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टाटा का आरोप, कंपनी को हड़पना चाहते थे सायरस मिस्त्री

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शुक्रवार, 11 नवंबर 2016 (11:14 IST)
टाटा ग्रुप में रतन टाटा और सायरस मिस्त्री की जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। टाटा संस की ओर से एक चिट्ठी लिखकर यह साबित करने की कोशिश की गई है कि क्यों सायरस मिस्त्री को हटाना जरूरी था। सार्वजनिक तौर पर जारी एक विज्ञप्ति में कंपनी की ओर से कहा गया है कि सायरस मिस्त्री कंपनी को ही हड़पना चाहते थे।
इससे पूर्व टाटा ग्रुप ने अपनी कंपनियों से सायरस मिस्त्री को हटाने की कवायद शुरू कर दी थी और  टीसीएस के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाकर इशात हुसैन को इसका चेयरमैन बनाया गया। सूत्रों के अनुसार इंडियन होटल से भी सायरस मिस्त्री को हटाने के लिए टाटा संस की ओर से ईजीएम बुलाई गई है।
 
टाटा संस की ओर से शुक्रवार को जारी टाटा संस की नई चिट्ठी में लिखा गया है कि सायरस मिस्त्री को काम करने के लिए 4 साल का वक्त मिला। सायरस मिस्त्री के काम को टीसीएस की आय से अलग करना होगा। टीसीएस में सायरस मिस्त्री का कोई खास योगदान नहीं रहा है।
 
टीसीएस ने टाटा संस से ग्रोथ के लिए कभी भी कोई पूंजी नहीं ली। साथ ही सायरस मिस्त्री के कार्यकाल में 40 टाटा ग्रुप कंपनियों का डिविडेंड 1000 रुपए से घटकर 780 करोड़ रुपए हो गया। इतना ही नहीं, 780 करोड़ रुपए की रकम में 100 करोड़ रुपए तो अंतरिम डिविडेंड के शामिल थे।
 
डिविडेंट घटने के साथ-साथ खर्चों में बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारियों पर खर्च 84 करोड़ रुपए से बढ़कर 180 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। दूसरे खर्चे 220 करोड़ रुपए से बढ़कर 290 करोड़ रुपए हो गए। सायरस मिस्त्री की हिस्सा बेचने की रणनीति विफल रही और विनिवेश से कोई मुनाफा नहीं हुआ है। इम्पेयरमेंट खर्चों के लिए प्रोविजनिंग 200 करोड़ रुपए से बढ़कर 2400 करोड़ हुई। टीसीएस को छोड़ 3 साल से टाटा संस को घाटा ही हो रहा था जो चिंता का प्रमुख कारण था।
 
मिस्त्री को हटाने के बाद अब टाटा संस में बड़ा फेरबदल : सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने के करीब एक सप्ताह बाद टाटा संस ने शुक्रवार को सांगठनिक बदलाव की घोषणा की। टाटा संस ने अपने एक बयान में कहा कि एस पद्मनाभन को समूह का मानव संसाधन (एचआर) प्रमुख बनाया गया है। इसके अलावा मिस्त्री के कार्यकाल में टाटा ब्रांड के संरक्षक मुकुंद राजन को अमेरिका, सिंगापुर, दुबई और चीन में टाटा संस के प्रतिनिधि कार्यालयों का पर्यवेक्षण करने की जिम्मेदारी दी गई है।
 
इसके साथ ही ईथिक्स और सस्टेनेबिलिटी की उनकी पुरानी जिम्मेदारी भी उनके पास बनी रहेगी। साथ ही मार्केटिंग और ग्राहक केंद्रीयता के प्रभारी हरीष भट को टाटा ब्रांड का प्रबंधन करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। अंतरिम अवधि में भट रणनीतिक गतिविधि और व्यापार विकास के कार्यों को भी देखेंगे।
 
पद्मनाभन के पास समूह एचआर की जिम्मेदारी के साथ टाटा बिजनेस एक्सीलेंस समूह का नेतृत्व करने की पुरानी जिम्मेदारी भी बरकरार रहेगी। बयान के मुताबिक गोपीचंद खत्रगड्डा समूह के मुख्य तकनीक अधिकारी बने रहेंगे। संजय सिंह दिल्ली कार्यालय से जनसंपर्क मामलों का पर्यवेक्षण करेंगे।
 
विदित हो कि मिस्त्री द्वारा गठित और भंग किए जा चुके ग्रुप एक्जीक्यूटिव काउंसिल के तीन सदस्य निर्मल्या कुमार, एनएस राजन और मधु कन्नन पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। 
 
बयान में कहा गया है कि उन्होंने टाटा संस से बाहर भविष्य तलाशने का फैसला किया है और कंपनी की सेवा छोड़ चुके हैं। इस कारण से 24 अक्तूबर को टाटा संस के बोर्ड ने सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया और पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन नियुक्त कर दिया था।
 
कंपनी ने कहा था कि अगले चार महीने में नए चेयरमेन का चुनाव किया जाएगा। तब से टाटा और मिस्त्री के बीच जुबानी तकरार जारी है। मिस्त्री ने आरोप लगाया है कि उन्हें लाचार चेयरमैन वाली स्थिति में पहुंचा दिया गया था और निर्णय निर्माण प्रक्रिया में बदलाव किए जाने से वैकल्पिक सत्ता केंद्र पैदा हो गए थे। दूसरी तरफ टाटा ने भावी सफलता के लिए मिस्त्री को हटाए जाने को जरूरी बताया है।
 

टाटा स्टील यूके का भविष्य 4 सप्ताह में होगा तय : टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन ब्रिटेन के इस्पात करोबार को समूह में बनाए रखना चाहते हैं और वह इस पर चार सप्ताह में फैसला कर लेंगे। यह बात यहां के एक प्रमुख समाचार पत्र 'गार्जियन' की एक रिपोर्ट में कही गई है। माना जा रहा है कि टाटा स्टील यूके पर आखिरी फैसला करने से पहले वह गहराई से समीक्षा करना चाहेंगे। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि टाटा ब्रिटेन के इस्पात कारोबार को समूह में बनाए रखना चाहते हैं।
टाटा संस की कंपनियों में चल रही उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को मिले एक पत्र के मुताबिक, टाटा संस ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाकर इशात हुसैन को उनकी जगह इस पद पर नियुक्त कर दिया है। इसके साथ ही मिस्त्री अब कंपनी के निदेशक मंडल के अध्यक्ष नहीं रहे। उनकी जगह इशात हुसैन नए चेयरमैन की नियुक्ति तक टीसीएस के अंतरिम चेयरमैन के पद पर बने रहेंगे। 
 
इशात हुसैन 1 जुलाई, 1999 को टाटा संस में बतौर एग्जिक्युटिव डायरेक्टर शामिल हुए थे। इसके पहले वह करीब 10 सालों तक टाटा स्टील में वाइस प्रेसिडेंट और एग्जिक्युटिव डायरेक्टर-फाइनैंस रहे हैं। इशात हुसैन ने टाटा संस लिमिटेड के फाइनैंस डायरेक्टर का पदभार भी संभाला हुआ है।
 
रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन ऑफ टाटा संस के मुताबिक कमेटी में रतन टाटा, अमित चंद्रा, रोनेन सेन, लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य और वेनु श्रीनिवासन शामिल हैं। बता दें कि इस कमेटी को अगले साल फरवरी - मार्च तक नए चेयरमैन का चुनाव करना है।
 
गुरुवार को हमला टाटा संस ने किया और सायरस मिस्त्री को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के चेयरमैन पद से हटा दिया। वहीं इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड के बोर्ड से भी उन्हें हटाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया। दूसरी ओर टाटा केमिकल्स के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने एकमत से मिस्त्री को सपॉर्ट करने का ऐलान कर दिया। 24 अक्टूबर को टाटा संस के चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटाया गया था। तब रतन टाटा को टाटा संस का अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था।
 
गुरुवार को टाटा संस ने रतन टाटा की विरासत पर मिस्त्री के सवालों का विस्तृत जवाब दिया। उसने मिस्त्री को टीसीएस के डायरेक्टर पद से हटाने के लिए शेयरहोल्डर्स की एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग बुलाने का नोटिस भी जारी किया। ऐसा ही कदम आईएचसीएल में उठाया गया। इस तरह टाटा संस ने टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों के बोर्ड से मिस्त्री को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
 
टीसीएस ने एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा कि उसे मेजॉरिटी शेयरहोल्डर और ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस से एक नोटिस मिला है, जिसमें इशात हुसैन को अंतरिम चेयरमैन नॉमिनेट किया गया है और मिस्त्री को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। मिस्त्री के करीबी सूत्रों ने इस कदम की निंदा की और कहा कि तय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
 
टीसीएस ने कहा, 'मिस्त्री अब कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन नहीं रह गए हैं और इशात हुसैन अब कंपनी के नए चेयरमैन हैं।' हुसैन को रतन टाटा का करीबी बताया जाता है। मिस्त्री के करीबी सूत्रों ने कहा, 'टीसीएस को बोर्ड मीटिंग बुलानी चाहिए थी और मीटिंग में बोर्ड में नॉमिनेशन की जानकारी रखनी चाहिए थी या एक सर्कुलर रिजॉल्यूशन के जरिए ऐसा करना था। ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। पहले से तय कदम के तहत सेम डेट के लेटर के जरिए टीसीएस ने सीधे ऐलान कर दिया कि मिस्त्री को हटा दिया गया है।'
 
टीसीएस के एक सूत्र ने कहा कि चेयरमैन को हटाने में तय प्रक्रिया का पालन किया गया। उन्होंने कहा, 'कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ असोसिएशन का आर्टिकल 90 बतौर मेजॉरिटी शेयरहोल्डर टाटा संस को चेयरमैन को नॉमिनेट करने का अधिकार देता है। इसी के मुताबिक कदम उठाया गया। टीसीएस के सभी बोर्ड मेंबर्स को टाटा संस के इस निर्णय की जानकारी दी गई थी कि इशात हुसैन को नया चेयरमैन नॉमिनेट किया जा रहा है।' उधर, टाटा केमिकल्स के इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों ने कहा कि पिछले साल अगस्त में इस कंपनी के चेयरमैन पद पर मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति को 97.64 पर्सेंट वोटों से मंजूरी दी गई थी।
 
कंपनी ने एक रिलीज में कहा, 'इसे देखते हुए इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों ने बोर्ड, उसके चेयरमैन और मैनेजमेंट पर एकमत से अपना भरोसा जताया।' एक्सपर्ट्स ने कहा कि मिस्त्री के लिए टीसीएस से अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देना मुश्किल होगा। प्रॉक्सी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के एमडी श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, 'टीसीएस में टाटा संस का स्टेक 50 पर्सेंट से ज्यादा है, लिहाजा ईजीएम में उसकी राय भारी पड़ी।'
 
टाटा संस और उसके फॉर्मर चेयरमैन सायरस मिस्त्री में गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर तकरार हुई। दोनों ने अक्टूबर में मिस्त्री को पद से हटाए जाने के अपने-अपने कारण बताए। टाटा संस ने कहा कि ग्रुप की प्रमुख कंपनियों के लगातार कमजोर प्रदर्शन के कारण मिस्त्री को हटाया गया। टाटा संस ने 9 पन्नों के लेटर में मिस्त्री पर यह आरोप भी लगाया कि वह होटल कंपनी इंडियन होटल्स और उसकी अहम प्रॉपर्टीज को अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश कर रहे थे।
 
टाटा संस ने कहा कि टाटा स्टील यूरोप, टाटा टेलिसर्विसेज और टाटा मोटर्स के कामकाज में मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं दिखा। टाटा संस ने आरोप लगाया कि मिस्त्री के कार्यकाल में ग्रुप पर कर्ज बढ़ा और रिटर्न घटा। मिस्त्री ने जवाब में कहा कि इस बयान में टाटा संस की हताशा झलक रही है। उन्होंने कहा कि बयान में जो वजहें गिनाई गई हैं, उनका जिक्र पिछले चार वर्षों के दौरान हुईं टाटा संस की बोर्ड मीटिंग्स के ब्योरे में नहीं है और इससे पता चलता है कि ये आरोप सही नहीं हैं।
 
टाटा के बयान में आरोप लगाया गया कि मिस्त्री ने ग्रुप का फाइनैंशल परफॉर्मेंस कमजोर किया और कर्ज बढ़ाया। बयान में कहा गया कि पिछले तीन वर्षों में ग्रुप ने हजारों करोड़ रुपये के राइट डाउन किए या इंपेयरमेंट के प्रावधान किए। इसमें कहा गया कि टाटा स्टील ने ब्रिटिश और यूरोपियन एसेट्स में अपने निवेश का बड़ा हिस्सा राइट ऑफ किया था।
 
बयान में कहा गया कि पिछले चार वर्षों में ग्रुप पर कर्ज 69,877 करोड़ रुपये बढ़कर 225,740 करोड़ रुपए हो गया। इसमें कहा गया कि कंपनियों की ओर से बड़े निवेश के बावजूद प्रॉफिट में रिटर्न दिख नहीं रहा था। इसमें कहा गया कि कलिंगनगर में स्टील प्लांट जैसे कुछ बड़े ग्रोथ प्रॉजेक्ट्स का परिणाम आने वाले वर्षों में सामने आएगा।
 
बयान में कहा गया कि टीसीएस की ग्रोथ में मिस्त्री का कोई योगदान नहीं था। टाटा संस ने मिस्त्री पर ग्रुप को कमजोर करने और उसे टीसीएस की ग्रोथ और उसके डिविडेंड पेमेंट्स पर ज्यादा निर्भर बनाने का आरोप लगाया। बयान में यह भी कहा गया कि शापूरजी ऐंड पालोनजी और टाटा संस के बीच 2012 से 2016 के बीच अनुचित संबंध रहा। 
 
इस पर मिस्त्री का कहना है कि यह ऐसा दुष्प्रचार है, जो न तो टाटा ग्रुप की मर्यादा के लायक है और न ही उनकी ओर से जवाब के लायक है। मिस्त्री खेमे ने कहा, 'यह सभी जानते हैं कि फॉर्मर चेयरमैन ने टाटा की सभी कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे एसपी ग्रुप के साथ नए कॉन्ट्रैक्ट्स न करें।'
 
टाटा ने यह आरोप भी लगाया कि इंडियन होटल्स में पिछले सप्ताह इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों ने एक प्रस्ताव पारित कर मिस्त्री को जो सपोर्ट दिया था, वह दरअसल फॉर्मर चेयरमैन का उस कंपनी पर कंट्रोल करने का प्रयास था।

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