Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Stress: साइलेंट किलर है तनाव, इसे गंभीरता से लेना है बहुत जरूरी

स्वर्णजीत मुखर्जी
मेंटल हेल्‍थ एक पुराना विषय रहा है, लेकिन अब कोरोना के बाद यह और ज्‍यादा घातक हो गया है। अब इसे गंभीरता से लेकर इस पर बात करना जरूरी है। कोरोना ने कई तरह के मानसिक रोगों को जन्‍म दिया है

वेबदुनिया ने मेंटल हेल्‍थ के वि‍शेषज्ञ स्‍वर्णजीत मुखर्जी से चर्चा की और उनसे जाना कि वर्तमान में मानसिक परेशानियों की क्‍या स्‍थिति है और उन्‍हें क्‍यों गंभीरता से लेना जरूरी है।

आज के दौर में हर शख्‍स अपनी जिंदगी में स्ट्रेस से गुजरता है। स्ट्रेस को आजकल एक कॉमन परेशानी के रूप में देखा जाता है और यही सबसे बड़ी गलती है।

2020 में आए कोविड 19 ने सोशल और इकोनॉमिक तौर पर काफी बदलाव लाया है। लाखों लोगों ने अपनी जिंदगी गवां दी, यहां तक की एक दूसरे से मिलना-जुलना भी दूभर हो गया था।

आज जहां 2021 में कोविड 19 को 2 साल हो गए हैं और आज भी मानव जाति इस विपदा से उबरने की कोशिश में है। कई देश आज भी इस वायरस के नए स्ट्रेन से लड़ रहे हैं।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने ये चेतावनी जारी की है कि कोरोनावायरस का मेंटल हेल्थ पर काफी लंबे समय तक असर होता रहेगा। आज लोगों में एंजाइटी, स्ट्रेस, डिप्रेशन जैसी कई समस्या बहुत हद तक बढ़ चुकी हैं।

इस पैंडेमिक के दौरान मेंटल हेल्थ पर गहरा असर पड़ा है। 2020 में माइसेंसी द्वारा एक सर्वे के आधार पर US के 75 प्रतिशत और एशिया के 33 प्रतिशत एम्प्लॉय में बर्न आउट के लक्षण दिखे हैं।

यूरोपियन देशों में भी पैंडेमिक फैटिग के लेवल में बढ़ोतरी हुई है। जिन लोगों ने अपनी मेंटल हेल्थ को बहुत खराब रेट दिया है, उनकी मात्रा पैंडेमिक आने के बाद तीन गुना बढ़ गई है। ओरेकल और वर्क प्लेस इंटेलिजेंस जैसी कंपनियों द्वारा एक हालिया सर्वे जिसमें 11 देशों के 12000 लोगों ने भाग लिया ये दर्शाता है कि मैनेजमेंट एक्जीक्यूटिव में एम्प्लॉय के बदले ज्यादा मेंटल हेल्थ इश्यूज पाए गए हैं।

53% ने माना की उन्हें मेंटल हेल्थ इश्यूज पैंडेमिक के शुरू होते ही शुरू हो गए थे। इसी कड़ी में 5 में से 4 मैनेजमेंट एक्जीक्यूटिव यानी लगभग 85% ने माना कि उन्हें काम को पूरा करने में दिक्कत आई। इसके कुछ कारण हैं जैसे घर से काम करने के दौरान नई तकनीक को समझने और उसका उपयोग करने में परेशानी और दूसरा यह कि ऑफिस के माहौल से दूर साथ बैठकर काम करने और कोलेबरेट करने की जगह घर से काम करना।

क्‍या कहती है रिपोर्ट?
इस कड़ी में लगभग 39% लोगों को घर से वर्चुअली काम करने में दिक्कत आई। वहीं 34% को वर्क कल्चर के ना होने की कमी खली। वहीं 29% लोगों को नई तकनीकों को समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ा। जहां एक तरफ कंपनी के सीनियर अधिकारी वर्कप्लेस पर मेंटल हेल्थ और हेल्थी वर्क कल्चर को बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, वहीं आज भी मेंटल हेल्थ को एक स्टीरियोटाइप के तौर पर देखा जाता है।

कंपनी में ओपन कम्युनिकेशन और सपोर्ट की कमी खलती है। कंपनी के लीडर को अपने स्टॉफ को न सिर्फ इंस्पायर करना चाहिए ताकि वे अपनी बात को खुलकर शेयर कर सकें, बल्कि उन्हें इंस्पायर भी करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर वे कोच या थेरेपिस्ट से मदद भी ले सकें।

विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी तरह की हेल्‍थ प्रॉब्‍लम को इग्‍नौर नहीं करना है, अगर तनाव से संबंधी कोई भी लक्षण नजर आता है तो तत्‍काल डॉक्‍टर से मिलना है। इसे हल्‍के में बिल्‍कुल नहीं ले सकते।

लेखक स्वर्णजीत मुखर्जी, (सीईओ, कॉगनू)

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

Diwali Skincare : त्योहार के दौरान कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

આગળનો લેખ
Show comments