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CBI में घमासान, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत घोटाले में FIR दर्ज

CBI में घमासान, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत घोटाले में FIR दर्ज
, सोमवार, 22 अक्टूबर 2018 (09:40 IST)
नई दिल्ली। सीबीआई ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ मांस कारोबारी को क्लीन चिट देने के मामले में 3 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
 
अस्थाना सीबीआई में जांच एजेंसी के प्रमुख आलोक वर्मा के बाद दूसरे नंबर के अधिकारी हैं। आरोप है कि उन्होंने रिश्वत लेकर मोइन कुरैशी को क्लीन चिट दिलाई। मोइन पर मनीलांड्रिंग और भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं।
 
अस्थाना ने आलोक वर्मा पर लगाए थे आरोप : अस्थाना ने कैबिनेट सचिव और केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखकर सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के कम से कम 10 मामलों का जिक्र किया था। 
 
इसी मामले में अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए दो महीने पहले कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखा था। 24 अगस्त को लिखे इस पत्र में अस्थाना ने उन दस मामलों कीजानकारी दी थी, जिसमें उन्हें लगता था कि एजेंसी प्रमुख आलोक वर्मा ने भ्रष्टाचार किया है। 
 
अस्थान ने मोइन मामले में वर्मा पर दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था। यह रुपए सतीश साना के जरिए लिए गए। कैबिनेट सेक्रेटरी ने इसी शिकायती पत्र को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के पास जांच के लिए भेजा था।
 
इसके बाद अस्थाना ने सीवीसी को 19 अक्टूबर को पत्र लिखकर कहा कि वह जांच आगे बढ़ाने के लिए साना को गिरफ्तार करना चाहते हैं। उन्होंने इस संबंध में वर्मा को 20 सितंबर को पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। 
 
बिचौलिया बना था साना : अस्थाना पर ये मुकदमे सतीश साना की शिकायत पर दर्ज किए गए। बताया जाता है कि साना ही वह बिचौलिया था, जिसने मोईन को क्लीन चिट दिलाने में भूमिका निभाई थी। 
 
सीबीआई ने किया वर्मा का बचाव : सीबीआई ने अपने निदेशक आलोक वर्मा का विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के आरोपों से बचाव करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मिथ्या और दुर्भावनापूर्ण हैं। सीबीआई ने अस्थाना ने खिलाफ रिश्वत का मामला दर्ज किया है। 
 
सीबीआई के प्रवक्ता ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि सतीश साना के खिलाफ एलओसी जारी होने की जानकारी सीबीआई के निदेशक को नहीं थी, जैसे आरोप सही नहीं हैं।
 
उन्होंने कहा कि डीसीबीआई ने 21 मई 2018 को एलओसी जारी करने के प्रस्ताव को देखा और उसे ठीक भी किया था। उन्होंने कहा कि आरोप कि सीबीआई के निदेशक ने साना की गिरफ्तारी को रोकने का प्रयास किया था, पूरी तरह से झूठ और दुर्भावनापूर्ण है।

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