नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिजलाइन के मुखपारी स्थित एक भारतीय चौकी की ओर सोमवार शाम में बढ़ने का प्रयास करने वाले चीनी सैनिकों ने छड़, भाले, रॉड और धारदार हथियार ले रखे थे। यह बात सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कही।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ने के बीच सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लगभग 50-60 सैनिक शाम 6 बजे के आसपास पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट स्थित भारतीय चौकी की ओर बढ़े लेकिन वहां तैनात भारतीय सेना के जवानों ने दृढ़ता से उनका सामना किया, जिससे उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़पों के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। सूत्रों ने कहा कि सोमवार शाम में भी चीन के सैनिक छड़, भाले, रॉड और धारदार हथियार ले रखे थे।
जब भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है। इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई थी। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने किसी आग्नेयास्त्र का इस्तेमाल नहीं किया।
सूत्रों ने कहा कि चीन के सैनिकों का प्रयास भारतीय सेना को मुखपारी और रेजांग-ला क्षेत्रों में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों से हटाना था।
सूत्रों ने कहा कि पीएलए की नजर पिछले तीन-चार दिनों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जे पर है। सूत्रों ने बताया कि चीन के सैनिकों ने सोमवार शाम में एक लोहे की बाड़ को क्षतिग्रस्त कर दिया जिसे भारतीय सैनिकों ने क्षेत्र में लगाया था।
मोल्डो क्षेत्र स्थित प्रमुख चीनी संरचनाओं के सामने पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट के आसपास रणनीतिक चोटियों पर भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है।
पीएलए ने सोमवार रात में आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास ‘गोलीबारी की।’ भारतीय सेना ने मंगलवार को आरोपों को खारिज किया। (भाषा) (Photo courtesy : Twitter)