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बिना लाइसेंस उड़ा सकेंगे ड्रोन, ऐसे होगा रजिस्ट्रेशन...

बिना लाइसेंस उड़ा सकेंगे ड्रोन, ऐसे होगा रजिस्ट्रेशन...
, मंगलवार, 28 अगस्त 2018 (09:35 IST)
नई दिल्ली। देश में ड्रोन के नागरिक इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है। हालांकि ड्रोन से होम डिलिवरी के लिए अभी और इंतजार करना होगा। नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु और विभाग के राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने सोमवार को यहां रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) यानी ड्रोन को लेकर नियम जारी किए। यह 1 दिसंबर से लागू होंगे। नियमों के अनुसार 250 ग्राम या इससे अधिक वजनी ड्रोन के लिए लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
 
 
सुरेश प्रभु ने कहा कि सामान की डिलेवरी को छोड़कर बाकी कामों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। केरल में आई बाढ़ के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया। कृषि सर्वे में भी ड्रोन उपयोगी हो सकते हैं। आपदा राहत जैसे विशेष उद्देश्यों में सरकारी एजेंसियों को ड्रोन से सामान भेजने की अनुमति भी दी जाएगी।
 
इन जगहों पर रहेगी पाबंदी : हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, समुद्री तटों, दिल्ली में विजय चौक और राज्यों में सचिवालयों और रणनीतिक इलाकों या सैन्य अड्डों के आसपास 'नो ड्रोन जोन' होगा।
 
 
यहां होगा रजिस्ट्रेशन : ड्रोन के नागरिक इस्तेमाल के रजिस्ट्रेशन, ऑपरेटर परमिट, उड़ान से पहले आवेदन और फ्लाइट प्लान अपलोड करने के लिए 'डिजिटल स्काई' नाम से एक प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। यह 1 दिसंबर से ऑनलाइन कर दिया जाएगा। इसका लिंक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
 
250 ग्राम के ड्रोन के लिए नहीं लगेगी अनुमति : 250 ग्राम के ड्रोन नैनो ड्रोन कहलाते हैं। इन्हें उड़ाने के लिए अनुमति या रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि उन्हें 50 फुट की ऊंचाई तक ही उड़ान भरने की अनुमति रहेगी। माइक्रो ड्रोन यानी 250 ग्राम से ज्यादा और दो किलो तक के ड्रोन के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर, नो परमिशन-नो टेकऑफ टेक्नोलॉजी और स्थानीय पुलिस की अनुमति लेनी होगी। इन्हें अधिकतम 200 फुट तक उड़ाया जा सकेगा।
 
 
भारी ड्रोन के लिए देना होगा फ्लाइट प्लान : छोटे ड्रोन- दो किलो से 25 किलो, मध्यम- 25 किलो से 150 किलो और बड़े- 150 किलो से भारी ड्रोनों के लिए रजिस्ट्रेशन, ऑपरेटर परमिट के साथ ही उड़ान से पहले फ्लाइट प्लान भरना अनिवार्य होगा। ये 400 फुट तक उड़ान भर सकेंगे। ड्रोन अपने तय रास्ते से भटका तो वह जहां से उड़ान भरेगा वहीं वापस आ जाएगा। इसके लिए इनमें रिटर्न टू होम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना जरूरी होगा।

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