Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

मत विभाजन का रुकना 2024 में महत्वपूर्ण निर्णायक मुद्दा है!

अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट)
Lok Sabha Elections 2024: भारतीय चुनाव सीधे-सीधे केवल अंक गणित की तरह नहीं होता है। भारतीय चुनाव में एक पक्षीय चुनाव परिणाम भी आते रहे हैं तो खंडित जनादेश भी आए हैं। आजादी आंदोलन के बाद स्वाधीनता मिलने पर शुरुआती दौर में भारतीय राजनीति में चुनाव परिणाम एक पक्षीय ही रहे। प्रायः सत्तारूढ़ कांग्रेस के पक्ष में ही रहे। कांग्रेस ही राजनीतिक सत्ता और देशव्यापी राजनीतिक ताकत थी। इस राजनीतिक परिदृश्य को बदलने में 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर केंद्र में सत्ता परिवर्तन के लिए भारतीय मतदाता ने 1977 तक राजनीतिक दलों को इंतजार करवाया। आज की भारतीय चुनावी राजनीति में राजनीतिक दल जितने उतावले या बावले हैं, मतदाता उतने ही शान्त और गुमसुम बने रहते हैं।
 
भारतीय मतदाता का कोई कितना भी बारिक विश्लेषण करे भांप नहीं पाता। फिर भी भारत के हर आम चुनाव में एक निश्चित दिशा जरूर दिखाई देती है। भारतीय मतदाता राजनीतिक दलों की तरह उत्तेजित नहीं दिखाई देता है। भारतीय मतदाता चुनावी राजनीति में निरन्तर बदलाव करता दिखाई देता है। भारतीय मतदाता ने आजादी के बाद के आम चुनावों में अजेय माने जाने वाले सत्तारूढ़ जमात के नेतृत्व को इस तरह पराजित किया कि भारतीय राजनीति में भारतीय मतदाता बदलाव का सबसे बड़ा खिलाड़ी सिद्ध हुआ है। भारतीय आम चुनावों में भारतीय राजनीतिक दलों का चुनावी मुद्दा क्या है? इससे ज्यादा महत्वपूर्ण या निर्णायक मुद्दा आज यह है कि मतदाता का अन्तर्मन क्या सोच रहा है?
 
जैसे भारत में कई भाषाएं, बोलियां और सोचने, समझने के मत मतांतर मौजूद हैं वैसे ही भारत में छोटे-बड़े राजनीतिक दलों की भी मौजूदगी भी है और सबकी भले ही सीमित इलाके में ही हो पर अच्छी खासी अहमियत चुनावी राजनीति में है भी और स्थापित भी हो चुकी है। आजादी के बाद जब कांग्रेस सारे भारत में सत्तारूढ़ थी तब भारत के विपक्षी दलों को आजादी मिलने के करीब दो दशकों के बाद ही विपक्षी दलों के गठबंधन के कारण आधे भारत के प्रदेशों में गैर कांग्रेसी सरकार बनाने में मदद या सफलता मिली। पर केन्द्र सरकार बनाने में तीन दशक तक इंतजार करना पड़ा 1977 में पहली बार 5 विरोधी दलों के विलय से बनी जनता पार्टी की सरकार आपातकाल की पृष्ठभूमि में भारतीय मतदाताओं ने निर्वाचित की।
 
1977 में बनी जनता पार्टी : भारतीय लोकदल, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ, संगठन कांग्रेस और कांग्रेस फार डेमोक्रेसी ऐसे 5 विरोधी राजनीतिक दलों के मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति को पहली बार भारतीय मतदाता ने केंद्र में सत्तारूढ़ होने का अवसर प्रदान किया। भारतीय राजनीति में विपक्षी राजनीतिक दलों के गठबंधन ने 1977 में पहले गठबंधन की रणनीति से चुनाव जीता फिर जनता पार्टी का निर्माण किया। तब भी पांचों राजनीतिक दलों में से एक भी सारे भारत में एक जैसे ताकतवर नहीं थे। मतों के बिखराव को रोकने और आपातकाल की पृष्ठभूमि जीत का मुख्य कारण थी।
 
2014 के आम चुनाव में एनडीए के मुख्य धटक भाजपा ने सत्तारूढ़ यूपीए या यूपीए की मुख्य धटक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पृष्ठभूमि से आए सांसदों को बड़ी संख्या में अपना उम्मीदवार बनाया और न केवल बहुमत प्राप्त किया वरन कांग्रेस को आजादी के बाद के सबसे कमजोर प्रदर्शन की स्थिति में ला खड़ा किया। सत्तारूढ़ कांग्रेस को 48 सीट मिलने से लोकसभा में मान्यता प्राप्त विपक्षी दल का दर्जा भी नहीं मिल पाया। यह भारतीय लोकतंत्र और लोकसभा के लिए एक सर्वथा नया आयाम था कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में मान्यता प्राप्त विपक्षी दल ही मौजूद नहीं है। यह परिस्थिति सत्तारूढ़ एनडीए और यूपीए के साथ ही भारतीय मतदाता के मन में भी कई गंभीर सवाल खड़े कर रही थी।
 
एनडीए के प्रमुख दल भाजपा ने इस बिन्दु का राजनीतिक लाभ या अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षावश राजनीतिक परिदृश्य में एक नए नारे या एक एजेंडे को देश की राजनीति में खड़ा किया कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे। राजनीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि बड़बोले नेताओं और कार्यकर्ताओं को अल्पकालिक प्रसिद्धि तो बड़बोलेपन से कभी कभार मिल जाती है पर यह बड़बोलापन मतदाताओं को एक नया सोच का बिन्दु भी प्रदान कर देता है। भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि भारतीय राजनीति के राजनीतिक दलों और नेताओं ने लोकतांत्रिक संस्कार और परंपराओं को आत्मसात भले ही आज भी मन वचन और कर्म से नहीं किया हो पर भारत के आम मतदाताओं ने जिन्होंने भारत के सारे आम चुनावों में अपनी पहली प्रतिबद्धता लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्कार और परम्पराओं को मन वचन और कर्म से मान्यता अपने मतों के द्वारा खुलकर दी है।
 
अजेय इंदिरा को विपक्ष में बैठना पड़ा : आपातकाल की पृष्ठभूमि में पांच राजनीतिक दलों ने जो विकल्प जनता पार्टी के रूप में देश की राजनीति को दिया तो भारतीय राजनीति में अजेय मानी जानी वाली श्रीमती इंदिरा गांधी को भी मतदाताओं ने सत्तारूढ़ जमात से विपक्षी दल की भूमिका में पहुंचाया था। आज 2024 के आम चुनाव में लोकतांत्रिक संस्कार और परम्पराओं को आत्मसात करने वाले भारतीय मतदाता के अन्तर्मन में यह बिन्दु भी चल रहा है कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत और व्यापक समझ वाले सत्तारूढ़ दल के साथ ही मजबूत संकल्प और भूमिका वाले मजबूत विपक्ष की भी जरूरत है।
 
450 सीटों पर सीधा मुकाबला : इंडिया गठबंधन ने 2024 के आम चुनाव में जिस प्रतिबद्धता के साथ भारतीय मतदाता के सामने एक देशव्यापी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को एकजुट कर राजनीतिक विकल्प मतदाताओं को जनादेश हेतु उपलब्ध कराया है, यह बिन्दु ही 2024 के आम चुनाव में विपक्ष द्वारा मतदाताओं के समक्ष उपलब्ध निर्णायक मुद्दा है। भारतीय मतदाता संभवतः मजबूत सत्तारूढ़ गठबंधन और मजबूत और व्यापक उपस्थिति वाले विपक्ष के लिए जनादेश देने की दिशा में मतदान करेगा, जो भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और मतदाताओं की परिपक्वता या अंतर्मन को अभिव्यक्त कर सकता है। 450 से ज्यादा लोकसभा क्षेत्रों में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होना भारतीय राजनीति का एक निर्णायक मोड़ है, जो न तो लोकतंत्र को कांग्रेस या विपक्ष मुक्त भारत की दिशा में जाने देगा और न ही भारत को एकाधिकारवादी मनमानी पूर्ण सीमित लोकतंत्र की दिशा में बढ़ते जाने की परिस्थितियों को जन्म देगा।
 
2024 के लोकसभा चुनाव भारतीय लोकतंत्र में दो अखिल भारतीय गठबंधनों की राजनीति को भारतीय लोकतंत्र में जन्म देने जा रहा है। कौन सत्ता पक्ष होगा, कौन विपक्ष होगा यह भारतीय मतदाता के मन की बात है। पर विपक्ष मुक्त भारत की परिकल्पना को ध्वस्त करने की दिशा में भारतीय राजनीति मजबूती से आगे बढ़ेगी यह भारतीय राजनीति में मतों के बिखराव को रोकने की इंडिया गठबंधन की रणनीति का एक सकारात्मक परिणाम भारतीय लोकतंत्र को निर्णायक रूप से मिलेगा। समूचे भारत में बिखरे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का गोलबंद होना भारतीय चुनाव में पहली बार है। भारतीय चुनावी राजनीति में हार और जीत का आकलन का मुख्य धटक मतों के विभाजन या बिखराव पर आधारित है। 
 
इंडिया गठबंधन ने समूचे देश में जो रणनीतिक गठबंधन बनाया है वह देश को मजबूत और व्यापक समझ वाले सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी दल को सत्ता पर लगाम लगाने से वंचित करने की बात मतदाताओं के मन में आने भी नहीं दे सकता है। 2024 का आम चुनाव सत्ता और विपक्ष की हार-जीत से ज्यादा भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने वाले चुनावों की और बढ़ाने वाले चुनाव परिणाम देने की दिशा में बढ़ गया है। भारतीय मानस मूलतः एकाधिकारवादी और मनमानी कार्यशैली के बजाय हिल मिलकर राजनीतिक समझ को विकसित करने की दिशा में व्यापक रूप से बढ़ रहा है। यही लोकतंत्र में लोकसमझ की दिशा और निर्णायक भूमिका हैं। (यह लेखक के निजी विचार हैं, वेबदुनिया का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है) 
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

चलती गाड़ी में क्यों आती है नींद? जानें इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण

सर्दियों में नाखूनों के रूखेपन से बचें, अपनाएं ये 6 आसान DIY टिप्स

क्या IVF ट्रीटमेंट में नॉर्मल डिलीवरी है संभव या C - सेक्शन ही है विकल्प

कमर पर पेटीकोट के निशान से शुरू होकर कैंसर तक पहुंच सकती है यह समस्या, जानें कारण और बचाव का आसान तरीका

3 से 4 महीने के बच्चे में ये विकास हैं ज़रूरी, इनकी कमी से हो सकती हैं समस्याएं

सभी देखें

नवीनतम

नैचुरल ब्यूटी हैक्स : बंद स्किन पोर्स को खोलने के ये आसान घरेलू नुस्खे जरूर ट्राई करें

Winter Skincare : रूखे और फटते हाथों के लिए घर पर अभी ट्राई करें ये घरेलू नुस्खा

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर लगाएं इन चीजों का भोग, अभी नोट करें

चाहे आपका चेहरा हो या बाल, यह ट्रीटमेंट करता है घर पर ही आपके बोटोक्स का काम

डायबिटीज के लिए फायदेमंद सर्दियों की 5 हरी सब्जियां ब्लड शुगर को तेजी से कम करने में मददगार

આગળનો લેખ