वाराणसी। वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मस्जिद के वजूखाने से मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग से इनकार कर दिया। अदालत ने हिंदू पक्ष की कार्बन डेटिंंग संंबंधी याचिका खारिज कर दी।
जिला न्यायाधीश डॉ. एके विश्वेश ने 'शिवलिंग' को सुरक्षित रखने और उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करने से जुड़े उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए 'शिवलिंग' की वैज्ञानिक जांच और कार्बन डेटिंग की मांग करने वाली हिंदू याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज कर दिया। हिंदू पक्ष ने फैसले के बाद कहा कि ऑर्डर की कॉपी देखने के बाद हाईकोर्ट में अपील का फैसला करेंगे।
गौरतलब है कि 5 हिंदू पक्षों में से 4 ने कथित 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जो कि वजूखाना के पास मस्जिद परिसर से अदालत-अनिवार्य वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान मिली थी। 'वजूखाना' एक छोटा जलाशय है जिसका उपयोग मुस्लिम नमाज़ अदा करने से पहले वजू (हाथ पैर धोने आदि) करने के लिए करते हैं।
इससे पहले ज्ञानवापी परिसर के वीडियोग्राफी—सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने से मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण की मांग से जुड़े मामले पर वाराणसी की जिला अदालत ने 11 अक्टूबर को अपना फैसला 14 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था।
जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रताप पांडेय ने बताया था कि ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण को लेकर सात अक्टूबर को हिन्दू पक्ष ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया था कि वजूखाने में मिला शिवलिंग उनके वाद का हिस्सा है। हिन्दू पक्ष के स्पष्टीकरण पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने अदालत से कहा था कि परिसर में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग नहीं कराई जा सकती। उन्होंने कहा कि दूसरा, हिन्दू पक्ष तोड़—फोड़ की बात कर रहा है, जिससे आकृति नष्ट हो सकती है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उसे संरक्षित रखने का आदेश दिया है। अगर कार्बन डेटिंग के नाम पर आकृति में तोड़-फोड़ की जाती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी।
सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर पिछली मई में हुई ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक लम्बा और ऊपर से गोल पत्थर मिला था। हिन्दू पक्ष का दावा किया कि वह शिवलिंग है, जबकि मस्जिद इंतजामिया कमेटी का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फौव्वारे का हिस्सा है। उसकी दलील है कि मुगलकाल में बनी अनेक अन्य ऐसी मस्जिदें और दीगर इमारतें हैं जिनके वजूखाने में इसी तरह के फौव्वारे लगे हैं।
बहरहाल, हिन्दू पक्ष ने जिला अदालत से कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच कराने की मांग की थी, ताकि यह पता लग सके कि वह पत्थर कितना पुराना है।
Edited by : Nrapendra Gupta