एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने संसद में प्रेस की आजादी और सूचना के अधिकार के मुद्दे उठाने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन मांगा और दावा किया कि सरकार ने मीडिया पर नियंत्रण और विनियमन के लिए अनेक विधायी कदम उठाए हैं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को शनिवार को लिखे पत्र में गिल्ड ने पिछले कुछ साल में प्रिंट, प्रसारण और डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए विधायी कदम उठाएजाने का दावा करते हुए इस पर चिंता जताई और इन पर नएसिरे से चर्चा और परामर्श की जरूरत बताई।
गिल्ड ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक, प्रेस और पत्रिकाओं के पंजीकरण अधिनियम और आईटी नियम 2021 तथा 2023 में इसमें होने वाले संशोधनों के बारे में भी चिंता व्यक्त की।
गिल्ड ने कहा, हमारा मानना है कि हमारे लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस महत्वपूर्ण है और इन बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए विधायी उपायों पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
गिल्ड ने कहा कि इन विधायी उपायों के बारे में आम चिंता यह है कि इन्हें हितधारकों से पर्याप्त परामर्श के बिना और इन कानूनों का मसौदा तैयार करने तथा इन्हें पारित करने में संसदीय पड़ताल की प्रक्रिया के बिना लिया गया।
गिल्ड ने कहा, इनमें अस्पष्ट और अतिव्यापक प्रावधान हैं, जिनका दुरुपयोग वैध पत्रकारीय गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए किया जा सकता है। प्रावधान सरकारी अधिकारियों और एजेंसियों को ऐसी कार्रवाई करने के लिए व्यापक अधिकार देते हैं, जिसका सरकार के बढ़े हुए नियंत्रण और दंडात्मक उपायों के कारण पत्रकारिता और प्रेस की स्वतंत्रता पर संभावित रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। गिल्ड ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए सुरक्षा मानक पर्याप्त नहीं हैं। इनपुट भाषा