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क्या है चुनाव परिसीमन और क्यों है सुर्खियों में?

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बुधवार, 5 जून 2019 (18:45 IST)
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव क्षेत्र परिसीमन का मुद्दा गरमाया हुआ है। हालांकि गृह मंत्रालय ने परिसीमन संबंधी खबरों का खंडन किया है। इसके बावजूद लोगों के मन में यह सवाल तो है ही कि आखिर यह चुनाव परिसीमन क्या है और कैसे होता है?
 
परिसीमन का अर्थ : परिसीमन आयोग को भारतीय सीमा आयोग भी कहा जाता है। परिसीमन से तात्पर्य किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं (राजनीतिक) का रेखांकन है। अर्थात इसके माध्यम से लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की हदें तय की जाती हैं। 
 
संविधान के अनुच्छेद 82 के मुताबिक, सरकार हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है। इसके तहत जनसंख्या के आधार पर विभिन्न विधानसभा व लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण होता है। जनसंख्या के हिसाब से अनुसूचित जाति-जनजाति सीटों की संख्या बदल जाती है।
 
परिसीमन का उद्देश्य : ताजा जनगणना के आधार पर सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों की पुनः सीमाएं निर्धारित करना। हालांकि अब नई जनगणना 2021 में होगी। सीमाएं पुनर्निर्धारण में जनप्रतिनिधियों (सीटों) की संख्या यथावत रहती है अर्थात इनमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं होता। अनुसूचित जाति और जनजाति की विधानसभा सीटों का निर्धारण क्षेत्र की जनगणना के अनुसार होता है।
परिसीमन के चलते जातिगत आधार पर सीटों की संख्‍या कम या ज्यादा होती है। अंतिम परिसीमन के मुताबिक अनुसूचित जाति और जनजाति की सीटें भी बढ़ी हैं और इनकी संख्या बढ़कर 125 हो गई। इसके चलते कई मौजूदा सांसदों को अपनी सीटें छोड़नी पड़ीं। इनमें पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल और लोकसभा अध्यक्ष स्व. सोमनाथ चटर्जी भी शामिल हैं।
 
परिसीमन आयोग का अध्यक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त होता है। वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा इस आयोग के अध्यक्ष हैं। वहीं राज्य के चुनाव आयुक्त इसके सदस्य होते हैं।
 
पहली बार परिसीमन आयोग : भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इसके बाद 1963,1973 और 2002 में परिसीमन आयोग गठित किए जा चुके हैं। 2002 के बाद परिसीमन आयोग गठन नहीं हुआ।
 
भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया।

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