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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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ऑल इज़ वैल : जब आप सच्ची शांति पा लेते हैं...

ऑल इज़ वैल : जब आप सच्ची शांति पा लेते हैं...
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स्वरांगी साने

हम सब शांति की तलाश में भटकते हैं। रूस के प्रसिद्ध लेखक लेव तोलस्तोय का तो उपन्यास ही है- ‘युद्ध और शांति’ (वार एंड पीस)। अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के लेखक के रूप में जाने जाते खलील जिब्रान की एक कथा भी इसी शीर्षक से है।

शांति की बात हममें से हर कोई करता है, लेकिन यही शांति छा जाए तो वह तुरंत लोगों के बीच जाना चाहता है। यदि लोगों तक नहीं पहुंच सका तो कोई भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ऑन कर खुद के साथ किसी और के न होने की कमी को भरना चाहता है। हम शांति से इतना क्यों घबराते हैं?

शांति की कीमत
लीजेंडरी फ़िल्म के नाम से जानी जाती ‘शोले’ के चर्चित संवादों में से रहीम चाचा का यह संवाद भी काफ़ी लोकप्रिय है कि ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’ हममें से हर कोई इस सन्नाटे से डरता है और इसलिए ऊंची और ऊंची आवाज़ में डीजे लगा लेना चाहता है। सन्नाटा अकेलेपन को दिखाता है, सन्नाटा मौत की भयानकता को ओढ़े हुए है जबकि शांति एकाकी होने से जुड़ी है। शांत हो जाइए तो आपको चुप्पी काटने नहीं दौड़ेगी। हम अपने मूलभूत अधिकारों की बात करते हैं और हमें कानूनन मिले सारे अधिकार याद रहते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि आंतरिक शांति मिलना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। शांत होकर देखिए, आपको भी युद्ध से शांति अधिक पसंद आएगी। ईरान या अफ़गानिस्तान या कश्मीर में छद्म युद्ध के दंश भुगतने वालों से पूछिए फिर आपको शांति की कीमत पता चल सकेगी।

अनसुनी आवाज़
वे तो हुए बाहरी युद्ध। कुछ युद्ध हमारे भीतर चलते रहते हैं, जिन्हें हम अपने आपके साथ कर रहे होते हैं। गहन शांति की अनुभूति तब मिल सकती है, जब हमें बोध हो जाए कि जो भी हो रहा है वह ईश्वर की इच्छा से हो रहा है। फिर हमारी भीतरी उथल-पुथल एकदम शांत हो जाएगी। शांति की खोज करने के लिए आपको कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है- यह आपके भीतर पहले से मौजूद है। हम सबमें बुद्ध होता है, हमें अपने गौतम से बुद्ध होने की यात्रा भर करनी होती है। बोधिसत्व का यह ज्ञान कैसे मिल सकता है? तो अपने जीवन को सरल बना लीजिए, प्रकृति के साथ अधिक से अधिक समय बिताइए और आपकी अंतर आत्मा क्या कहती है, उस आवाज़ को सुनिए। हम हमेशा बाहरी आवाज़ें सुनने में मशगूल रहते हैं और अपने अंदर से आती आवाज़ को या तो दबा देते हैं या अनसुनी कर देते हैं।

आपके उपहार
जब आप सच्ची शांति पा लेते हैं तो आपके भीतर का डर एकदम उड़न-छू हो जाता है और आप सर्वशक्तिमान से जुड़ पाते हैं। गहरी लंबी सांस लीजिए और ‘थ्री ईडियट्स’ मूवी के संवाद-गीत को दोहराने लगिए कि – ‘ऑल इज़ वैल’! सब अच्छा है और सब अच्छा ही होगा यह विश्वास बड़े काम का होता है। मशहूर लेखक विलियम शेक्सपियर का कहना है कि ‘धरती के गीत उनके लिए हैं, जो उन्हें सुनना चाहते हैं’। तय कर लीजिए कि वो समय आ गया है जब आपको अपने आध्यात्मिक उपहारों और जागरूकता के प्रति सजग होना है। फिर देखिए आप खुद को अधिक भावुक और अधिक संवेदनशील महसूस करने लगेंगे। इसे किसी अवसर की तरह लीजिए और अपने उपहारों से और गहरा नाता जोड़ लीजिए।

पूर्ण प्रकाशित
किसी धारावाहिक-मूवी को देखते हुए या कोई वीडियो देखते हुए या किसी से कोई कहानी सुनते हुए आपको रोना आने लगे तो समझ लीजिए यह संकेत है कि अभी आपको अपने में और गहरे उतरना है। अपने भीतर उतरिए और खुद से ही मार्गदर्शन पाने की अपेक्षा कीजिए। जैसे समुद्र में ज्वार-भाटा चंद्रमा के घटने-बढ़ने से आता है वैसे ही हमारी छठी इंद्रिय का संबंध हमारी भावनाओं से है। हम यदि शांत महसूस करते हैं तो हमारी तरंगें भी वैसी ही शांत होंगी। हमारी भावनाएं हमें अच्छा या बुरा करने के लिए प्रेरित करती है। पूर्णिमा का चंद्रमा जैसे शांत और पूर्ण प्रकाशित होता है वैसी ही यदि हमारी भावनाएं शांत हुईं तो हम भी पूर्ण प्रकाशित होंगे।

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