सूरत। कोविड-19 महामारी (Covid-19) ने लोगों को तन, मन और धन तीनों से ही तोड़कर रख दिया है। महामारी के इलाज में लगने वाले खर्च ने जहां लोगों को आर्थिक रूप तोड़ा दिया है, वहीं परिजनों का असमय बिछोह भी उन्हें झेलना पड़ रहा है। उनके मन पर लगे 'घाव' शासन-प्रशासन किसी को भी नजर नहीं आ रहे हैं।
मीडिया में संख्या भले ही कुछ भी देखने को मिले, लेकिन कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा क्या हो सकता है, उसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि सूरत में कुछ शवदाह गृहों में लगातार शवों के आने से धातु की भट्ठियां भी पिघल रही हैं या उनमें दरार आ गई है।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह से शवों को जलाने के लिए कुरुक्षेत्र शवदाह गृह और अश्विनी कुमार शवदाह गृह में गैस आधारित भट्ठियां लगातार चालू हैं, जिससे रखरखाव के काम में दिक्कतें आ रही हैं। पिछले दो दिनों में कोविड-19 से सूरत शहर में हर दिन 18-19 लोगों की मौतें हुई हैं।
शवदाह गृह का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष कमलेश सेलर ने बताया कि पिछले साल कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत होने के पहले कुरुक्षेत्र शवदाह गृह में हर दिन करीब 20 शवों का अंतिम संस्कार होता था। अब यह संख्या बढ़ गई है। फिलहाल रोज करीब 100 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है।
सेलर ने कहा कि शवदाह गृह में 6 गैस भट्ठी 24 घंटे जल रही हैं और तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि इस कारण से लोहे की भट्ठी और चिमनी पिघलने लगी हैं और गर्मी के कारण इसमें दरार आ रही है। मशीन के इन हिस्सों को बदलना पड़ेगा।
सूरत में सबसे पुराने अश्विनी कुमार शवदाह गृह में भी इसी तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं और इसके प्रबंधन ने गैस भट्ठियों के रख-रखाव संबंधी मुद्दों के कारण शवों को जलाने के लिए लकड़ी की चिताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है।
शवदाह गृह के प्रबंधक प्रशांत कबरावाला ने कहा कि हम 10 गैस भट्ठियों का संचालन करते हैं। इसके अलावा 3 स्थानों पर लकड़ियों से शवों का अंतिम संस्कार होता है। इससे पहले हर दिन 30 शवों का दाह-संस्कार होता था। अब 90-95 शवों का दाह संस्कार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भट्ठियों के लगातार जलते रहने से उनमें कुछ की संरचना पिघल गई। अत्यधिक तापमान के कारण कुछ पाइप और चिमनी भी टूट गईं। कबरावाला ने कहा कि हाल में चार में से दो भट्ठियों में ताप रोधी ईंट लगाई गई थी जो कि कुछ समय से बंद हैं। रख-रखाव का काम करने वाले हमारे इंजीनियर हर दिन शवदाह गृह आकर दिक्कतें दूर करते हैं।
उन्होंने कहा कि रख-रखाव से जुड़े कार्य में लगातार दिक्कतें होने के कारण दो जगह और लकड़ियों की चिता की व्यवस्था करने का फैसला किया गया है। (भाषा/वेबदुनिया)