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कोरोना से ठीक होने के बाद क्‍यों हो रहा ‘कोविडसोम्‍निया’, जानिए क्‍या है कारण और बचने के तरीके?

कोरोना से ठीक होने के बाद क्‍यों हो रहा ‘कोविडसोम्‍निया’, जानिए क्‍या है कारण और बचने के तरीके?
, सोमवार, 31 मई 2021 (13:26 IST)
कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में जो सबसे ज्‍यादा साइड इफेक्‍ट देखा जा रहा है वो है नींद नहीं आना। कोविड से ठीक होने के बाद कई लोगों में यह समस्‍या देखी जा रही है। मेड‍िकल भाषा में इसे कोविडसोम्‍निया कहा जा रहा है।

अमेरिकन एकेडेमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के हालिया अध्ययन में 70 फीसदी प्रतिभागियों ने ‘कोविडसोम्‍निया’ का शिकार होने की बात कही थी। 56 फीसदी ने माना था कि उनकी आधी रात करवटें बदलने में गुजर जाती है। 51 फीसदी ने गहरी नींद के लिए दवाओं और सप्लीमेंट का सहारा लेने का खुलासा किया था।
आइए कुछ आसान व्यायाम और ध्यान मुद्राओं पर नजर डालते हैं, जो स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का स्तर घटाकर आंखों में मीठी नींद भरने में कारगर हैं।

तनाव भी है कारण
-वरिष्ठ नींद विशेषज्ञ लुइस एफ ब्यूनेवर के मुताबिक अगर आप दर्द या तकलीफ में हैं या फिर जीवन में मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं तो आपके शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्त्राव सामान्य दिनों से अधिक होगा।

-कॉर्टिसोल मस्तिष्क में मौजूद पीनियल ग्रंथि में स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित करता है, मेलाटोनिन आंखों में मीठी नींद भरने के अलावा रक्तचाप और ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रखने के लिए जरूरी है।

योग-व्यायाम
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के नींद विशेषज्ञों के मुताबिक योग, ध्यान मुद्राएं, ताइची, नृत्य जैसी व्यायाम कलाएं श्वास एवं हृगयगति को नियंत्रित कर तन-मन को तनावमुक्त रखने की शरीर की प्राकृतिक क्रिया को बहाल करती हैं।

ऐसे करें सांसों का अभ्‍यास
-घर के किसी शांत कोने में फर्श/बिस्तर पर आंखें मूंदकर आरामदायक मुद्रा में बैठें या फिर लेट जाएं।
-अब पांच मिनट धीरे-धीरे सांस लें, सारा ध्यान सांसों पर केंद्रित करें, ताकि दिमाग इधर-उधर न भटके।
-ध्यान रखें कि सांस अंदर लेते समय पेट बाहर फूले और सांस बाहर छोड़ते समय पेट अंदर की ओर जाए।

बनाए रखें सकारात्मक विचार
-सामान्य श्वास क्रिया के बाद एक गहरी सांस भरते हुए सारी मानसिक चिंताओं को एक जगह केंद्रित कर दोनों नासिकाओं से धीमे-धीमे श्वास छोड़ते हुए मन से बाहर निकाल दें।
-अब मन में कुछ सकारात्मक विचार लाते हुए मस्तिष्क को पहुंचे सुकून की अनुभूति करें, इसके बाद शरीर के उन अंगों से जुड़े अभ्यास करें, जहां मांसपेशियों में तनाव महसूस हो रहा।

मांसपेशियों का घटाएं तनाव
-दस बार-बार गर्दन ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं घुमाएं, मुट्ठी बांधें और खोलें, मुट्ठी बांधते हुए कलाइयों को गोल-गोल घुमाएं, उंगलियों को मिलाकर दोनों कंधे पर रखें और हाथ गोल-गोल घुमाएं।
-इसके बाद पैरों को घुटने से मोड़ते हुए वज्रासन मुद्रा में बैठें, श्वास भरते हुए दोनों हाथ ऊपर ले जाएं और श्वास छोड़ते हुए आगे झुक जाएं, हथेलियों को फर्श पर टिकाते हुए आगे झुक जाएं, दो मिनट इसी मुद्रा में रहें।

ऐसे रहे तनावमुक्त
-20 से 25 मिनट श्वास क्रियाएं और मांसपेशियों में तनाव घटाने वाले व्यायाम करें।
-02 हफ्ते में ही तनावग्रस्त से तनावमुक्त बनने का सफर तय करने में मदद मिलेगी।

काम की बात
-सोने और उठने का समय निर्धारित करें, दिन में गहरी नींद लेने से बचें।
-सोने के समय से एक से डेढ़ घंटे पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर दें।
-कमरे में पूरी तरह से अंधेरा रखें, तापमान 16 से 19 डिग्री सेल्सियस के बीच रखें।
-सोने से पहले गुनगुने पानी से नहाना, गुनगुने दूध का सेवन करना भी फायदेमंद रहेगा।
-रात में एक्शन फिल्में, क्राइम शो न देखें, ‘कॉर्टिसोल’ का स्तर बढ़ने से ‘मेलाटोनिन’ का उत्पादन बाधित होता है।

किताबें पढ़ना फायदेमंद
-स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ के स्त्राव में पसंदीदा किताब के पन्ने पलटने पर 68% कमी आती है।
-इसमें 61% गिरावट संगीत सुनने, 54% गुनगुना दूध पीने, 42% चहकदमी करने पर दर्ज की गई।

(ससेक्स यूनिवर्सिटी के साल 2020 के अध्ययन के आधार पर)

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