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डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल का ड्राफ्ट तैयार, 500 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान

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  • उपभोक्ता के मर्जी या अनुमति के बिना डाटा का इस्तेमाल नहीं।
  • किसी भी समय ग्राहक अपनी सहमति वापस ले सकता है।
  • कंपनियों को साफ और आसान भाषा में सारी जानकारी देनी होगी।
  • मसौदे पर संबंधित पक्षों से 17 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं।
  • डाटा स्टोरेज के लिए सर्वर भारत में या मित्र देशों में ही हो सकेगा। ऐसे देशों की सूची जारी करेगी सरकार।
  • सरकारी एजेंसियां और संस्थान डाटा असीमित समय तक रख सकेंगे।
 
नई दिल्ली। सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 या डिजिटल निजी आंकड़ा संरक्षण विधेयक (Digital Personal Data Protection Bill 2022) का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसमें प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 500 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है। 2019 के मसौदे में जुर्माने की राशि 15 करोड़ रुपए या किसी भी कंपनी के वैश्विक कारोबार का 4 फीसदी रखना प्रस्तावित था।
 
क्यों जरूरी है डाटा प्रोटक्शन बिल 

मसौदा विधेयक में कहा गया कि इस विधेयक का उद्देश्य डिजिटल निजी आंकड़ों का प्रसंस्करण कुछ इस प्रकार से करने की व्यवस्था देना है, जिससे कि अपने निजी आंकड़ों की रक्षा करने का लोगों का अधिकार कायम रहे। साथ ही निजी आंकड़ों का प्रसंस्करण कानूनी उद्देश्यों के अलावा किसी और काम के लिए नहीं किया जाए।

प्रस्तावित विधेयक आंकड़ा संरक्षण विधेयक के स्थान पर लाया गया है, जिसे सरकार ने इस वर्ष अगस्त में वापस ले लिया था। मसौदा विधेयक के तहत भारतीय आंकड़ा संरक्षण बोर्ड की स्थापना करना प्रस्तावित है, जो विधेयक के अनुरूप काम करेगा।
 
इसमें कहा गया है कि जांच के निष्कर्ष में बोर्ड को ऐसा पता चलता है कि बहुत अधिक उल्लंघन किया गया है तो व्यक्ति को सुनवाई का समुचित अवसर देने के बाद वित्तीय जुर्माना लगाया जा सकता है, जो प्रत्येक मामले में 500 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।
 
आंकड़ों का प्रसंस्करण करने वाली इकाई अपने नियंत्रण या अधिकार में मौजूद निजी जानकारी या आंकड़ों की सेंधमारी के खिलाफ संरक्षण करने में नाकाम रहती है तो उस पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
 
इसके अलावा यदि आंकड़ों का प्रसंस्करण करने वाली इकाई आंकड़ों में सेंधमारी की घटना के बारे में आंकड़ों के मालिक और बोर्ड को सूचित नहीं करती है तो उस स्थिति में उस पर 200 करोड़ रुपए का अर्थदंड लगाने का प्रस्ताव भी है। इस मसौदे पर संबंधित पक्षों से 17 दिसंबर तक सुझाव मांगे गये हैं।
 
अधिसूचित इकाइयों को छूट : डिजिटल व्यक्तिगत आंकड़ा संरक्षण विधेयक के मसौदे में सरकार द्वारा व्यक्तिगत आंकड़ों के प्रसंस्करण के तरीके और उद्देश्य तय करने वाली इकाइयों के रूप में अधिसूचित कुछ संस्थाओं को कई अनुपालनों से छूट दी गई है। इन अनुपालनों में आंकड़ा संग्रह के लिए ब्योरा साझा करना शामिल है। 
 
मसौदा विधेयक में ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आंकड़ा प्रसंस्करण करने वाली संस्थाएं व्यक्तियों की स्पष्ट सहमति से ही आंकड़े जमा करें। साथ ही आंकड़ों का उपयोग सिर्फ उसी मकसद के लिए किया जाएगा, जिसके लिए उसे जमा किया गया है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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