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राफेल पर अरुण जेटली का कांग्रेस पर हमला, झूठ बोलने वालों की हार हुई

राफेल पर अरुण जेटली का कांग्रेस पर हमला, झूठ बोलने वालों की हार हुई
, शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018 (16:39 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राफेल डील के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस द्वारा राफेल पर जनता के बीच झूठ फैलाए जाने पर हमला बोला। अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने राफेल डील पर झूठ फैलाया। झूठ की उम्र बहुत कम होती है। झूठ बोलने वालों की हार हुई। कोर्ट ने माना कि राफेल डील के लिए 74 मीटिंग हुई।
 
 
अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाए थे। यूपीए से सस्ती डील मोदी सरकार में हुई थी। राफेल पर सरकार की सभी दलील सही साबित हुई। साबित हो गया है कि देशहित में हुई राफेल डील।


भाजपा का आरोप है कि राफेल डील पर राहुल गांधी ने देश की जनता के बीच झूठ फैलाया इसके लिए उन्हें देश के सामने माफी मांगना चाहिए। भाजपा के अमित शाह के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस दौरान दोनों ने मिलकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी पर वार करते हुए अरुण जेटली ने कहा, 'झूठ का जीवन बहुत छोटा होता है। इस मामले में कुछ महीना था। झूठ अपने निर्माता की विश्वसनीयता को कम करता है।' 
 
 
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अरुण जेटली ने कहा कि राफेल पर झूठ फैलाने वालों की हार हुई है। सच और झूठ में बुनियादी फर्क होता है। अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि कोर्ट ने कहा कि हमने सारे दस्तावेज देखें है सारी प्रक्रिया ठीक ढंग से फॉलो की गई है।
 
 
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए कहा कि राफेल डील की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं रही। अदालत ने कहा कि इस मामले में प्रक्रिया पर सवाल उठाना सही नहीं है। अदालत के इस फैसले से कांग्रेस की राफेल पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर बड़ा झटका लगा है।

 
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सौदे की प्रक्रिया की वैधता को चुनौती देने वाली सभी छह याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसे सौदे में कोई अनियमितता नजर नहीं आई। शीर्ष अदालत ने राफेल लड़ाकू विमान को देश की जरूरत बताते हुए याचिकाएं ठुकराईं।
 
 
न्यायमूर्ति गोगोई ने फैसला सुनते हुए कहा सितंबर 2016 में जब राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था, उस वक्त किसी ने खरीद प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाए थे। उन्होंने कहा, 'हमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।' न्यायालय ने कहा के राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर निर्णय लेना अदालत का काम नहीं है।
 
शीर्ष अदालत ने माना कि भारतीय वायुसेना में राफेल की तरह के चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है। पीठ ने कहा, 'देश को चौथी एवं पांचवी पीढ़ी लड़ाकू विमानों की जरूरत है, जो हमारे पास नहीं है और देश लड़ाकू विमानों के बगैर नहीं रह सकता।' न्यायालय ने कहा कि उसे राफेल खरीद सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नजर नहीं आता।
 
 
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासन काल में 126 लड़ाकू विमान खरीदे जाने के बजाय मोदी सरकार द्वारा केवल 36 लड़ाकू विमान खरीदे जाने को लेकर उठाए गए सवालों पर न्यायालय ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
 
 

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