भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के पूर्व डीजी एवं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यूपीईएस में स्कूल ऑफ मॉर्डन मीडिया में फाउंडर डीन के पद पर कार्यरत प्रो. केजी सुरेश का मानना है कि मीडिया में हमेशा एक अच्छी एवं विश्वसनीय सामग्री की मांग रहेगी। कंटेंट किंग था, किंग है और हमेशा किंग रहेगा। भारत में प्रिंट मीडिया भी जारी रहेगा, लेकिन आने वाले समय में डिजिटल मीडिया के लिए संभावनाएं हैं।
डिजिटल मीडिया के लिए अच्छी संभावनाएं : वेबदुनिया से बातचीत करते हुए केजी सुरेश ने कहा कि अच्छी एवं विश्वसनीय सामग्री की हमेशा मांग रहेगी। लोग स्वतंत्र प्लेटफॉर्म के लिए अतिरिक्त भुगतान करने के लिए भी तैयार रहेंगे। डिजिटल मीडिया के लिए आने वाले समय में अच्छी संभावनाएं है। प्रिंट मीडिया भी जारी रहेगा। समाचार पत्रों में मजबूत गेटकीपिंग की प्रक्रिया है एवं पाठक अधिक विश्वसनीयता की अपेक्षा रखते हैं। यह सूचना का एक सस्ता स्त्रोत बना रहेगा। नवसाक्षर इसे सशक्तीकरण के प्रतीक के रूप में देखते हैं। यह स्थानीय संस्करणों के माध्यम से खुद को सुदृढ़ कर सकता है एवं सामुदायिक समाचार पत्रों के रूप में उभर सकता है।
कोरोना काल में पत्रकारों के लिए बनाई गाइड लाइन : मार्च के महीने में लॉकडाउन से पहले ही प्रो. सुरेश ने मीडिया कवरेज के लिए एवं मीडिया हाउसेज की ओर से एक प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए तथा कामकाजी पत्रकारों की सुरक्षा उपायों को लेकर एक गाइड लाइन बनाई थी।
पत्रकार होने के नाते सुरेश ने हमेशा अनुभव किया कि एक पत्रकार न्यूज, न्यूज स्टोरी प्राप्त करने के लिए अत्यंत जोखिम उठाते हैं एवं उनकी सुरक्षा की प्राथमिकता को अंत में रखा जाता है। इसी कारण से आपने पत्रकारों की सुरक्षा के उपायों को लेकर हील फाउंडेशन के साथ मिलकर उन गाइड लाइंस को देशभर के मीडिया समुदाय में प्रसारित भी किया।
बदल गया है मीडिया : प्रो. सुरेश ने बताया कि पत्रकारिता के बारे में आपका विचार अलग था। पत्रकारिता में बहुत ही आदर्शवादी विचारधारा के साथ आपने कदम रखा, जो आज भी जारी है। सुरेश कहते हैं कि वर्तमान में मीडिया बहुत बदल गया है। यह अभी भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत जैसे विकासशील देशों में आवाज उठाने वालों की कमी है। आज हमारी प्राथमिकताएं बदल गई हैं। उन्होंने बताया कि वे एक स्वतंत्र मीडिया, जमीनी पत्रकारिता, खोजी पत्रकारिता, समाधानयुक्त पत्रकारिता, रचनात्मक पत्रकारिता, सकारात्मक पत्रकारिता को अधिक तटस्थता से देखना चाहते हैं।
सुरेश कहते हैं कि मीडिया के विद्यार्थियों को जितना संभव हो उतना पढ़ना चाहिए। अधिक से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय चैनल देखें। शोध एवं लेखन की आदत विकसित करें। अपने कान व आंखें खुली रखें। संवेदनशील रहें एवं विचारों के लिए हमेशा खुले रहें। विद्यार्थियों को कम से कम एक विषय में विषेज्ञता विकसित करनी चाहिए।
व्यावहारिक प्रशिक्षण जरूरी : आईआईएमसी में डीजी रह चुके पत्रकारिता शिक्षक के रूप में लंबा अनुभव रखने वाले प्रो. सुरेश कहते हैं कि मीडिया शिक्षकों को मीडिया तकनीक का पार्ट बनना चाहिए, लेकिन कंटेंट की कीमत पर नहीं अर्थात कंटेंट को खत्म नहीं होने देना चाहिए। कंटेंट हमेशा किंग था, किंग है एवं किंग रहेगा। कंटेंट एवं टेक्टनोलॉजी में अच्छा होने के साथ ही सभी पत्रकारों को मल्टी टास्कर्स होना चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार एवं भाषा दक्षता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। अभ्यास या व्यावहारिक प्रशिक्षण पर जरूर ध्यान दें, लेकिन वैचारिक एवं सैद्धांतिक समझ और भाषा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
सुरेश का मानना है कि मीडिया हाउस को अपने कवरेज में अधिक तटस्थ होना चाहिए। मीडिया की विश्वसनीयता एवं स्वतंत्रता लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है। मीडिया हाउसेस को जमीनी पत्रकारिता पर अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए एवं इसे करना चाहिए। चौथा स्तंभ होने के कारण मीडिया की देश एवं समाज के प्रति बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमारे पास एक मजबूत एवं स्वतंत्र मीडिया लोकपाल का होना भी जरूरी है। भारत में एक सशक्त एवं व्यापक मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना करने की आवश्यकता है।
दिल्ली में 1960 के दशक में जन्मे सुरेश के परिजन उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन उनका सपना पत्रकार बनने का था। उन्होंने कई प्रख्यात हस्तियों के साक्षात्कार किए हैं। इनमें तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, आईके गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, बसपा नेता कांशीराम, जॉर्ज फर्नांडिस, प्रमोद महाजन, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, भैरों सिंह शेखावत, जसवंत सिंह, एम. वैकेया नायडू, मुलायम सिंह यादव, एचडी कुमारस्वामी, वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह, रमन सिंह, उमा भारती, केएन. गोविंदाचार्य, सुब्रमण्यम स्वामी, एके-47 राइफल के डिजाइनर मिखाइल कलाशनिकोव आदि प्रमुख हैं।
इनके अलावा जम्मू-कश्मीर उग्रवाद, गुजरात में बाढ़, भूकंप एवं हिंसा, चरखी दादरी में हवाई टक्कर, उपहार सिनेमा हॉल त्रासदी, नेपाल में शाही परिवार का नरसंहार, अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण प्रमुख हैं। संसद के दोनों सदनों सहित कई लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों को भी कवर किया है।
पुरस्कार एवं सम्मान : सुरेश के विभिन्न समाचार-पत्र, पत्रिकाओं एवं अन्य प्रचार माध्यमों में आलेख प्रकाशित और प्रसारित हो चुके हैं। इसके साथ ही डीडी न्यूज के साथ वरिष्ठ सलाहकार संपादक के रूप में कई लोकप्रिय कार्यक्रमों की शुरुआत की। इनमें दुनिया की पहली संस्कृत समाचार पत्रिका वार्तावली, गुड न्यूज इंडिया, स्पीड न्यूज ऑन डीडी आदि शामिल हैं।
प्रो. सुरेश को प्रेम भाटिया फैलोशिप, जनसंपर्क में उत्कृष्ट योगदान के लिए पीआरएसआई लीडरशिप अवॉर्ड, मीडिया एजुकेशन में विजनरी लीडर के लिए एक्सचेंज फॉर मीडिया एवं बिजनेस वर्ल्ड द्वारा दिए गए पुरस्कार एवं सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए ख्वाजा गरीब नवाज अवॉर्ड मिल चुका है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत केंद्रीय हिन्दी संस्थान के प्रतिष्ठित गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार के लिए हाल ही में चयन किया गया है। इस पुरस्कार के तहत पांच लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र एवं शॉल प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति की ओर से दिया जाएगा। हाल ही में वाराणसी के वाग्योग चेतना पीठम की ओर से 2020 के लिए आप को वार्षिक पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया।