Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

2018 में आतंकी बने 54 कश्मीरी युवक पासपोर्ट लेकर गए थे पाकिस्तान

2018 में आतंकी बने 54 कश्मीरी युवक पासपोर्ट लेकर गए थे पाकिस्तान

सुरेश एस डुग्गर

, शनिवार, 8 अप्रैल 2023 (14:27 IST)
जम्मू। पुलिस ने पासपोर्ट जारी करने की कवायद में देरी के लिए जो तर्क दिए हैं उसमें उसने कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस का दावा है कि ‘चूक’ की वजह से ही वर्ष 2018 में ऐसे 54 कश्मीरी युवक भी पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान चले गए थे जो बाद में आतंकी बन गए। हालांकि उनमें से 26 LOC पार करते हुए मारे जा चुके हैं। 12 को वापस लाया गया था जबकि बाकी अभी भी उस पार के ट्रेनिंग सेंटरों में हैं। हालांकि सेना कहती है कि पासपोर्ट लेकर इस ओर घुसने का खेल पाकिस्तान द्वारा वर्ष 2005 में ही शुरू किया गया था।
 
पुलिस प्रवक्ता द्वारा जारी एक बयान के बकौल, वर्ष 2017 और 2018 में जांच में ‘चूक’ होने के कारण पुलिस ने उन 54 कश्मीरी युवकों को भी पासपोर्ट जारी करने की सिफारिश कर दी थी जो हुर्रियत नेताओं के साथ-साथ आतंकियों से भी प्रेरित थे और बाद में वे पाकिस्तान पढ़ाई के नाम पर पहुंच कर आतंकी बन गए।
 
पुलिस का कहना था कि कुछ महीनों के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने एलओसी के रास्ते लौटने की कोशिश की पर मारे गए क्योंकि सेना ने उन्हें हथियार डालने का मौका तो दिया पर उन्होंने इस अपील को अनसुना कर दिया था। हालांकि आतंकी बने 12 युवकों को जरूर वापस लाने में कामयाबी मिली थी जो आज अपने परिवारों के साथ हैं। बाकी 16 के प्रति पुलिस का कहना है कि उनके प्रति पक्की जानकारी तो नहीं है पर अनुमान यही लगाया जा रहा है कि वे अभी भी उस पार पाक कब्जे वाले कश्मीर में ही हैं।
 
यह सच है कि मारे गए 26 आतंकी और लौटने वाले 12 आतंकी सभी पासपोर्टधारी ही थे। पर सेना का कहना था कि वर्ष 2005 में एलओसी समेत पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर तारबंदी और चौकसी ने पाकिस्तान को मजबूर किया था कि वह प्रशिक्षित आतंकियों को बकायदा पासपोर्ट तथा वीजा मुहैया करवा कर नेपाल के रास्ते कश्मीर में भिजवाए।
 
वर्ष 2005 में एक सितम्बर को सुरक्षाबलों के समक्ष हथियार डालने वाले हूजी के एक एरिया कमांडर के रहस्योदघाटन और उससे बरामद पाकिस्तानी पासपोर्ट ने सुरक्षाबलों को चिंता में डाल दिया था क्योंकि वह पहला ऐसा आतंकी था जो पासपोर्टधारी था।
 
डोडा जिले के बनिहाल का रहने वाला मुहम्मद अमीन चौपान उर्फ वसीम यूं तो सात साल पाकिस्तान तथा पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में रहने के बाद वर्ष 2005 के जून के अंतिम सप्ताह में भारत में आ गया था लेकिन उसने 27 अगस्त 2005 को ही आत्मसमर्पण किया था।
 
यह सच उस समय सामने आया जब कराची से इस्लामाबाद और इस्लामाबाद से पाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट लेकर काठमांडू पहुंचने वाले हरकतुल-जेहादे-इस्लामी के बनिहाल के एरिया कमांडर मुहम्मद अमीन ने पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए पासपोर्ट के सहारे यह सफर तय किया और फिर वह गोरखपुर से रेल से जम्मू तक पहुंच गया।
 
उसे पाकिस्तान के एबटाबाद के पासपोर्ट कार्यालय द्वारा 26 जनवरी 2005 को पासपोर्ट संख्या केई725538 जारी किया गया। इतना जरूर था कि यह पासपोर्ट जिस पर उसकी फोटो चिपकी हुई है, को किसी इल्ताफ हुसैन सुपुत्र फरीद शाह के नाम से तैयार किया गया था और इस पर उसे बकायदा वीजा भी दिया गया। इस पासपोर्ट पर एब्बटाबाद के पासपोर्ट कार्यालय के अधीक्षक अलाउद्दीन अब्बासी के हस्ताक्षर भी थे।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पहले खाओ आम, फिर किस्त में चुकाओ दाम