जम्मू। अभी तक अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए सवा तीन लाख के करीब श्रद्धालुओं के प्रति चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इनमें से करीब सवा दो लाख ने बिना किसी सुरक्षा के अर्थात सरकारी तौर पर जम्मू से रवाना होने वाले काफिलों से अलग होकर यात्रा की है। मतलब यह कि मात्र 30 प्रतिशत, अर्थात एक लाख के करीब श्रद्धालुओं के लिए ही रोडबंदी को अंजाम दिया जा रहा है जिससे लखनपुर से लेकर यात्रा के पड़ावस्थलों तक लाखों लोगों को अभी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इन परेशानियों के दौर से सिर्फ स्थानीय नागरिक ही दो-चार नहीं हो रहे बल्कि वे टूरिस्ट भी बेहाल हैं जो कश्मीर की खूबसूरती को निहारने की खातिर हजारों किमी से हजारों रुपया खर्च करने के उपरांत कश्मीर आ रहे हैं।
ऐसे में अनंतनाग का रहने वाला जहूर अहमद सवाल करता था कि अगर मुठ्ठी भर श्रद्धालुओं को ही कान्वाय में लेकर जाना होता है तो लाखों लोगों की जान सूली पर कई घंटों तक क्यों टांग दी जाती है। जहूर प्रतिदिन अनंतनाग से श्रीनगर काम करने के लिए आता है और जिस दिन से यात्रा शुरू हुई है उसका दो घंटों का सफर 7 घंटों में बदल गया है।
रोडबंदी और रेलबंदी से कश्मीरी ही नहीं बल्कि जम्मू संभाग के वे हजारों लोग भी त्रस्त हैं जिन्हें राजमार्ग से होकर गुजरना होता है और उन्हें उन लिंक मार्गों पर रोक दिया जाता है जिनके मुहाने पर सेना के बंकरों को स्थापित कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा की खातिर आम नागरिकों को रोका जा रहा है। यह प्रक्रिया 15 अगस्त तक चलेगी जिस दिन अमरनाथ यात्रा खत्म होगी।
जम्मू निवासी 45 साल के अजय खजूरिया पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। वे आज तक किसी काफिले का हिस्सा बन कर यात्रा पर नहीं गए। वे कहते थे कि असुरक्षा का कोई माहौल नहीं है बस हौव्वा खड़ा कर रखा है। उनके मुताबिक, काफिले का हिस्सा बनने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इतना जरूर था कि वापसी पर उन्हें भी रोडबंदी का स्वाद जरूर चखना पड़ा था।
2011 में सबसे ज्यादा शामिल हुए थे श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा में : नए रिकार्ड की ओर बढ़ती अमरनाथ यात्रा के प्रति एक रिकार्ड सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं के शामिल होने का वर्ष 2011 की यात्रा में बना था जब रिकार्ड तोड़ 6.35 लाख श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में शिरकत की थी। और उसके अगले साल यानि 2012 में सबसे ज्यादा 119 अमरनाथ श्रद्धालुओं की मौतें दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थीं।
वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2019 के आंकड़ों पर अगर एक नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2016 में, जब हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्याय बुरहान वानी की मौत हुई थी, सबसे कम 2.20 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए थे। जबकि चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2008 में जब अमरनाथ भूमि आंदोलन को लेकर जम्मू में दो माह तक लगातार आंदोलन, हड़ताल और कर्फ्यू लागू रहा था तब भी सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, 5.50 लाख श्रद्धालुओं ने 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बनने वाले हिमलिंग के दर्शन किए थे। हालांकि इस आंकड़े पर आज भी संदेह व्यक्त किया जाता रहा है।
2007 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों में इस साल के 25 दिनों के आंकड़े ने पिछले चार साल का रिकार्ड जरूर तोड़ दिया है। जबकि अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद थी कि अगर सब सकुशलता से चलता रहा तो इस बार यात्रा एक नया रिकार्ड बनाएगी। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 2.63, 5.50, 3.75, 4.59, 6.35, 6.20, 3.53, 3.72, 2.20, 2.60 तथा 2.85 लाख श्रद्धालुओं ने शिरकत की।