तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अवधेश प्रसाद का नाम डिप्टी स्पीकर पद के लिए सुझाया है। कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा शरद पवार समेत इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल अवधेश प्रसाद पर सहमत नजर आ रहे हैं।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस पहले डीके सुरेश को डिप्टी स्पीकर का दावेदार बनाना चाहती थी, लेकिन वह अवधेश प्रसाद के नाम पर भी सहमत है।
विपक्ष डिप्टी स्पीकर पद पर परंपरागत रूप से अपनी दावेदारी मान रहा है। हालांकि कहा जा रहा है कि यदि चुनाव हुए तो अवधेश ही इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार होंगे।
क्यों महत्वपूर्ण है डिप्टी स्पीकर : संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि डिप्टी स्पीकर का चयन होना ही चाहिए। सदन के दो सदस्यों का चयन स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के रूप में होना संविधान के अनुसार अनिवार्य है। अनुच्छेद 94 के मुताबिक अगर स्पीकर अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो इस्तीफे में उन्हें डिप्टी स्पीकर को संबोधित करना होता है।
संविधान के अनुच्छेद 95 के अनुसार, डिप्टी स्पीकर लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उनकी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करता है। अगर डिप्टी स्पीकर का पद ख़ाली रहा तो उस स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा के एक सांसद को ये काम करने के लिए चुनते हैं।
1969 तक कांग्रेस के पास था यह पद : 1969 तक कांग्रेस की सत्ता में भी कांग्रेस ये दोनों पद अपने पास ही रखती थी लेकिन साल 1969 में ये चलन बदल गया। कांग्रेस ने ऑल पार्टी हिल लीडर्स के नेता गिलबर्ट जी स्वेल को यह पद दिया। आजाद भारत के इतिहास में 17वीं लोकसभा में पहली बार डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा।
Edited by : Nrapendra Gupta