर शोर से छाया रहा। पहले सूखे और बाद में मध्य महाराष्ट्र में बाढ़ के चलते हुई बर्बादी भी मुख्य मुद्दा रहेगी। इसके साथ ही हरियाणा में भी किसानों की बदहाली की मुद्दा गूंजेगा। चुनाव में भाजपा किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ी करके इस पर कांग्रेस पर हमलावर होगी।
5. NRC और आरक्षण का मुद्दा – महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में NRC और मराठा आरक्षण का मुद्दा भी जोर शोर से उठेगा। महाराष्ट्र में स्थानीय और बाहरी के मुद्दें पर पहले से ही सियासत गर्म है वहीं चुनाव की तारीखों के एलान के ठीक पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने NRC का मुद्दा छेड़ कर नई बहस छेड़ दी है।