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चीन ने पैंगोग में उतारी असॉल्ट मोटरबोट, भारत ने शुरू की जवाबी कार्रवाई

चीन ने पैंगोग में उतारी असॉल्ट मोटरबोट, भारत ने शुरू की जवाबी कार्रवाई

सुरेश एस डुग्गर

, सोमवार, 21 सितम्बर 2020 (16:40 IST)
जम्मू, 21 सितम्बर। लद्दाख में एलएसी पर दोनों देशों के बीच बने हुए तनातनी के माहौल को शांत करने के लिए जनरल स्तर की बातचीत के बीच यह खबर चौंकाने वाली है कि चीन ने अपनी नौसेना को भी पैंगोंग झील में अत्याधुनिक असाल्ट मोटरबोटों के साथ उतारा है।
 
इसकी पुष्टि विश्व की नौसेनाओं के प्रति जानकारी देने वाली वेबसाइट नेवलन्यूज डॉट कॉम ने दी है। उसके मुताबिक, चीन ने हाल ही में तैयार की गईं 928-डी नामक असाल्ट अत्याधुनिक मोटरबोटों को पैंगोंग झील में तैनात किया है, जो देखने में छोटी लेकिन बेहतरीन हमलावर मोटरबोट मानी जाती हैं।
 
क्ये मोटरबोट की खूबी : इसमें एक समय पर 11 नौसनिकों को ले जाया जा सकता है तथा इसमें तीन मशीनगनों को तैनात करने की पोजिशनें भी हैं। जबकि यह प्रति घंटे 38.9 नाट की स्पीड से चलती है। वेबसाइट के बकौल, पिछले हफ्ते ही लाल सेना ने ऐसी 6 मोटर बोटों को फिंगर चार के एरिया में तैनात किया है, जबकि फिंगर चार व पांच के बीच इसके लिए नया डाकयार्ड भी तैयार किया जा रहा है जहां अन्य तैनात की जाने वाल ऐसी की मोटरबोटों को रखा जाएगा। वेबसाइट ने सूचना दी है कि चीनी सेना करीब दो दर्जन ऐसी मोटरबोटों को 300 से अधिक नौसैनिक कमाडों के साथ तैनात करने की तैयारी में है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, चीन की ओर से पैंगोंग झील में नौसैनिकों की बढ़ाई जा रही संख्या चिंताजनक है जिसको देखते हुए भारत ने भी नौसैनिकों की संख्या को बढ़ाने का फैसला किया है। अभी तक इस इलाके में सिर्फ थल सेना की ही तैनाती पर जोर दिया जा रहा था। लेकिन सूचनाएं कहती हैं कि समुद्र के समान झील की रक्षा की खातिर अब नौसेना को भी कूदना पड़ रहा है क्योंकि सारा झगड़ा इस झील के किनारे वाली पहाड़ियों पर कब्जों का ही है।
 
हालांकि 140 किमी से अधिक लंबी पैंगोंग झील का 70 परसेंट से अधिक भाग चीन के कब्जे में है, लेकिन फिर भी भारत ने मारकोस कमांडों की टुकड़ियों को कश्मीर के वुल्लर झील के इलाके से पैंगोंग में स्थानांतरित करना आरंभ कर दिया है, जो झील में भारतीय इलाके में गश्त करने के अतिरिक्त हमले की स्थिति में भारतीय सेना के जवानों की सहायता भी करेंगे। जानकारी के लिए पैंगोंग झील की चौड़ाई कहीं पर कम से कम 2 किमी है और कहीं पर यह 7 किमी के दायरे तक फैली हुई है।
 

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