Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

आख़िर अर्णब को टाइम्स नाउ क्यों छोड़ना पड़ा?

नेशन वॉन्ट्स टू नो

WD
मंगलवार, 1 नवंबर 2016 (19:49 IST)
हाँ, ये तो ऐसा सवाल है जो हर कोई जानना चाहता है.... द नेशन वॉन्ट्स टू नो!!! जंगल की आग की तरह ये ख़बर फैलनी थी सो फैली। ट्विटर पर #ArnabGoswami ट्रेंड करने लगा। करना ही था। ऐसे कई हैश टैग इस पत्रकार और न्यूज़ एंकर ने पिछले कुछ सालों मे ट्रेंड करवाए हैं। जितने मुँह, उतनी बातें। पर सवाल एक ही, क्यों छोड़ा और आगे क्या करेंगे? #अर्णबगोस्वामी
 
पूरी टीम के सामने घोषणा
 
अर्णब के टाइम्स नाउ छोड़ने की अटकलें तो लगातार चल रही थीं, पर वो ज़्यादातर अफवाह ही साबित हो रही थी। पर आज 1 नवंबर 2016 की शाम अचानक मीडिया जगत और फिर सोशल मीडिया में हलचल मच गई जब ये पता चला कि अटकलें ठीक थीं। ख़ुद अर्णब गोस्वामी अपनी पूरी टीम के सामने ये घोषणा की। उन्होंने अपने मुंबई दफ्तर में यह घोषणा की। नोएडा के साथी वीडियो कॉल के जरिए जुड़े थे। जानकारी के मुताबिक अर्णब ने एक घंटे से अधिक समय तक अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने टाइम्स नाउ पर प्राइम टाइम की परिभाषा बदली। आगे ख़बरों की दुनिया कैसी रहने वाली है। उन्होंने ये भी कहा कि वो अंग्रेज़ी ख़बरों की दुनिया के प्राइम टाइम पर राज करते रहेंगे। कैसे – ये पूरा ख़ुलासा उन्होंने नहीं किया।
अर्णब और न्यूज़ अवर का तिलिस्म
 
इसमें कोई शक नहीं कि अर्णब गोस्वामी एक जीवित किंवदंती बन गए हैं। वो और उनका न्यूज़ अवर प्राइम टाइम में अंग्रेज़ी ख़बरिया चैनलों की कि रैंकिंग में लगातार शीर्ष पर बना रहा। इसके क्या मायने हैं, अंग्रेज़ी का प्राइम-टाइम कुल कितने लोग देखते हैं, हिन्दी के सातवें नंबर के चैनल की भी दर्शक संख्या उससे ज़्यादा होगी, पर लोग ये सब नहीं जानना चाहते। “लोगों” के लिए अर्णब गोस्वामी एक मिथक बन गए। एक जीता -जागता मिथक। किन लोगों के लिए? उन लोगों के लिए जो “निर्णायक कुर्सियों”पर बैठे हैं। और निर्णायक कुर्सी पर बैठे लोगों को कौन-सी भाषा समझ में आती है? – अंग्रेज़ी। तो जाहिर है निर्णायक कुर्सी पर बैठे लोगों की चर्चा ने अर्णब गोस्वामी के मिथक को लगातार बड़ा किया। किसी ने नफरत की तो किसी ने प्यार किया, पर वो सब मिथक को बड़ा करने में ही योगदान दे रहे थे। इधर हिन्दी की दर्शक संख्या अंग्रेज़ी के सारे प्राइम टाइम से कई गुना ज़्यादा होने के बाद भी यहाँ दो बातें हुईं, एक तो यहाँ कोई अमिताभ बच्चन स्टाइल का एंग्री यंग मैन नहीं हुआ जो अपने नवाचार से हिन्दी पट्टी का दिल जीत ले, कुछ धाँसू संवाद बोले, कुछ अध्ययन करे, कुछ नयापन लाए। दूसरा – हिन्दी वालों के लिए भी निर्णय लेने वाले वो ही अंग्रेज़ीदाँ लोग थे जो अर्णब गोस्वामी के मिथक की पूजा करने लगे थे। बस फिर क्या था – सारे निर्णायक कक्षों में और न्यूज़ रूम्स पर अर्णब गोस्वामी का ख़ौफ़ तारी हो गया। चैनलों की प्लानिंग ही अर्णब को लेकर होने लगी।
 
सही समय पर सही कदम
 
इन दिनों अर्णब गोस्वामी की कुछ ज़्यादा ही चर्चा और आलोचना हो रही थी। वो एक तरह से अपने न्यूज़ अवर में पाकिस्तान के ख़िलाफ जंग छेड़े बैठे थे। अन्य जो मुद्दे उन्होंने उठाए उनको लेकर भी यही कहा जाता रहा कि वो सरकार की गोद में बैठे हुए हैं। यहाँ तक कि उनके और बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई के बीच इस सब को लेकर ख़ूब शाब्दिक जंग हुई। अर्णब एक पत्रकार और एंकर होने के साथ ही समझदार प्रोफेशनल भी लगते हैं। तभी तो उन्होंने अपनी प्रसिद्धि के शीर्ष पर अपनी इस भूमिका को अलविदा कहते हुए नई ज़िम्मेदारी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। ताकि वो ढलान पर जाने से पहले ही अपनी इस शोहरत की बुनियाद पर सफलता का नया महल खड़ा कर लें, जहाँ दाम और शोहरत दोनों मिल सकें।
 
नया चैनल
 
जो ख़बरें आई हैं उसके मुताबिक तो अर्णब कोई नया चैनल शुरू कर रहे हैं जो ख़बरों की दुनिया में बीबीसी और सीएनएन जैसे अंतरराष्ट्रीय चैनलों की टक्कर का होगा। ये कोई नया प्रतिष्ठान है जो उनका अपना है या कोई और, ये तो वक्त के साथ पता चल ही जाएगा। सबकी निगाहें जरूर उनके अगले कदम पर लगी रहेंगी। हाँ, टाइम्स नाउ के लिए चुनौती है कि वो बिना अर्णब के अपनी प्राइम टाइम की बादशाहत कैसे बरकरार रखे। दूसरे अंग्रेज़ी चैनल इसमें अपने लिए मौका तलाशने में लगे हैं। (वेबदुनिया न्यूज़)

जरूर पढ़ें

Bomb threat : 50 उड़ानों में बम की धमकी मिली, 9 दिन में कंपनियों को 600 करोड़ का नुकसान

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का फॉर्मूला तय

गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

Gold Silver Price Today : चांदी 1 लाख रुपए के पार, सोना 81000 के नए रिकॉर्ड स्तर पर

दो स्‍टेट और 2 मुख्‍यमंत्री, क्‍यों कह रहे हैं बच्‍चे पैदा करो, क्‍या ये सामाजिक मुद्दा है या कोई पॉलिटिकल गेम?

सभी देखें

नवीनतम

Pakistan : त्यौहारों से पहले हिंदू और सिख परिवारों को मिलेगी नकद राशि, पंजाब प्रांत की सरकार ने किया ऐलान

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव की अधिसूचना जारी

Canada : ओवन के अंदर मृत मिली महिला, स्‍टोर में करती थी काम, जांच में जुटी पुलिस

આગળનો લેખ
Show comments