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ई-वे बिल से राजस्व वसूली लक्ष्य पाने में मिलेगी मदद

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शनिवार, 31 मार्च 2018 (17:05 IST)
नई दिल्ली। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि माल परिवहन के लिए ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने से राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। लेकिन व्यवस्था के पूरी तरह से लागू होने तक सरकार को छोटे उद्योगों और व्यापारियों को सहारा देना जरूरी है।


देश में एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच माल परिवहन को जीएसटी नेटवर्क के तहत लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक-वे बिल व्यवस्था रविवार यानी 1 अप्रैल 2018 से लागू हो रही है। कोई भी व्यापारी अपने जीएसटीआईएन का इस्तेमाल करते हुए माल भेजने के लिए ई-वे बिल पोर्टल पर पंजीकरण करा सकता है। एक राज्य से बाहर दूसरे राज्य में 50 हजार रुपए से अधिक का माल भेजने पर ई-वे बिल में पंजीकरण कराना जरूरी होगा, हालांकि इसमें जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं का मूल्य शामिल नहीं होगा।

पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने भाषा से बातचीत में कहा ई-वे बिल व्यवस्था के अमल में आने से सरकार को राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने के बाद शुरुआत में ही राजस्व वसूली 10-15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

उल्लेखनीय है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद जीएसटी राजस्व संग्रह उस गति से नहीं बढ़ पा रहा है जितना कि बढ़ना चाहिए था। फरवरी में जीएसटी संग्रह 85,174 करोड़ रुपए रहा है, जो कि जनवरी 2018 की प्राप्ति 86,318 करोड़ रुपए से कम रहा। देश में जुलाई 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू होने पर पहले महीने में जीएसटी प्राप्ति 93,590 करोड़ रुपए रही।

उसके बाद सितंबर में यह सबसे ज्यादा 95,132 करोड़ रुपए रही और उसके बाद इसमें गिरावट आ गई। बिमल जैन ने कहा कि सरकार को ई-वे बिल की सफलता के लिए छोटे और असंगठित क्षेत्र को सहारा देने की आवश्यकता है। जब भी कोई नई व्यवस्था अमल में आती है तो उसके लिए चीजों को समझना और प्रशिक्षण देना जरूरी होता है। शुरुआती दौर में यदि किसी से कोई गलती होती है तो कम से कम 6 माह तक जुर्माना और दंडात्मक कारवाई से बचा जाना चाहिए और गलती को सुधारने पर जोर दिया जाना चाहिए।

अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष एसके मित्तल ने ई-वे बिल की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम इस व्यवस्था को लेकर सरकार के साथ हैं। देश में छोटे-बड़े 3 लाख से ज्यादा ट्रांसपोर्टर हैं। ई-वे बिल जनरेट करने का काम मुख्यत: माल भेजने वाले अथवा प्राप्त करने वाले कारोबारियों का होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने का काम ज्यादातर बड़े व्यापारी ही करते हैं। सप्लायर ई-वे बिल जनरेट करेगा और उसके बाद इसमें गाड़ी नंबर डाला जाएगा। ट्रांसपोर्टर का काम माल को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाना है।

बिमल जैन से जब यह पूछा गया कि ई-वे बिल से कर चोरी कैसे रुकेगी? तो जवाब में उन्होंने कहा कि ई-वे के लिए पंजीकरण कराने से यह रिकॉर्ड में आ जाएगा और कारोबार के बारे में जानकारी मिलेगी। हालांकि यदि कोई माल जॉबवर्क के संबंध में भेजा जा रहा है तो आपूर्तिकर्ता अथवा पंजीकृत जॉब वर्कर को ई-वे बिल लेना होगा।

जैन ने कहा कि आने वाले दिनों में ई-वे बिल व्यवस्था स्थापित हो जाने के बाद इसे रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस के साथ जोड़ने से यह व्यवसथा और पुख्ता हो जाएगी। मोटर ट्रांसपोर्ट के महासचिव नवीन कुमार गुप्ता ने कहा कि ट्रांसपोर्टरों को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलनी चाहिए। माल की पूरी जिम्मेदारी सप्लायर यानी आपूर्तिकर्ता की होनी चाहिए। कोई भी गड़बड़ी होने पर ट्रांसपोर्टर को परेशान नहीं किया जाना चाहिए बल्कि आपूर्तिकर्ता को पकड़ा जाना चाहिए।

मित्तल ने कहा कि परचून का काम करने वाले छोटे व्यापारियों के मामले में ई-वे बिल की वैधता को शुरू में 2 दिन के लिए किया जाना चाहिए, क्योंकि कई बड़े शहरों में ट्रकों के प्रवेश पर कई-कई घंटे की रोक होती है। केवल रात में ही वे माल पहुंचा सकते हैं, इस लिहाज से ई-वे बिल की 100 किमी दूरी के लिए वैधता 1 दिन के बजाय 2 दिन की जानी चाहिए। (भाषा)

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