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बिहार मेंं गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा का आगाज, बंटोगे तो कटोगे का सियासी संदेश

giriraj singh

विकास सिंह

, शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024 (12:56 IST)
बिहार में विधानसभा चुनाव के अगले साल है लेकिन सूबे का सियासी पारा गर्म है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह आज से बिहार के सीमांचल इलाके में हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाल रहे है। इस यात्रा स्वामी दीपांकर जैसे कट्टर हिंदुत्ववादी चेहरे भी शामिल है। बिहार के भागलपुर में शुरु हुई हिंदू स्वाभिमान यात्रा के जरिए गिरिराज सिंह हिदुंओं को एकजुट होने का संदेश दे रहे है। बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल में आज से भागलपुर से शुरु हुई हिंदू स्वाभिमान यात्रा का पहला चरण 22 अक्टूबर को किशनगंज में खत्म होगा।

‘बंटोगे तो कटोगे’ का यात्रा के जरिए संदेश- हिंदुओं को एकजुट करने के लिए  यात्रा निकाल रहे केंद्रीय मंत्री और बेगुसराय से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह साफ कहते हैं कि हिंदुओं को एकजुट करने के लिए मैं कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हूं। मैं एमपी-एमएलए बनकर पैदा नहीं हुआ, बल्कि हिन्दू पैदा हुआ था। मेरे शरीर में आखिरी बूंद खून रहने तक मैं हिन्दू स्वाभिमान यात्रा नहीं रोकूंगा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि यह राजनीतिक यात्रा नहीं है। यह हिंदुत्व को जगाने का यात्रा है। उन्होंने कहा है कि इसका पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। यह हिंदू को जगाने के लिए यात्रा की जा रही है।

विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे किसी का डर नहीं है। यह हिन्दुओं की यात्रा है। हर पार्टी के हिन्दू इसमें शामिल होंगे। वहीं यात्रा के दौरान अपनी जान का खतरा बताते हुए गिरिराज सिंह कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री के तौर पर मैंने सर्व-धर्म सद्भाव की शपथ ली है, लेकिन मेरे अस्तित्व पर खतरा हो, मेरी जान पर खतरा हो तो मैं आगे वाले को मारूंगा या नहीं मारूंगा? मुझे मारना चाहिए या नहीं मारना चाहिए? चाहे वो कोई भी हो, चाहे मुसलमान ही क्यों ना हो। आज मेरे अस्तित्व पर खतरा है।
 
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हिंदू स्वाभिमान यात्रा के सियासी मायने?- बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा के क्या सियासी मायने है, इस पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार दीपक कोचगवे कहते हैं कि गिरिराज सिंह कहते हैं जिस सीमांचल इलाके में यात्रा निकाल रहे है वह मुस्लिम बाहुल्य इलाका है, ऐसे में यह पूरी यात्रा सियासी है। कहने को तो यात्रा भाजपा ने गिरिराज सिंह की यात्रा से किनारा कर लिया हो लेकिन यह पूरी यात्रा 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से सीधे तौर पर जुड़ी है।

दरअसल गिरिराज सिंह इस यात्रा के जरिए खुद को एक हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे है। इसलिए वह हिंदुओं को एकजुट करने जैसी बात कर रहे है तो दूसरी ओर यात्रा में पाकिस्तान का भी जिक्र कर रहे है। गिरिराज सिंह जिस भागलपुर से यात्रा शुरु कर रहे है वह एक संवेदनशील इलाका है और वह यात्रा को कटिहार और किशनगंज तक ले जा रहे है जहां मुस्लिम आबादी 70 फीसदी तक है।

दरअसल गिरिराज सिंह अपनी यात्रा के जरिए भाजपा के हिंदुत्व के कार्ड को चलने की कोशिश कर रहे है। ऐसे में जब गिरिराज सिंह मोदी सरकार में मंत्री है और वह खुद यात्रा की अगुवाई कर रहे है तो यात्रा का सियासी संदेश साफ है। गिरिराज सिंह यात्रा के जरिए वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे है, जिसका लाभ भाजपा को विधानसभा चुनाव में हो सके।

वहीं दूसरी ओर बिहार में भाजपा का ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है, ऐसे में हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता के तौर पर देखे जाने वाले गिरिराज सिंह को भाजपा एक हिंदुत्ववादी ऐसे नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश में है जिस चेहरे पर भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव में आगे बढ़ सके।

ऐसे में जब भाजपा बिहार में नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में है और नीतीश कुमार अपने पलटने की राजनीति में माहिर है। ऐसे में भाजपा गिरिराज सिंह को एक हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश में है। यहीं कारण है कि गिरिराज सिंह अपनी यात्रा में त्रिशूल लेकर निकले है जो सीधे-सीधे हिंदुत्व का एक सिंबल है। बिहार में सुशील कुमार मोदी के बाद भाजपा ने कई चेहरों पर दांव लगाया जिसमेंं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और विजय कुमार सिन्हा शामिल है लेकिन यह सभी चेहरे बिहार की राजनीति पर कोई छाप नहीं छोड़ पाए।

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