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दुश्मन की गोली पीठ पे नहीं, छाती पे खानी है, मां को कहे एक शहीद के अंतिम शब्द

दुश्मन की गोली पीठ पे नहीं, छाती पे खानी है, मां को कहे एक शहीद के अंतिम शब्द
द्रास (लद्दाख) , गुरुवार, 27 जुलाई 2023 (20:18 IST)
Martyr Grenadier Udayman Singh : करगिल में 1999 में युद्ध छिड़ने पर अपने सैनिक बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित मां कांता देवी ने बार-बार ग्रेनेडियर उदयमान सिंह से घर लौट आने के लिए कहा लेकिन बेटा घर नहीं लौटा और एक दिन उसने अपनी मां से कहा, दुश्मन की गोली पीठ पे नहीं, छाती पे खानी है।

अपने शहीद बेटे को याद करते हुए रो पड़ीं कांता देवी ने कहा, उसके बाद मैं कुछ नहीं कह पाई और वह हमारी अंतिम बातचीत थी। जम्मू के रहने वाले उदयमान सिंह को 18 साल की उम्र में 18 ग्रेनेडियर्स में कमीशन मिला था। करगिल युद्ध के दौरान 18 ग्रेनेडियर्स को दो अन्य बटालियन के साथ मिलकर टाइगर हिल पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
 
अपने मिशन पर जब बटालियन हमला करने के लिए आगे बढ़ी तो पहाड़ी पर पहुंचते ही उसे दुश्मन की भीषण गोलीबारी का सामना करना पड़ा। सिंह की इसी भीषण लड़ाई में मौत हो गई और उन्हें युद्ध के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए ‘सेना मेडल’ से सम्मानित किया गया।
 
24वें करगिल विजय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए लामोचन व्यू प्वाइंट पहुंचीं कांता देवी ने बताया कि उन्होंने अभी भी अपने बेटे के गोलियों से छलनी बटुए को संभालकर रखा हैं।
 
बेटे के जाने के दुख में जार-जार रोतीं कांता देवी आगे कहती हैं, उस पर (बटुए) खून का निशान है और कुछ मुड़े-तुड़े से नोट रखे हैं। मैं चाहती हूं कि उस बटुए को मेरी चिता पर मेरे साथ जलाया जाए। एक मां के लिए अपने बेटे की मौत से बड़ा दुख नहीं होता है। उसे मेरी चिता को अग्नि देना था, लेकिन वह मुझसे पहले ही चला गया।
 
उन्होंने कहा, लेकिन उसके शब्द और देश के प्रति उसका समर्पण मुझे गौरवान्वित कर देते हैं। अपने सालभर लंबे सैनिक के करियर में जब भी सिंह घर आते थे, उनके परिवार वाले पड़ोसियों में मिठाइयां बांटा करते थे। कांता देवी ने बताया, पता नहीं क्यों, लेकिन मुझे हमेशा लगता था कि उसकी घर वापसी पर उत्सव मनाना चाहिए। मां के दिल को सब पता होता है। जब अंतिम बार वह गया तो मुझे पता था कि वह अब नहीं लौटेगा।
 
लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके गुपचुप तरीके से घुस आई पाकिस्तानी सेना को वापस भगाने के लिए 1999 में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के नाम से भीषण जवाबी कार्रवाई की थी।
 
करगिल के युद्ध में भारतीय सैनिकों ने कठिन मौसमी परिस्थितियों, चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र में बेहद मुश्किल लड़ाई लड़ी और द्रास, करगिल तथा बटालिक सेक्टर से दुश्मन को खदेड़ दिया था। पाकिस्तान पर भारत की जीत की खुशी में हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। फोटो सौजन्‍य : सोशल मीडिया
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

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