नई दिल्ली। वाजपेयी सरकार ने कारगिल अभियान के दौरान नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार नहीं करने का फैसला जब सार्वजनिक किया था तब तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी से अनुरोध किया था कि वे इसे फिर से सार्वजनिक तौर पर न कहें।
पूर्व सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि बालाकोट जैसे और हमलों को बार-बार किए जाने की जरूरत है जिससे प्रतिरोध की यह भावना बनी रहे और पाकिस्तान को यह संदेश भेजा जाए कि भारत पलटवार कर सकता है।
कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में मलिक ने कहा कि वाजपेयी सरकार के दौरान रक्षा मामलों की संसदीय समिति के नियंत्रण रेखा पार नहीं करने के फैसले को सार्वजनिक किया गया। वाजपेयी ने अपने चेन्नई दौरे के दौरान भी इसे दोहराया।
मलिक ने याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने चेन्नई में 2 जून को इस बारे में कहा। जब वे वापस (दिल्ली) आए तो मैं उनसे मिला और कहा कि सर, हम फैसले को मानेंगे लेकिन कृपया करके इसके बारे में सार्वजनिक रूप से न बोलें। कारगिल युद्ध के दौरान सेना का नेतृत्व करने वाले मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसके पीछे की वजह जाननी चाही।
मलिक ने कहा कि मैंने कहा कि कारगिल में जो हुआ, हम अपनी तरफ से उसे ठीक करने की पूरी कोशिश करेंगे लेकिन अगर हमें पूर्ण नतीजे हासिल नहीं हो सके तो जहां तक सेना का सवाल है, हमारे पास किसी और जगह नियंत्रण रेखा को पार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। और अगर अगर मुझे यह जरूरत लगी तो मैं वापस आकर आपसे पूछूंगा कि आपका क्या जवाब होगा?
मलिक ने याद करते हुए कहा कि वे उस वक्त साउथ ब्लॉक के गलियारों में चल रहे थे। वाजपेयी ने एक शब्द नहीं कहा, चुप रहे और सिर्फ अपना सिर हिलाया। मलिक ने कहा कि लेकिन उसी दिन शाम को बृजेश मिश्रा (वाजपेयी के प्रधान सचिव एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने एक चैनल को साक्षात्कार दिया।
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने जान-बूझकर कहा कि नियंत्रण रेखा या सीमा पार न करना आज अच्छा है। हम कल के बारे में नहीं जानते। इससे हमें अपनी सैन्य रणनीति बनाने में मदद मिली। (भाषा)