Minister Ranjit Singh Chautala resigns: विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) से पहले हरियाणा भाजपा में बगावत थमने के नाम नहीं ले रही है। विधानसभा के लिए जारी भाजपा की पहली सूची का बात तो भाजपा नेताओं की बगावत खुलकर सामने आ गई है। टिकट नहीं मिलने से नाराज हरियाणा सरकार में मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। जल्द ही वे पार्टी को भी बाय-बाय बोल सकते हैं। चौटाला रनिया सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। दूसरी ओर, भाजपा के एक अन्य नेता करणदेव कंबोज ने पार्टी पर यह कहते हुए निशाना साधा कि अब भाजपा में भी 'कांग्रेस कल्चर' आ गया है।
हर हाल में रनिया से चुनाव लड़ूंगा : पूर्व डिप्टी सीएम चौधरी देवीलाल के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भाई रणजीत ने मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कहा कि वह हर हाल में रनिया सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। चौटाला 2019 को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रनिया से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्तमान विधायक होने के नाते रनिया से उनका दावा सबसे मजबूत था, लेकिन भाजपा ने उनको किनारे कर दिया। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में रणजीत सिंह कांग्रेस के जयप्रकाश के मुकाबले चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में उनकी 2 बहुएं भी उनके खिलाफ मैदान में थीं। कहा जा रहा है कि चौटाला कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। वे पहले भी कांग्रेस में रह चुके हैं।
क्या कहते हैं एक और बागी कंबोज : भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री और हरियाणा भाजपा ओबीसी मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष कर्णदेव कंबोज ने कहा कि मैं और मेरा परिवार जनसंघ के जमाने से ही भाजपा का हिस्सा रहे हैं। मैंने पार्टी के लिए बहुत ही समर्पण के साथ काम किया है। अब भाजपा में भी कांग्रेस संस्कृति आ गई है।
उन्होंने कहा कि बाहरी व्यक्तियों को भाजपा में शामिल कर विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया गया। मैंने 5 साल काम किया और अधिकतम ओबीसी समुदाय को भाजपा में शामिल कराया। यह बाकी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ धोखा है। हम इसका विरोध करेंगे। कंबोज ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है और भाजपा का सपना, सपना ही रह जाएगा। इससे पहले भाजपा किसान मोर्चे के अध्यक्ष सुखविंदर मांडी और रतिया से विधायक लक्ष्मण नापा पार्टी छोड़ चुके हैं।
क्या बागियों को मना पाएगी भाजपा : इस बीच, भाजपा ने अपने नेताओं को मनाने के प्लान पर काम शुरू कर दिया, लेकिन उसके सफल होने की उम्मीद कम ही है। पार्टी का मानना है कि 1-2 दिन के बाद बागियों को मना लिया जाएगा। दिल्ली के साथ स्थानीय नेता भी बागी नेताओं को मनाने का प्रयास करेंगे। कुछ हद तक तो प्रयास शुरू भी किए जा चुके हैं। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि क्या बागियों को मना पाएगी भाजपा?
Edited by: Vrijendra Singh Jhala