भारत के सिक्किम के करीब भूटान के डोकलाम में भारतीय सैनिक और चीनी सैनिक पिछले महीनों से भी ज्यादा वक्त से नॉन कॉम्बैटिव मोड में आमने सामने डटे हुए हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव लगातार चला आ रहा है। इस बीच यह खबर आई है कि चीन के दुश्मन नंबर वन वियतनाम ने कथित तौर पर भारतीय ब्रह्मोस सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल का अधिग्रहण किया है। निश्चित ही चीन इस खबर से गुस्से में आ जाएगा।
ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक माना जाता है और माना जा रहा है कि वियतनाम इस मिसाइल को चीन के खिलाफ समंदर में तैनात कर सकता है। उल्लेखनीय है कि चीन और वियतनाम के बीच भी दशकों से तनातनी बरकरार है। दक्षिणी चीन सागर विवाद पर वियतनाम और चीन में हमेशा ठनती रही है।
हालांकि, भारत ने मिसाइल बिक्री पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है और इसका विवरण भी अब तक उपलब्ध नहीं हो सका है कि वियतनाम को बेची गई मिसाइल का कितना मूल्य है या कितनी मिसाइल प्रणाली सौदे में शामिल है। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने वियतनाम को ब्रह्मोस बेचे जाने से इनकार किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालांकि वियतनाम के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ली थी हू हैंग ने कहा कि यह रक्षा खरीद वियतनाम की शांति नीति और आत्मसुरक्षा के लिए है और यह राष्ट्रहित में उठाया गया सामान्य कदम है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों में सुरक्षा की दृष्टि से किए गए समझौते और रीजन में शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया कदम है।
चीन के खिलाफ भारत हमेशा से वियतनाम को मदद करता रहा है। इसके अलावा भारत वियतनाम को आकाश मिसाइल देने पर भी विचार कर रहा है, वहीं सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों भी प्रशिक्षण देगा। (एजेंसी)