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जीएसटी का असर शादियों पर, बढ़ेगा बजट: एसोचैम

जीएसटी का असर शादियों पर, बढ़ेगा बजट: एसोचैम
, मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017 (07:49 IST)
नई दिल्ली। प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के मुताबिक माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था में शादियों का बजट बढ़ने जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद नवंबर से शुरू होने जा रहे शादियों के मौसम के लिए टेंट बुकिंग, शादी के लिए हाल की बुकिंग, फोटोग्राफी, खाने-पीने की सेवाएं सभी 10 से 15 प्रतिशत तक महंगी हो जाएंगी।
 
एसोचैम के मुताबिक जीएसटी के दायरे में आने के बाद शादियों से जुड़ी ज्यादातर सेवाएं महंगी हो जाएंगी। शादी की खरीदारी हो, टेंट की बुकिंग हो या फिर कैटरिंग सेवाएं जीएसटी में ज्यादातर सेवाओं पर 18 से 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा। इसके परिणामस्वरूप शादियों का खर्च बढ़ जाएगा।
 
उद्योग मंडल द्वारा जीएसटी और शादियों पर तैयार दस्तावेज में कहा गया है कि इससे पहले टेंट लगाने वाले, खान-पान सेवाएं जैसे हलवाई, चाट-पकोड़ी देने वाले बिना पंजीकरण के ही काम करते थे और गैर-पंजीकृत बिल पर काम करते रहे हैं जिसपर उन्हें कोई कर नहीं देना होता था।
 
उद्योग मंडल के दस्तावेज के मुताबिक नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू होने से शादियों की खरीदारी महंगी हुई है। आभूषणों की खरीदारी से लेकर ब्यूटी पार्लर, फोटोग्राफी, होटल और शादी के लिए हॉल बुक कराना महंगा हुआ है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि विशेष स्थानों, पैलेस में होने वाली शादी और शादी-पर्यटन पर जीएसटी का कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं लगती है। इस तरह की शादियां का कुल कारोबार में 10 प्रतिशत हिस्सा है। आलीशान होटलों और पर्यटक स्थलों पर होने वाली शादियां पहले ही काफी महंगी होती रही हैं और विदेशी, प्रवासी भारतीय और धनी तथा जानी मानी हस्तियों के लोग ही इस तरह की शादियां करते रहे हैं।
 
एसोचैम दस्तावेज के मुताबिक 500 रुपए से ज्यादा कीमत के चप्पल-जूते पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। सोने और हीरे के आभूषण पर भी कर 1.6 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया है। पांच तारा होटलों की बुकिंग पर जीएसटी के रूप में 28 प्रतिशत की अतिरिक्त लागत लगेगी। कार्यक्रम आयोजन सेवाएं देने वाली कंपनियां भी 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाएंगी। शादियों के लिए खुले पार्क, हॉल आदि बुक कराने पर भी 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया गया है।
 
भारत में शादियों से जुड़ा समूचा कारोबार 1,000 अरब रुपए का है और यह कारोबार सालाना 25 से 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। (भाषा)

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