Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अमरनाथ यात्रा : पूरा कश्मीर रेड जोन, कोर्ट ने पूछा- श्रद्धालुओं को कोरोना से कैसे बचाएंगे

अमरनाथ यात्रा : पूरा कश्मीर रेड जोन, कोर्ट ने पूछा- श्रद्धालुओं को कोरोना से कैसे बचाएंगे

सुरेश एस डुग्गर

, शनिवार, 4 जुलाई 2020 (20:35 IST)
जम्मू। प्रदेश प्रशासन ने अनलॉक 2.0 के दिशा-निर्देश जारी करते हुए कश्मीर वादी के सिर्फ बांडीपोरा जिले को छोड़ पूरी कश्मीर वादी को रेड जोन की कैटेगरी में रखा है। ऐसे में अमरनाथ यात्रा कैसे होगी। यह सवाल सबसे बड़ा है। यही नहीं, अब तो एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी सरकार से उन इंतजामात के बारे में जानकारी देने को कहा है जिसके तहत अगर अमरनाथ यात्रा शुरू होती भी है तो श्रद्धालुओं को कोरोना से कैसे बचाया जाना है।

देर रात प्रदेश प्रशासन ने पूरे कश्मीर को एक बार फिर रेड जोन घोषित कर दिया। कोरोना के फैलने के बाद से ही लॉकडाउन में भी और अनलॉक 1.0 में भी कश्मीर रेड जोन में ही था। फर्क इतना है कि अनलॉक 2.0 में सिर्फ बांडीपोरा जिले को ऑरेंज जोन में रखा गया है।

नतीजतन अमरनाथ यात्रा संपन्न करवाने की तैयारियों पर सवाल उठने लगा है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ा सवाल यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु प्रदेश में कैसे आएंगे का है। इसके बहुतेरे कारण हैं। प्रदेश प्रशासन ने फिलहाल 31 जुलाई तक दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर प्रतिबंध जारी रखा है। रेल या हवाई जहाज से आने वालों के लिए 7 से 14 दिनों का क्वारांटाइन रखा गया है।

तो क्या अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले दर्शन मात्र के लिए इतनी लंबी यात्रा में शामिल हो पाएंगे, के प्रति कोई भी उत्तर प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से नहीं मिला था। यह बात अलग थी कि 5 जुलाई को व्यास पूर्णिमा के दिन से, अमरनाथ यात्रा के इतिहास में पहली बार, 3 अगस्त श्रावण पूर्णिमा वाले दिन तक अमरनाथ की गुफा में सुबह-शाम होने वाली आरती का सीधा प्रसारण होने जा रहा है जिसके लिए दूरदर्शन की टीमों को गुफा तक पहुंचा दिया गया है।

लेकिन इसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कोरोना के बावजूद प्रशासन द्वारा अमरनाथ यात्रा की तैयारियां करने पर अब हाईकोर्ट भी सामने आया है। इस मामले में एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। इसे सचिन शर्मा नामक वकील की ओर से दायर किया गया है। इसमें कई सवाल उठाए गए हैं। उठाए गए सवालों में सबसे बड़ा सवाल आने वालों को कैसे प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और वे ठहरेंगे कहां पर, खाना कहां से खाएंगे। इस जनहित याचिका पर प्रशासन को नोटिस जारी किया जा चुका है और जल्द जवाब देने के लिए कहा गया है क्योंकि संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि 21 जुलाई से 14 दिन के लिए अमरनाथ यात्रा करवाई जा सकती है। पर यह तारीखें आधिकारिक नहीं हैं।

डिवीजन बेंच ने जम्मू-कश्मीर सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल असीम साहनी को निर्देश दिए कि वह पता करें कि अमरनाथ यात्रा के आयोजन को लेकर सरकार ने क्या फैसला लिया है? वह पता करें कि अगर यात्रा होती है तो प्रतिदिन कितने श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है? यात्रा के आयोजन की सूरत में कोरोना महामारी से निपटने के क्या प्रबंध होंगे?

अपनी याचिका में एडवोकेट सचिन शर्मा ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए इस साल अमरनाथ यात्रा आयोजित न करने की अपील की है। इसमें कहा गया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सेना, बीएसएफ व पुलिस की तैनाती रहती है। यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यात्रा मार्ग पर मेडिकल कैंप लगते हैं। स्वयंसेवी संगठन लंगर लगाते हैं। इसमें कहा गया कि यह यात्रा स्थानीय लोगों के सहयोग से संभव नहीं, क्योंकि वही श्रद्धालुओं के लिए घोड़ों-पालकी का प्रबंध करते हैं। मौजूदा समय में ऐसा कोई प्रबंध संभव नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाने वाला कोई नहीं है और न ही घोड़े-पालकी की सेवा देने वाले उपलब्ध हैं।

2011 में बना था श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड : यह पूरी तरह से सच है कि अमरनाथ यात्रा के प्रति एक रिकॉर्ड सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं के शामिल होने का वर्ष 2011 की यात्रा में बना था जब रिकार्ड तोड़ 6.35 लाख श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में शिरकत की थी। उसके अगले साल यानी 2012 में सबसे ज्यादा 119 अमरनाथ श्रद्धालुओं की मौतें दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थीं और इस बार कोरोना के कारण अगर यात्रा को संपन्न करवाया भी जाता है तो सबसे कम श्रद्धालुओं के शामिल होने का रिकॉर्ड बनेगा।

2007 से लेकर वर्ष 2019 के आंकड़ों पर अगर एक नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2016 में जब हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत हुई थी। सबसे कम 2.20 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2008 में जब अमरनाथ भूमि आंदोलन को लेकर जम्मू में दो माह तक लगातार आंदोलन, हड़ताल और कर्फ्यू लागू रहा था तब भी सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, 5.50 लाख श्रद्धालुओं ने 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बनने वाले हिमलिंग के दर्शन किए थे। हालांकि इस आंकड़े पर आज भी संदेह व्यक्त किया जाता रहा है।

2007 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों ने पिछले साल के 25 दिनों के आंकड़े ने पिछले चार साल का रिकार्ड जरूर तोड़ दिया था। हालांकि पिछले साल अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद थी कि अगर सब सकुशलता से चलता रहा तो यात्रा एक नया रिकॉर्ड बनाएगी पर इसे अधबीच में ही समाप्त कर उनकी उम्मीद को नाउम्मीदगी में बदल दिया गया था। आंकड़ों के मुताबिक 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 2.63, 5.50, 3.75, 4.59, 6.35, 6.20, 3.53, 3.72, 2.20, 2.60 तथा 2.85 लाख श्रद्धालुओं ने शिरकत की।
सबसे अधिक मौतें 2012 में हुई थीं। तब इसने 119 का आंकड़ा छू लिया था जबकि अभी तक सबसे कम मौतें 2013 की अमरनाथ यात्रा में हुई हैं जब 14 श्रद्धालुओं की मौत हृदयगति रुकने से हुई थी। रिकॉर्ड के मुताबिक वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 50, 72, 45, 100, 111, 119, 14, 45, 41, 18, 60 तथा 34 श्रद्धालुओं की मौतें हुई हैं जबकि पिछले साल 24 दिनों में होने वाली 30 मौतों ने जरूर चिंता पैदा की थी।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

लालच में लोगों की जान से खिलवाड़, 2500 रुपए में कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट, स्वास्थ्य विभाग ने दिए जांच के आदेश