-शकील अख़्तर
वेबदुनिया के 18 वर्ष पूरे होने पर मैं पूरी संपादकीय और तकनीकी टीम को बधाई देता हूं। शत्-शत् अभिनंदन और आभार व्यक्त करता हूं।
वेबदुनिया का एक लेखक, पाठक होने के नाते मैं जानता हूं कि आपकी टीम ने हमारी मातृभाषा हिंदी और हमारी अन्य भाषाओं के लिए कितना बड़ा काम किया है और कर रही है। कई बार मुझे अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों से चौंकाने वाली प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। वेबदुनिया के माध्यम से जब अप्रवासी भारतीय अपनी भाषा में समाचार पढ़ते हैं। वो आत्मीयता से भर उठते हैं। दूर देश में उन्हें अपनेपन और करीब होने का अहसास होता है। कई बार सोशल साइट्स पर वेबदुनिया को लेकर सहर्ष प्रतिक्रियाएं भी ज़ाहिर करते हैं।
वेबदुनिया ने ना सिर्फ भारतीय भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण काम किया है। सूचना और समाचारों के स्तर पर अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराने का बड़ा काम किया है। यही वजह है कि मैं एक वेबदुनिया पर गर्व करता हूं। अपने भारत को महसूस करता हूं। वेबदुनिया कई मामलों में अग्रणी है, इसकी वजह से ही दूसरी हिंदी वेबसाइट को प्रेरणा मिली, निजी ब्लाग्स पर काम हुआ। इसके प्रति बढ़ती दिलचस्पी ने बड़े-बड़ों को सोचने पर मजबूर कर दिया। गूगल जैसे बड़े सर्च इंजनों ने हिंदी के महत्व को समझा। आज तो सब हिंदी की जय-जय कर रहे हैं। वेबदुनिया ने इस सबका कभी बढ़-चढ़कर श्रेय भी नहीं लिया, बस सविनय अपना काम किया।
मेरा वेबदुनिया से उन दिनों से लगाव है, जब मैं नईदुनिया में सेवारत था, तब हर रात वेबदुनिया के लिए कंटेट अपलोड करने या भेजने की प्रक्रिया का हिस्सा था। उससे भी पहले इसकी पहली कल्पना के लिए काम करने का मुझे अवसर मिला था। अभयजी के साथ इसके परिकल्पनाकार श्री विनय छजलानी जी से मिलने का अवसर मिला था। तब मैंने उन्हें इस काम को बड़ी संजीदा ख़ामोशी से करते और जोखिम से भरे कदम उठाते देखा था। शायद यह 1998 की बात है।
तब इंटरनेट की दुनिया के बारे में विनयजी जैसे विरले लोग ही भविष्य में होने वाले बड़े परिवर्तनों को देख सकते थे। आज यह बात बड़े कमाल की लगती है, जादू जैसी महसूस होती है। आज आधी दुनिया ऑनलाइन हैं। भारत में भी यही हाल है।
मुझे खुशी है वेबदुनिया ने बहुत से नए आयाम जोड़े हैं, कई सीमाओं को पार किया है, इस विस्तार में मेरे कई साथी भी वेबदुनिया के संपादकीय टीम का हिस्सा हैं। मैं सभी को वेबदुनिया के इस नये पड़ाव पर फिर बधाई देता हूं। वेबदुनिया के हमेशा शीर्ष पर होने और दसों दिशाओं में अपने नए-नए कामों की ध्वजा लहराने की शुभकामनाएं देता हूं। इस अवसर पर मैं पूर्व संपादक श्री प्रकाश हिंदुस्तानी को भी याद करता हूं।