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दुनिया की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला है अरावली

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शनिवार, 24 जुलाई 2021 (15:18 IST)
-शुभम शर्मा
विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला में से एक अरावली पर्वतमाला (Aravalli Mountain) अजमेर (Ajmer) जिले से भी गुजरती है। यह अजमेर का प्राचीनतम भौतिक अंचल है। अरावली अजमेर की खूबसूरती में बरसों से चार-चांद लगा रही है और वर्षों पुरानी इस पर्वतमाला के पीछे बहुत ही गहरा रहस्य है।

आज यह अवशिष्ट पर्वतमाला के रूप में जानी पहचानी जाती है। इसका उद्भव एवं उत्पति भूगर्भिक इतिहास के प्राचीन कल्प में हुआ था। यह गौंडवाना लैंड का अवशेष है। अरावली पर्वत राजस्थान में 23°20' उत्तरी अक्षांश से 28°20' उत्तरी अक्षांश तथा 72°10' पूर्वी देशान्तर से 77° पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है।
  • दुनिया की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखला अरावली
  • राजस्थान का 9.3 प्रतिशत क्षेत्रफल इसके अंतर्गत
  • इसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट आबू है
  • सबसे ऊंची चोटाई की ऊंचाई 1722 मीटर 
राजस्थान (Rajasthan) का 9.3 प्रतिशत क्षेत्रफल इसके अंतर्गत आता है। अजमेर जिला भी स्वयं में अरावली पर्वतमाला को जीवंत करता है। खासतौर पर बरसात के मौसम में यह वादियां नीलगिरी, मसूरी या किसी दूसरे हिल स्टेशन से कम नहीं दिखती हैं। शहर की तारागढ़ चोटी एवं नाग पहाड़ी की चोटी इसका उदाहरण है। नाग पहाड़ी से लूनी नदी का निकलना भी एक गूढ़ रहस्य बना हुआ है क्योंकि यह नदी अजमेर में लुप्त नदी की भांति बहती है।
 
अरावली पर्वतमाला किस प्रकार करती है अपना रास्ता तय : यह पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर गुजरात के खेडब्रह्मा (पालनपुर) से आरम्भ होकर राजस्थान में सिरोही में प्रवेश कर मध्यवर्ती जिलों से होती हुई हरियाणा के कुछ भागों सहित दिल्ली तक विस्तृत है जो रायसीना पहाड़ी तक जाती है, जहां राष्ट्रपति भवन बना हुआ है। यह पर्वतमाला राज्य के मध्य में विकर्ण के रूप में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर फैली हुई है। 
 
इसकी कुल लम्बाई 692 किमी है, जिसमें से 550 कि.मी. राजस्थान में विस्तृत है। इसकी औसतऊंचाई 930 मीटर है तथा गुरुशिखर (माउंट आबू) इसकी सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई 1722 मीटर है। 
अरावली की स्थलाकृति : अरावली पर्वतमाला को ऊंचाई के आधार पर उत्तर-पूर्वी अरावली, मध्यवर्ती अरावली, एवं दक्षिणी अरावली के रूप में विभाजित किया गया है। उत्तरी अरावली क्षेत्र का विस्तार सांभर झील से उत्तर पूर्व राजस्थान- हरियाणा सीमा तक है। यह अलवर, जयपुर, दौसा, सीकर जिलों में स्थित है। इनमें शेखावाटी की पहाड़ियां, तोरवाटी की पहाड़ियां तथा जयपुर और अलवर की पहाड़ियां सम्मलित हैं।
 
वहीं दूसरी ओर मध्यवर्ती अरावली क्षेत्र का विस्तार जयपुर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से दक्षिण में राजसमंद जिले की देवगढ़ तहसील तक है। अजमेर के दक्षिण-पश्चिम भाग में तारागढ़ (885 मीटर) और पश्चिम में सर्पिलाकार पर्वत श्रेणियां नाग पहाड़ (795 मीटर) कहलाती है।

अजमेर और नसीराबाद के मध्य की श्रेणियां जल विभाजक का कार्य करती हैं। मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करने वाली पर्वत श्रेणी 'मेरवाड़ा पहाड़ियां' कहलाती हैं जो अजमेर शहर के समीपवर्ती भागों में पहाड़ियों के समानांतर अनुक्रम में दृष्टिगोचर होती हैं। मध्य अरावली की प्रमुख चोटियां गोरमजी (अजमेर) 934 मी, मारायजी (टोडगढ़ के निकट) 933 मी, तारागढ़ (अजमेर) 870 मी, नाग पहाड़ी (अजमेर) 795 मी. आदि है। ब्यावर तहसील में भी अरावली श्रेणियों के पांच दर्रे स्थित हैं। 
 
दक्षिणी अरावली क्षेत्र वास्तव में मुख्य अरावली है। यह भाग मुख्यतः उदयपुर, डूंगरपुर, राजसंमद व सिरोही जिलों में विस्तृत है। यह पूर्व दिशा में बहने वाली नदियों का उद्गम स्थल भी है। दक्षिणी स्कन्ध अरब सागर व बंगाल की खाड़ी के इसकी कुल जल प्रवाह के बीच जल विभाजक का काम करता है। इस पठार की औसत ऊंचाई 1225 मीटर है, कुछ चोटियों की ऊंचाई 1300 मीटर तक है।
हालांकि आबू पर्वत खंड अरावली का श्रेष्ठतम भाग है, जो समुद्र तल से करीब 1200 मीटर से भी अधिक ऊंचा है। इसका सम्पूर्ण भाग ग्रेनाइट से निर्मित है। आबू गुरुशिखर (1722 मी.) की मुख्य चोटी के नीचे है। यह सबसे ऊंची चोटी भी कहलाती है।  दक्षिण अरावली की प्रमुख चोटियों में सिरोही में स्थित गुरुशिखर, देलवाड़ा और आबू वहीं राजसमंद में स्थित कुम्भलगढ़ मुख्य है। 
 
अरावली की विशेषताएं एवं महत्व : अरावली पर्वतमाला की अद्भुत विशेषताएं है। इसकी उत्पत्ति प्राचीन कल्प में संरचमात्मक दृष्टि से रचित की गई है। इस पर्वत श्रेणी का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक किया गया है। दक्षिण-पश्चिम के भाग में नुकीले तेजधार एवं संकरे कंघीनुमा पर्वत शिखर पाए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर यह पर्वतमाला उत्तर-पश्चिमी भारत में वर्षा के सामान्य वितरण को भी प्रभावित करती है। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की दिशा के अनुकूल फैले होने के कारण जलभरी हवाएं इसके समानान्तर प्रवाहित होकर हिमालय तक बेरोक-टोक चली जाती हैं। और इसी कारण राजस्थान में मानसून की दौरान अत्यधिक वर्षा नहीं होती है।
 
हालांकि अजमेर में अरावली श्रृंखला का अधिकतम भाग अजमेर में स्थित नहीं है परंतु अजमेर शहर को पहाड़ों ने चारों ओर से घेर रखा है। सर्पीली और घुमावदार पहाड़ियां इसके सौंदर्य को निखारती हैं यही कारण है कि अजमेर में पहाड़ों में बसते हुए भी एक अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है।

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