लेखक वरिष्ठ मनोचिकित्सक है और सामाजिक मुद्दों पर प्रमुखता से लेखन करते हैं
भारत में क्रिकेटर्स सिर्फ खेल के नायक नहीं हैं, वे समाज के आदर्श भी हैं। उनकी लोकप्रियता हर उम्र और वर्ग के लोगों में होती है, और उनके द्वारा किए गए विज्ञापनों का गहरा प्रभाव पड़ता है। जब ये नायक ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े प्लेटफॉर्म का प्रचार करते हैं, तो युवाओं पर इसका विशेष रूप से नकारात्मक असर होता है।
अध्ययन बताते हैं कि सट्टेबाजी की लत अवसाद, चिंता और वित्तीय संकट जैसी समस्याएं पैदा करती है। ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के बढ़ते चलन से खासकर युवाओं में मानसिक तनाव और असुरक्षा बढ़ रही है, जिससे उनके भविष्य पर भी असर पड़ता है।
मैं भारत बांग्लादेश T20 मैच अपने राष्ट्रनायकों को जीवंत खेलता देखने का मन बना रहा हूं।खेल का जादू और जुनून देश के हर कोने में बसा हुआ है, लेकिन इस अद्भुत खेल के नायकों से मेरा आग्रह है कि वे अपने प्रचार के माध्यम से समाज में ऐसे संदेश देने से परहेज करें। खासकर सट्टेबाजी जैसे गंभीर मुद्दे से दूर रहें और युवाओं के आदर्श बने रहें।
क्रिकेटर्स को इस गंभीर मुद्दे को समझना चाहिए और ऐसे विज्ञापनों से दूरी बनानी चाहिए जो सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे समाज में सकारात्मक संदेश दें और युवाओं को सही दिशा में प्रेरित करें।
खेल का उद्देश्य मनोरंजन के साथ समाज को मजबूत बनाना है, न कि उसे आर्थिक और नैतिक रूप से कमजोर करना। क्रिकेटर्स को अपने प्रचार के चुनाव में सावधानी बरतनी चाहिए और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।
नोट : आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का आलेख में व्यक्त विचारों से सरोकार नहीं है।