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पठानकोट-जम्मू नेशनल हाईवे पर आतंकी हमले का खतरा, पर्यटकों में खौफ

सुरेश डुग्गर
जम्मू। पठानकोट-जम्मू नेशनल हाईवे पर आतंकी हमले होने का अंदेशा जाहिर कर सुरक्षा एजेंसियों ने इस राजमार्ग का इस्तेमाल करने वाले वैष्णोदेवी के तीर्थयात्रियों तथा टूरिस्टों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया है। यह स्थिति उस समय और भयावह हो जाती थी जब सुरक्षा एजेंसियां कठुआ जिले से बरामद 40 किलो आरडीएक्स तथा 2 दिन पहले राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर से हथियारों समेत पकड़े गए जैश के 3 आतंकियों की गिरफ्तारी को अपनी चेतावनी के साथ जोड़ते थे।

यह सच है कि बरामदगियां, गिरफ्तारियां तथा आतंकी हमला होने का अंदेशा वैष्णोदेवी यात्रा में शामिल होने वालों की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। सुरक्षा का सवाल आने वाले टूरिस्टों के लिए भी अहम है। इन दोनों तीर्थस्थानों पर आने वाले इसी राजमार्ग और कस्बे से होकर होकर गुजरते हैं और रेल की पटरी राजमार्ग से मात्र 4 किमी और पाकिस्तानी सीमा से मात्र 3 किमी की दूरी पर है।

इस अंदेशे के बाद राजमार्ग पर अमन और शांति गायब हो गई है। दहशत के माहौल को सुरक्षा एजेंसियां ऐसे वक्त में बड़ा करके दिखा रही हैं, जबकि अनुच्‍छेद 370 हटा दिए जाने के बाद टूरिज्म व्यवसाय की कमर टूटी पड़ी है और वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड इन नवरात्रों में 4 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद लगाए बैठा है।
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इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि इस नेशनल हाईवे पर जितने वाहन गुजरते हैं उनमें 90 प्रतिशत वैष्णोदेवी व अमरनाथ यात्रा में शमिल होने आने वाले होते हैं। वे ही पर्यटकों के तौर पर जम्मू कश्मीर में घूमते भी हैं और यही आंकड़ा उन रेलों में सफर करने वाले लोगों का है, जो पाक सीमा से सटकर गुजरती हैं। जम्मू सेक्टर में रेल पटरी कई स्थानों पर पाक सीमा के इतनी करीब है कि कोई भी घुसपैठिया सीमा पार कर पटरी पर विस्फोटक लगाकर वापस लौट सकता है।
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कहने को सुरक्षा के प्रबंध इतने हैं कि चिड़िया भी पर नहीं मार सकती, पर आतंकियों की घुसपैठ और उनके हमले ने दावों की धज्जियां उड़ाई हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस राजमार्ग का अधिकतर हिस्सा रेल पटरी की तरह सीमा से सटकर गुजरता है और इस पर सुरक्षा के प्रबंध सिर्फ अमरनाथ यात्रा के दौरान ही नजर आते हैं, जबकि इस सच्चाई से मुंह अक्सर फेरा जाता है कि राजमार्ग और जम्मू आने वाली रेलों का इस्तेमाल 90 प्रतिशत वैष्णोदेवी के यात्री और टूरिस्ट करते हैं और अमरनाथ यात्री सिर्फ 2 माह में आते हैं जब यात्रा आरंभ होती है।

पुलिस खुद कहती है कि 60 से अधिक विदेशी आतंकी जम्मू कश्मीर में घुस चुके हैं और उनके निशाने पर धार्मिक स्थलों के अतिरिक्त वे सॉफ्ट टारगेट हैं, जिनसे माहौल भयावह हो सके, तो ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी और अंदेशा राजमार्ग का इस्तेमाल करने वालों के दिलों में भय जरूर पैदा करने लगता है।

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