Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

हिन्दी कविता : ना दीया है न बाती है

Webdunia
पुष्पा पी.परजिया 
 
ना दीया है न बाती है
फिर भी आग सी जल-जल जाती है 
अगन है ऐसी मन में जो न
बुझाए बुझे किसी जल से
खुद की सादगी से नसीबों वह खुद को टाल जाती है
हुए जा रहे हैं मन के बवंडरों में
गम और घरौंदों में सांस सुलग-सी जाती है,.


 
..आशा का दीया जलाए रखा  
 पर किवाड़ मदहोशियों ने 
जख्मे दिल पे रुसवाइयों की कत्ल हुए जाती है 
ऐसे रहते और सहते बस 
इंसान की उम्र निकल जाती है
वर्ना नकाबपोशों की इस दुनिया में
 हौसलाअफजाई भी की जाती है ...
बढ़ गए है आगे कदम झूठ और मक्कारी के
 सच्चाई सिसक जाती है 
 पर कर ले कितना भी खुरापात बुरे तू
अंत में जीत तो सच्चाई ही ले जाती है....
भले ही पहन लें झूठी खूबसूरती का नकाब 
पर सच्चाई की सादगी  इंसान का दिल लिए जाती है 
भले ही चमक हो झुठे होने के बाद भी खूबसूरती में 
बदसूरत सच्चाई ही हरदम जीत जाती है...
सभी देखें

जरुर पढ़ें

दीपावली पर 10 लाइन कैसे लिखें? Essay on Diwali in Hindi

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

दीपावली पर बनाएं ये 5 खास मिठाइयां

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

सभी देखें

नवीनतम

लाओस, जहां सनातन हिन्दू धर्म मुख्‍य धर्म था, आज भी होती है शिवभक्ति

दिवाली कविता : दीपों से दीप जले

दीपावली पर कविता: दीप जलें उनके मन में

भाई दूज पर हिन्दी निबंध l 5 Line Essay On Bhai Dooj

Healthcare Tips : दीपावली के दौरान अस्थमा मरीज कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ध्यान

Show comments