Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Hyderabad Case : मार दी गोली, अच्छा किया

स्मृति आदित्य
* मार दी गोली, बहुत अच्छा किया : शांति देवी, 50 वर्ष, काम : सफाई कर्मचारी 
* बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया, ऐसा ही होना चाहिए इन दरिंदों के साथ : कौशल्या यादव, 45 वर्ष, काम : मेड सर्वेंट 

ये ऐसा करेंगे ना जब ही इनकी गर्मी निकलेगी : आशा सोनी, 43 वर्ष, काम : रसोई बनाना   
ये सही है, इनकी यही सजा होना चाहिए : नंदिनी चौहान, 23 वर्ष : काम : घरेलू सहायक 
हैदराबाद के दिशा सामूहिक दुष्कृत्य के चारों आरोपियों को पुलिस ने शादनगर के पास एनकाउंटर कर दिया है।  
 
सुबह-सुबह की यह खबर जाने क्यों राहत देती सी लगी। किसी के मारे जाने पर खुशी मनाना यूं तो हमारा संस्कार नहीं है। पर हम उसी देश के लोग हैं जहां हमारे पुराण बताते हैं कि जब-जब अत्याचारी, आतताई, नकारात्मक मानसिकता के और अनैतिक काम को अंजाम देने वालों को मारा गया है, उसे राष्ट्रहित में माना गया है। हालांकि यह घटना अचंभित करती है जबकि निर्भया केस के आरोपी जिंदा है तब इतनी त्वरित कार्यवाही की उम्मीद किसी को नहीं थी। लेकिन यह सबकुछ परिस्थितिजन्य हुआ है।    
 
पुलिस मामले के 4 आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर जाकर क्राइम सीन रीक्रिएट करने की कोशिश कर रही थी तभी आरोपियों ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने चारों को गोली मार दी।
 
पुलिस के मुताबिक घटना तड़के 3 से 6 बजे की है। पुलिस ने बताया है कि लोगों के गुस्से को देखते हुए उन्हें बेहद गोपनीय तरीके से घटनास्थल पर ले जाया गया था। वहां आरोपियों ने पुलिस पर पथराव किया और हथियार छीनकर भागने की कोशिश की जिसके बाद वे पुलिस एनकाउंट के शिकार बन गए। 
 
ऊपर जो 4 छोटी प्रतिक्रिया है वे उन घरेलू सहायक, काम करने वाली महिलाओं की हैं जिनकी शिक्षा लगभग शून्य हैं या न्यूनतम है। टीवी पर खबर चलने के साथ ही ये सहज स्वाभाविक रूप से उनके मुंह से निकली बात है। मैं सोच रही थी ऐसा नहीं है कि इनकी दुनिया खबरों से अनजान है। ये जानती हैं कि देश में कब क्या और कैसा घटि‍त हो रहा है चाहे इन तक सूचना किसी भी रूप में पंहुची हैं लेकिन ये अनजान नहीं हैं और अब सही गलत इन तक छन कर ही सही पर पंहुच रहा है। ज्यादा समय नहीं था बात करने का पर मैं समझ गई कि 'समय' बदल रहा है। निराश होने की जरूरत नहीं है। इन्हें ये पता है कि हैदराबाद में क्या हुआ था और उसके बदले में यह सजा हुई है। 
 
इनमें मैंने कानून के प्रति विश्वास की चमक देखी, इनमें मैंने अन्याय पर न्याय की विजय का उल्लास देखा और तमाम फैलती नकारात्मकताओं के बीच एक भरोसा कायम हुआ कि गलत को गलत कहने का, मानने का और अपने आपको व्यक्त करने का साहस गरीब वर्ग में आया है। विशेषकर उन महिलाओं में जो शोषण और अत्याचार को अपनी नियती मान लेती है। अब वे जान रही है कि पुरुष की इस तरह की हिमाकत क्षम्य नहीं है। 
 
महिलाएं चाहे कितने ही वर्ग में बंटी-बिखरी हो लेकिन किसी एक पर हुआ अत्याचार जब हम सब पर हुआ अत्याचार मानने लगेंगी तब ही एक स्वर से बदलाव की जमीन तैयार होगी। तत्काल और तुरंत न्याय की यह प्रणाली निश्चित तौर पर सराहनीय है। 
 
  हैदराबाद के बाद उन्नाव के मामले ने मन को जहां घोर निराशा से घेर लिया था वहीं अब उ जाले की किरणों से कोना रोशन हुआ है लेकिन कानून और प्रशासन को अभी लंबे रास्ते तय करने हैं। जेल भरी है हर शहर की, अपराधी बिखरे हैं हर कोने में और स्त्री की सिसकियां भी कानों तक पंहुच रही है। ऐसे में बस अब खड़े होना है और फैसले करना है जो मन को राहत दें ताकि कोई फिर किसी को आहत करने की सोच भी न सके। इसी बीच भोपाल से दीपाली जैन (प्रोफेशनल डांसर, बुटिक संचालिका) मान रही है कि इस तरह के दंड की शुरुआत सही है। अब लॉ ही ऐसे बनेंगे कि जल्दी न्याय होगा। 


 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

Diwali 2024 : इस दीपावली अपने घर को इन DIY दीयों से करें रोशन

रात को सोने से पहले नाभि में तेल लगाने के हैं अद्भुत फायदे, जानकर हो जाएंगे हैरान

दिवाली पूजा के लिए कैसी होनी चाहिए लक्ष्मी जी की तस्वीर: जानिए नियम और पूजा विधि

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

इस बार दिवाली पर घर के कामों में ऐसे तय करें बच्चों की भागीदारी

આગળનો લેખ
Show comments