Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

ज़ीरो डे से पहले ही पानी सहेज लें

प्रज्ञा पाठक
लन्दन स्थित न्यू सैटेलाइट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम ने भारत सहित चार देशों में 'ज़ीरो डे' की चेतावनी दी है। ज़ीरो डे उस दिन को कहा जाता है जब पानी पूर्णतः समाप्त हो जाएगा। उस दिन हमारे घरों के नलों में एक बूंद पानी नहीं आएगा।
 
ज़रा सोचिए,कितना भयावह दृश्य होगा वह... सुबह बिस्तर से उठते ही हमें सर्वप्रथम पानी की ही आवश्यकता होती है,जो रात को दो घूंट पीकर सोने तक सतत् बनी रहती है। हमारी दैनिक दिनचर्या में पानी की भूमिका अतीव महत्वपूर्ण है। लगभग सभी कार्यों में पानी की जरुरत होती है।
 
कहा जाता है कि जल ही जीवन है। पशु-पक्षियों के लिए घर के आंगन,छतों, ओटलों पर जल की व्यवस्था रखने की बात शास्त्रों में इसीलिए कही गई है। तपती गर्मी में जल की जरुरत दो गुनी हो जाती है। भोजन के बिना जीवित रहा जा सकता है, लेकिन जल के अभाव में नहीं।

जल इस सृष्टि का पालक है। जल से प्राणिमात्र का पोषण होता है। फसलों के लिए जल जीवनाधार है। जीवन का प्रारम्भ जल से ही माना जाता है, इसीलिए हमारी प्राचीन परम्परा मत्स्य को प्रथम अवतार मानती है।
 
कुल मिलाकर यह कि जल 'जीवन' का ही पर्याय है और इस कारण उसे सहेजना हमारा परम कर्तव्य है। खेद और चिंता का विषय यह है कि जल की असीम महत्ता जानने के बावजूद उसकी सुरक्षा और संवर्धन के प्रति हम उदासीन हैं। हमारी ये लापरवाही ही उस विश्वयुद्ध को जन्म दे सकती है,जो जल के लिए लड़ा जाएगा और जिसकी भविष्यवाणी काफी पहले हो चुकी है।
 
जल-संरक्षण सरकार का दायित्व है और वो इसे अपनी सुस्त मशीनरी के साथ अंजाम भी दे रही है। लेकिन जन भागीदारी के अभाव में ये कार्य अपनी पूर्ण समग्रता में नहीं हो पाएगा। हर घर इस अभियान से जुड़े,तो कुछ बात बने।
 
वैसे भी हम ये नहीं भूलें कि ऐसा कर हम अपना और आने वाली पीढ़ियों का जीवन सुरक्षित व समृद्ध बनाएंगे। जल -संरक्षण के लिए वो सारे उपाय करें, जो हमारे पूर्वजों ने किये और जो आधुनिक विज्ञान ने सुझाये।
 
आकाश से बरसने वाले जल को अधिकाधिक संरक्षित करें। अधुनातन तकनीकें इस कार्य में अत्यंत मददगार हैं। नदियों, कुओं,तालाबों को प्रदूषित करने की आत्मघाती वृत्ति के भयावह परिणाम हम ही भोगेंगे।
 
इनमें स्नान करने,वस्त्र धोने और मूर्ति-विसर्जन जैसे कार्य तत्काल बंद करें। फिर भले ही इससे हमारी तथाकथित धार्मिकता पर प्रहार होता हो। अपने दैनंदिन जल-उपयोग को सीमित करें। जल का विवेकपूर्ण उपयोग स्वयं तो करें ही,साथ में बच्चों को भी सिखाएं ताकि वे जल को व्यर्थ समझकर उसका दुरुपयोग ना करें।
हमारे आज के छोटे प्रयास अपने समवेत स्वरुप में बड़ा परिणाम देंगे और भविष्य में जल जन-जन को सुलभ होगा। तब ना तो बच्चों को अपना अध्ययन छोड़कर पानी भरने जाना होगा और ना ही महिलाओं को दूर-सुदूर एक घड़ा पानी के लिए भटकना होगा।
 
यदि हमें अपने जीवन से प्यार है, तो जल से भी स्नेह करना होगा क्योंकि जल से ही जीवन का पोषण-संवर्धन होता है। हम जल की रक्षा करेंगे,तो वह भी हमारी रक्षा करेगा। तो आइए,आज से ही संकल्प लें कि जल के असीमित महत्व को आत्मसात कर स्वयं भी उसके बचाव और वृद्धि की दिशा में काम करेंगे तथा शेष समाज को भी यही प्रेरणा देंगे। 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

આગળનો લેખ
Show comments