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दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में कायम, AQI 392 दर्ज, धुंध की परत छाई रही

दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में कायम, AQI 392 दर्ज, धुंध की परत छाई रही
, सोमवार, 31 अक्टूबर 2022 (21:16 IST)
नई दिल्ली। पराली जलाने से दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में इसका योगदान बढ़कर 22 प्रतिशत हो गया और सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की परत छाई रही तथा वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी के करीब पहुंच गई। 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 392 (बहुत खराब) रहा, जो रविवार को 352 था। गुरुवार को एक्यूआई 354, बुधवार को 271, मंगलवार को 302 और सोमवार (दिवाली) को 312 था।
 
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 को 'संतोषजनक', 101 और 200 को 'मध्यम', 201 और 300 को 'खराब', 301 और 400 को 'बहुत खराब', तथा 401 और 500 को 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
 
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी 'स्काईमेट वेदर' के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि हवा की मंद गति ने प्रदूषकों को वातावरण में जमा होने दिया और मंगलवार की सुबह स्थिति 'गंभीर' हो सकती है और एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से 4 नवंबर से आर्द्रता बढ़ सकती है और हवा की गति और कम हो सकती है जिससे धुंध में और इजाफा हो सकता है।
 
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली पूर्वानुमान एजेंसी वायु गुणवत्ता मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार सोमवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान बढ़कर 22 प्रतिशत हो गया। रविवार को यह 26 फीसदी और शनिवार को 21 फीसदी था, जो इस साल अब तक का सर्वाधिक है।
 
पलावत ने कहा कि पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के संचरण के लिए हवा की दिशा और गति अनुकूल है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार राजधानी में लोग 1 से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं। इस अवधि में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर होती हैं।
 
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने सोमवार को पंजाब में पराली जलाने की इस मौसम में अब तक सर्वाधिक 2,131 घटनाओं की सूचना दी। रविवार को 1,761, शनिवार को 1,898, शुक्रवार को 2,067 और गुरुवार को 1,111 पराली जलाने की घटनाएं हुईं। सोमवार को हरियाणा और उत्तरप्रदेश में पराली जलाने के क्रमश: 70 और 20 मामले दर्ज किए। सीएक्यूएम ने गुरुवार को कहा था कि इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं 'गंभीर चिंता का विषय' हैं।
 
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अगर केंद्र ने राज्य सरकार की 'मेगा योजना' का समर्थन किया होता तो पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी कमी देखी जा सकती थी। इस योजना के तहत किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए नकद प्रोत्साहन दिया जाना था।
 
प्रदूषण का स्तर बिगड़ने के कारण केंद्र की वायु गुणवत्ता समिति ने प्राधिकारियों को 'ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान' (ग्रैप) के तीसरे चरण के तहत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्माण एवं तोड़ फोड़ गतिविधियों पर रोक तथा अन्य पाबंदियां लगाने का निर्देश दिया है। केवल आवश्यक परियोजनाओं को ही छूट दी जाएगी।
 
अधिकारियों ने बताया कि सुबह 8.30 बजे सापेक्षिक आर्द्रता 90 फीसदी दर्ज की गई। मौसम वैज्ञानिकों ने दिन में मुख्यत: आसमान साफ रहने और अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान जताया है। ग्रैप स्थिति की गंभीरता के अनुसार राजधानी तथा उसके आसपास लागू किए जाने वाले वायु प्रदूषणरोधी उपाय हैं।
 
अगले चरण के अंतर्गत 'गंभीर प्लस' श्रेणी या 4थे चरण में दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, सार्वजनिक, नगर पालिका और निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देना, शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना और ऑड-ईवन के आधार पर वाहनों का चलना आदि जैसे कदम शामिल हो सकते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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