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नकदी संकट ने बढ़ाई परेशानी, जानिए पांच बड़े कारण...

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मंगलवार, 17 अप्रैल 2018 (14:36 IST)
देश के कई राज्यों में जारी नकदी संकट की वजह से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पैसों के अभाव में एटीएम सूखे पड़े हैं। कई एटीएमों पर नो कैश का बोर्ड लगा दिया गया है। लोग नकदी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा कि कुछ जगह कैश की कमी है। आरबीआई ने काम करना शुरू कर दिया है। दो दिन में यह परेशानी खत्म हो जाएगी। आइए जानते हैं क्या है नकदी संकट के पीछे के प्रमुख कारण...  
 
2000 के नोटों ने बढ़ाई परेशानी : बैंकों का यह मानना है कि 2000 के नोट की जमाखोरी हो रही है। लोग न तो इस नोट को बाजार में ज्यादा चला रहे हैं और न इसे बैंकों में जमा कर रहे हैं। इस वजह से किल्लत बढ़ गई है। आरबीआई से भी 2000 के नोट नहीं आने से स्थिति विकट हो गई। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने तो इसे साजिश भी करार दिया है। 
 
छोटे नोटों की किल्लत : बैंकों के पास 500 के नोट तो भरपूर मात्रा में हैं और बैंकों को केवल इसी का आसरा है। एटीएम से 2000 के नोट नदारद हैं। सौ के नोटों की कमी ने एटीएम का हाल बेहाल कर दिया है। नए नोट आ नहीं रहे हैं और पुराने इस स्थिति में नहीं है कि एटीएम में डाले जा सकें।
 
कुछ जगह ज्यादा कैश, कुछ जगह पैसों की कमी : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दावा किया है देश में पर्याप्त मात्रा में नकदी उपलब्ध है। कुछ जगहों पर अचानक मांग बढ़ने से नकदी की कमी हो गई। इस पर जल्द ही नियंत्रण पाया जाएगा। आरबीआई और सरकार ने समितियां बनाई है जो एक राज्य से दूसरे राज्यों में नकदी हस्तांतरित करेगी। 
 
ऑनलाइन लेन-देन को बढ़ावा देने की पॉलिसी : लोग धीरे-धीरे वापस नकद लेन-देन की और लौट रहे हैं और रिजर्व बैंक चाहता है कि ऑनलाइन लेन-देन को बढ़ावा दिया जाए। कहा जा रहा है ‍कि रिजर्व बैंक इसके लिए बैंकों पर दबाव बना रहा है। इसके लिए कृत्रिम संकट खड़ा किया जा रहा है। इसी क्रम बैंकों को चेस्ट सेंटर से कम पैसा दिया जा रहा है। 
 
खबर का असर : नकदी संकट की खबर तेजी से बाजार में फैली और लोग अपने नजदीकी एटीएम पर टूट पड़े। जितना कैश वे निकाल सकते थे उतना उन्होंने तुरंत निकाल लिया। इससे उन एटीएम मशीनों से भी लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा जिनमें पैसे आसानी से मिल जाते हैं। जिन्हें पैसों की आवश्यकता नहीं थी उन्हें तो पैसा मिल गया जबकि जरूरतमंद पैसों के लिए भटकते ही रह गए। 

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