Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Commando Digendra singh: शरीर में धंसी 5 गोलियां, लेकिन 48 पाकिस्‍तानियों को किया ढेर, मेजर की गर्दन काटकर फहरा दि‍या ति‍रंगा

Commando Digendra singh:  शरीर में धंसी 5 गोलियां, लेकिन 48 पाकिस्‍तानियों को किया ढेर, मेजर की गर्दन काटकर फहरा दि‍या ति‍रंगा
webdunia

नवीन रांगियाल

पाकिस्‍तान के खि‍लाफ कारगि‍ल वॉर में यूं तो कई जवान लड़े हैं और उन्‍होंने अपने प्राणों की आहूति‍ दी है। उन सबका बलि‍दान याद रखा जाएगा, लेकिन कुछ जांबाज ऐसे भी हैं जि‍न्‍हें कभी भुलाया नहीं जाएगा।

कारगिल युद्ध में 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। इस युद्ध में भारत के करीब पांच सौ जवान शहीद हुए थे। इस वॉर में रिटायर्ड फौजी दिगेंद्र सिंह का नाम हमेशा याद रखा जाएगा।

दि‍गेंद्र सिंह राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना उपखण्ड के गांव दयाल का नांगल के निवासी हैं। जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में तोलोलिंग की पहाड़ी पर मई 1999 को पाक के हजारों सैनिकों ने घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था।

तोलोगिंग को मुक्त करवाने में भारतीय सेना की 3 यूनिट पूरी तरह से असफल हो चुकी थी। एक यूनिट के 18, दूसरी के 22 और तीसरी यूनिट के 28 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। तो​लोलिंग फि‍र से प्राप्‍त करना इंडियन के लिए चुनौती बन गया था।

इसके बाद इंडि‍यन आर्मी की सबसे बेहतरीन बटालियन को तोलो​लिंग को मुक्त करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह राजपूत रायफल बटालियन थी।

बटालियन के द्रास पहुंचने पर आर्मी चीफ ने कमांडर कर्नल रविन्द्र नाथ से पूछा था कि क्या उसकी बटालियन में कोई ऐसा फौजी है, जो तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा फहराने का हौंसला रखता हो

यह सुनकर किसी भी फौजी की आवाज नहीं आई। लेकिन फौजियों की पंक्ति सबसे पीछे बैठे दि‍गेंद्र सिंह ने हाथ खड़ा किया और बोले- जय हिंद सर, बेस्ट कमांडो दिगेंद्र सिंह उर्फ कोबरा। सेना मेडल सर...।

चीफ ने खुश होते हुए कहा- तुम ही वो कमांडो हो ना जो हजरतवन में एक गोली की ताकत से 144 उग्रवादियों का सरेंडर करवा दिया था, बहुत सुना है तुम्हारे बारे में, गो अहेड

दिगेंद्र का हौंसला देखकर आर्मी अफसर ने तुरंत कंपनी को तैयार कि‍या और 1 जून 2019 को पूरी चार्ली कम्पनी ने तोलोलिंग पहाड़ी पर चढ़ाई के लिए आसान की बजाय दुर्गम की तरफ कदम बढ़ा दि‍ए।

दरअसल आसान रास्ते से जाने पर चोटी पर बैठे पाक घुसपैठिये उन पर गोलियां दाग रहे थे। सैनिक एक दूसरे को रस्‍सी से बांधकर 14 घंटे की मशक्कत के बाद तोलोलिंग की पहाड़ी पर चढ़े।

पहाड़ी पर चढ़ते ही पूरी योजना के साथ टुकड़ी ने पाकिस्‍तानी घुसपैठि‍यों पर हमला बोल दि‍या। दिगेंद्र घुसपैठि‍यों में घुस गए और कुल 48 घुसपैठियों को ढेर कर दिया। लेकिन इस दौरान दि‍गेंद्र को सीने और शरीर से दूसरे हि‍स्‍सों में दुश्‍मन की 5 गोलियां धंस गई।

लेकिन दि‍गेंद्र सिंह फि‍र भी नहीं रुके। वे पाकिस्‍तानी दुश्‍मनों के बीच घुस गए। उन्‍होंने पाकिस्तानी मेजर अनवर का सिर काट दि‍या और उसमें तिरंगा फहराया दि‍या। उनके साथी सैनि‍कों ने जब यह नजारा देखा तो उनके भी रोंगटे खड़े हो गए।

भारतीय सेना कारगि‍ल वॉर जीत चुकी थी। युद्ध के बाद दिगेन्द्र सिंह को राष्ट्रपति डॉक्टर केआर नारायणन ने महावीर चक्र से नवाजा था। दिगेंद्र को इंडियन आर्मी को बेस्ट कोबरा कमांडो के रूप में भी जाना जाता है। साल 2005 में दिगेद्र सिंह सेना से रिटायर हो गए।

उरी हमले के बाद उन्‍होंने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि इस बार युद्ध हुआ तो वह लड़ने के लिए बॉर्डर पर जरूर जाएंगे और 100 को मारकर आएंगे। उनका कहा था कि जिस दिन युद्ध की घोषणा होगी, वह बिस्तर उठाकर अपनी बटालियन के पास चले जाएंगे। दिगेंद्र ने कहा कि अगर भारतीय सरकार या उनकी बटालियन आदेश नहीं देगी तो इसके लिए हर संभव कोशिश करेंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मुख्य क्रिकेट कोच फिल सिमन्स के पद को कोई खतरा नहीं : क्रिकेट वेस्टइंडीज