बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कल्याणसिंह समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस फैसले से भाजपा में जहां जश्न का माहौल देखा गया, कांग्रेस ने किया विरोध। आडवाणी के घर में जहां मिठाइयां बांटी गईं, बाबरी विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याणसिंह ने अस्पताल में मिठाई खाकर जश्न मनाया। कल्याण कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती हैं।
आडवाणी ने अपने आवास पर कहा कि आज का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हम सब के लिए खुशी का दिन है। लम्बे समय के बाद अच्छा समाचार आया है। हमने जय श्रीराम कहकर इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि वह हृदय से इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह फैसला श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर मेरे निजी और भाजपा के विश्वास एवं प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है।
एक अन्य मुख्य आरोपी डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे प्रमाणित हुआ है कि 6 दिसंबर की अयोध्या की घटना में कोई षड्यंत्र नहीं था। हमारा कार्यक्रम और रैली षड्यंत्र का हिस्सा नहीं था। सभी लोग राम मंदिर के निर्माण को लेकर अब उत्साहित हैं।
रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने कहा कि लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह , सुश्री उमा भारती समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का वह स्वागत करते हैं।
इससे पूर्व सीबीआई के विशेष जज सुरेन्द्र कुमार यादव ने माना कि विवादित ढांचा गिराए जाने में कोई षड्यंत्र नहीं था। कार सेवा के नाम पर लाखों लोग अयोध्या में जुटे थे और उन्होंने आक्रोश में विवादित ढांचा गिराया। विशेष जज का यह भी कहना था कि ऑडियो टेप के साथ छेड़छाड़ की गई। प्रस्तुत किए गए फोटोग्राफ के निगेटिव नहीं दिए गए। इससे साबित होता है कि विवादित ढांचा गिराने के मामले में आरोपियों का कोई हाथ नहीं था।
सीबीआई जज ने कहा कि जो कुछ हुआ वो अचानक था और किसी भी तरह से पूर्व नियोजित नहीं था। मुस्लिम पक्ष की ओर से मुकदमा लड़ने वाले इकबाल अंसारी ने कहा कि अदालत के फैसले का वो सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब पिछले साल 9 नवम्बर को जब राम मंदिर के पक्ष में फैसला दे दिया तो इस मुकदमे का ऐसे भी कोई मतलब नहीं रह गया था।
दूसरी मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले तथा संविधान की परिपाटी से अलग है। उन्होंने कहा कि ढांचा गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था और उच्चतम न्यायालय ने भी इसे गैरकानूनी करार दिया था, लेकिन विशेष अदालत का निर्णय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के प्रतिकूल है।