Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

रामकृष्ण मिशन से शुरू हुआ अमित शाह का मिशन बंगाल, जानिए क्या है वजह...

रामकृष्ण मिशन से शुरू हुआ अमित शाह का मिशन बंगाल, जानिए क्या है वजह...
, शनिवार, 19 दिसंबर 2020 (11:47 IST)
कोलकाता। केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्‍ठ भाजपा नेता अमित शाह ने अपना पश्चिम बंगाल दौरा रामकृष्ण मिशन से शुरू किया। वे आज सुबह रामकृष्‍ण मिशन पहुंचे और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए।
 
बंगाल की राजनीति में रामकृष्ण मिशन का बड़ा महत्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी भाजपा नेता हिंदू बंगालियों में यहां के महत्व से भली भांति परिचित है। उनका वैल्लूर मठ से जुड़ाव किसी से छुपा हुआ नहीं है। भाजपा के बंगाल मिशन में अमित शाह का यह दौरा विशेष महत्व रखता है।
 
पिछले 2 महीनों में अमित शाह से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक सभी बड़े नेता 12 बार दक्षिणेश्वर काली मंदिर जा चुके हैं। जब ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भाजपा को बाहरी बताने का प्रयास कर रही है। भाजपा नेताओं का लगातार स्वामी विवेकानंद की शरण में जाना यह बताता है कि भाजपा के रणनीतिकार बंगाल की संस्कृति से परिचित हैं।
 
इससे पहले नवंबर में भी दक्षिणेश्वर मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। तब गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि यह रामकृष्ण और विवेकानंद की जमीन है, लेकिन दुर्भाग्य से इस जमीन को तुष्टिकरण की राजनीति से कलंकित किया जा रहा है। मैंने मोदी जी के नेतृत्व में बंगाल की भलाई के लिए मां काली से प्रार्थना की।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उज़्बेकिस्तान के साथ अपनी द्विपक्षीय वर्चुअल मीटिंग के लिए भी कोलकाता के मशहूर दक्षिणेश्वर मंदिर की पृष्ठभूमि इस्तेमाल की थी।
 
क्या है नरेंद्र मोदी का रामकृष्ण मिशन से संबंध : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने प्रारंभिक जीवन में साधु बनना चाहते थे। 1967 की कोलकाता यात्रा के दौरान वे बेलूर मठ गए, जहां उनकी भेंट रामकृष्ण मिशन के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी माधवानंद से हुई। वहां उन्होंने अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण दिन गुजारे। तब वे 17 वर्ष के थे। यह भी संयोग ही है कि स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेन्द्र था।
 
हावड़ा जिले के बेलूर स्थित रामकृष्ण मिशन के सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी 1967 में पहली बार कोलकाता आए थे और उस वक्त उनकी आयु महज 17 वर्ष की थी। इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी की कोलकाता की पहली यात्रा जिस वर्ष और जिस समय हुई ठीक उसी वक्त इंदिरा गांधी पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनीं। मोदी ने कोलकाता यात्रा के दौरान बेलूर मठ जाकर न केवल रामकृष्ण मिशन के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी माधवानंद से मुलाकात की, बल्कि स्वामी परंपरा में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की।
 
कहते हैं माधवानंद ने नरेन्‍द्र मोदी को ऐसा करने से रोका और मन लगाकर शिक्षा ग्रहण करने की नसीहत दी। ऐसा सुनकर मोदी उदास मन से गुजरात चले आए। फिर बाद पढ़ाई के दौरान उन्होंने दो बार संन्यास लेना चाहा, लेकिन उनकी इच्छा पूरी न हो सकी। कुछ सालों पश्चात मोदी राजकोट पहुंचे और वहां के रामकृष्ण मिशन आश्रम जाकर स्वामी आत्मस्थानंद से भेंट कर फिर से साधु बनने की इच्छा जताई, लेकिन स्वामीजी ने कहा कि तुम दाढ़ी रखो इतना भर करके मोदी की साधु बनने की बात को अनसुना कर दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पीएम मोदी बोले- पहले कहा जाता था, 'Why India', अब कहा जाता है 'Why not India'