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महिलाओं के खिलाफ जो घटनाएं हो रही हैं वो स्‍त्री की कमजोरी नहीं, संस्कारों का क्षय है

woman's day
, गुरुवार, 2 मार्च 2023 (12:13 IST)
- रुचिता तुषार नीमा

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः


मनुस्मृति का यह श्लोक सनातन धर्म में स्त्री की गरिमा को प्रदर्शित करता है कि जहां नारी का पूजन किया जाता है, वहा देवता निवास करते है। और जहां उनकी अवहेलना की जाती है, वहां सभी काम निष्फल होते हैं। हमारे समाज में वैदिक काल से ही स्त्री को बराबर या श्रेष्ठ अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन समाज में धीरे-धीरे विकृतता आने से स्त्री के अधिकार और प्रभाव दोनों में अंतर आ गया।

आज भी देवालयों में राधा-कृष्ण, शिव- पार्वती, लक्ष्मी- विष्णु, सीता- राम, लगभग सभी जगह नारी शक्ति को बराबर स्थान प्राप्त है। धीरे- धीरे समाज के बदलते स्वरूप में यह पुरुष प्रधान जरूर हुआ है, लेकिन नारी की महत्वता आज भी कायम है।

लेकिन आज स्त्री ही अपनी शक्ति को भुला बैठी है, वो भूल चुकी है की वही प्रकृति है, वही जननी है, वही शक्ति है जिससे ये समस्त संसार व्याप्त है। हर घर के प्रमुख निर्णयों में आज भी नारी की स्वीकार्यता अनिवार्य है। अन्यथा उन कार्यों में प्रगति नहीं होती।

आज की नारी हर कार्यक्षेत्र में पुरुषों का बराबर से साथ दे रही है। और कई जगह से उनसे आगे होकर नेतृत्व भी कर रही है। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मर्मू, निर्मला सीतारमन, नीता अंबानी, सुधा मूर्ति और भी कई महिलाएं जिनका नाम पूरी दुनिया सम्मान से लेती है।

इतिहास उठाकर देखें तो आज भी लोग देवी अहिल्या, रानी लक्ष्मीबाई के शासन को याद करते हैं। महिला कभी दुर्बल हुई ही नहीं, आदिकाल से आज तक सर्व शक्ति संपन्न थी, हैं और सदा रहेंगी। बस लोगों की बातों में आकर खुद को कमजोर समझना ही हमारी सबसे बड़ी भूल है।

आवश्यकता है अपने अंदर छिपी हुई अपनी क्षमता को जानने की, खुद को पहचानने के, अपने अस्तित्व को निखारने की। जरूरत नहीं कि घर से बाहर जाकर अपने आपको काबिल साबित किया जाए, अगर आपके बच्चे संस्कारी है, आपके घर में बुजुर्ग खुश हैं, परिवार में शांति है तो भी आप उतनी ही काबिल है, जितनी वर्किंग वुमन।

अगर ठान ले तू आगे बढ़ना चाहती है
नदी है तू, पर्वत में भी रास्ता बनाना जानती है।
बन काली तू नाश दानवों का करती है तो,
नारी तू नारायणी, सृजन करना भी जानती है।।


आज समाज में जो घटनाएं हो रही हैं, जिनके कारण महिला सशक्तिकरण के मुद्दे उठाए जा रहे, निर्भया कांड, प्राचार्य विमुक्ता जी के साथ ही दुखद घटना हुई, इन सबकी वजह महिलाओं का कमजोर होना नहीं, वरण आज की पीढ़ी में संस्कारों का क्षय होना है। और एक शिक्षित और सभ्य समाज का निर्माण कर, अपनी भावी पीढ़ी में अच्छे संस्कार डालकर इन सब समस्याओं पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
महिला दिवस की अनेक अनेक शुभकामनाओं के साथ!
edited by navin rangiyal

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