कश्मीर में नई क्रांति करने वाले मोदी सरकार के फैसले ने विपक्ष की एकता को तार-तार कर दिया है। राज्यसभा में पास किए गए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े। इस तरह सदन में विधेयक तिहाई बहुमत से पास हो गया है।
कश्मीर पर मोदी सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक के सामने विरोधी दल टुकड़ों-टुकड़ों में बंट गए। मोदी सरकार और भाजपा की मुखर विरोधी बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी राज्यसभा में बिल को अपना समर्थन देकर विपक्षी एकता को बड़ा झटका दे दिया।
सियासत के जानकार दोनों पार्टी के इस फैसले के पीछे इसे उनकी चुनावी मजबूरी बता रहे हैं। दिल्ली में जब अब विधानसभा चुनाव होने में बहुत ही कम वक्त बचा हुआ है, तब केजरीवाल बिल का विरोध कर बहुसंख्यक वोटरों को नाराज नहीं करने चाहते हैं। इसके साथ बिल पर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी मोदी सरकार का समर्थन किया।
‘टुकड़ों-टुकड़ों’ में बंटी कांग्रेस : जम्मू-कश्मीर में धारा 370 पर कांग्रेस टुकड़ों-टुकड़ों में बंटी हुई दिखाई दी। गांधी परिवार के करीबी नेता जर्नादन द्विवेदी ने मोदी सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि देरी के बावजूद एक ऐतिहासिक गलती को सुधारा गया।
उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया हमेशा इस अनुच्छेद के खिलाफ थे। इसके साथ ही राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप भुवनेश्वर कालिता ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
पार्टी से इस्तीफा देते हुए उन्होंने लिखा कि अनुच्छेद 370 पर पार्टी ने उन्हें व्हिप जारी करने की जिम्मेदारी थी, लेकिन सच्चाई यह है कि अब देश बदल चुका है और व्हिप देश की जनभावना के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस की विचारधारा देखकर लगता है कि कांग्रेस आत्महत्या कर रही है और मैं इसमें भागीदार नहीं बनना चाहता हूं। इसके साथ ही यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय सीट रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने भी 370 पर मोदी सरकार का समर्थन कर सभी को चौंका दिया। अदिति सिंह को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का काफी करीबी माना जाता है।
लोकसभा में एकता की ‘अग्निपरीक्षा’ : राज्यसभा में पास होने के बाद जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में कांग्रेस को लगे झटके के बाद अब लोकसभा में कांग्रेस की एकता की अग्निपरीक्षा है।
लोकसभा में भाजपा को जो प्रचंड बहुमत हासिल है और जिस तरह बसपा और आप ने उसका समर्थन किया है, इसके बाद लोकसभा में इस बिल को पास कराना सरकार के कोई चुनौती नहीं है।
कांग्रेस ने लोकसभा में बिल के पेश होने से पहले अपनी पार्टी के सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है। ऐसे में अगर आज लोकसभा में कांग्रेस को अपने सांसदों को एकजुट रखना किसी चुनौती से कम नही है।