Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

चलो गांव चलें हम...

चलो गांव चलें हम...
webdunia

तरसेम कौर

हमारा भारत देश कभी कृषि प्रधान देश कहलाता था। ज्यादा आबादी गांवों में ही बसती थी। पर पिछले कुछ दो-एक दशकों में भारत की यह पहचान खो गई है। मुझे याद है इस विषय पर निबंध लिखने पर हमारा पहला वाक्य होता था - 'भारत एक कृषि प्रधान देश है', परंतु आज वो खेत खो गए हैं। 
 
उच्च शिक्षा और आरामदायक जीवन की अपेक्षा में गांव से जुड़े लोगों ने शहरों की ओर पलायन करना जो शुरू किया, तो यह क्रम और तेजी पकड़ता गया। नतीजतन खेती-बाड़ी छूटने लगी और जमीनें बंजर हो गईं। नवीनीकरण के चक्कर में हम लोग अपनी जड़ों से जुदा हो चुके हैं। आज हाल यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था में खेती से होती आय का प्रतिशत काफी कम हो चुका है। फल सब्जियों को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है। फलस्वरूप स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही बिगड़ चुके हैं। नई बीमारियां जन्म लेने लगी हैं। 
 
आज जरूरत है खेतीबाड़ी के नवीनीकरण की और अपनी मिट्टी से जुड़ने की। जरूरत है कुछ युवाओं के आगे आने की। कुछ सीख लेनी चाहिए यूरोप अमेरिका इत्यादि देशों से, जहां डेरी फार्मिंग और खेती बाड़ी को महत्ता दी जाती है। गांववासियों की शिक्षा भी जरूरी है, पर यदि हर कोई नौकरी की जुगत में लग जाए और अपने खेत खलिहानों को छोड़ दे, तो स्थिति चिंताजनक है। 
 
मुझे लगता है जिनके गांव-घर हैं, खेत-खलिहान हैं, उन लोगों को अपनी नौकरी का मोह छोड़कर कुछ ध्यान अपने खेतों पर भी देना चाहिए। आज इंटरनेट की मदद से कई नई तकनीकों की जानकारी ली जा सकती है। और नई तकनीकों की जानकारी औरों को भी देने की आवश्यकता है ताकि अशिक्षित किसान भी लाभान्वित हो सकें। बड़े पैमाने पर इस विस्तार की आवश्यकता है। 
 
जरा सोचिए..!!!

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

विकृत धार्मिकता और अंध-आस्था से मुक्ति मिले