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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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कठिन समय में ना खोएं धैर्य, सकारात्मक रुख से बचाई जा सक‍ती है जिंदगी

कठिन समय में ना खोएं धैर्य, सकारात्मक रुख से बचाई जा सक‍ती है जिंदगी
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प्रीति सोनी

आज ही अखबार में खबर पढ़ी कि आर्थिक तंगी से परेशान एक परिवार ने खुद को खत्म कर लिया। पुरुष ट्रेन के आगे कूद गया, तो महिला ने बच्ची को फांसी लगाने के बाद खुद भी जान दे दी। क्या जरा भी अंदाजा लगाया जा सकता है, कि आर्थिक तंगी कितना बड़ा दंश हो सकती है किसी व्यक्ति या परिवार के लिए। ...ये वाकई दंश है और इस मामले में पीड़ित परिवार के लिए समाज का सहयोगात्मक रवैया बेहद मायने रखता है। 
 
दो ही चीजें हैं जो किसी परि‍स्थितियों का निर्धारण कर सकती हैं, एक तो खुद इंसान का आत्मविश्वास और परि‍स्थितियों के प्रति रवैया और दूसरा समाज का उसके प्रति नजरिया और रवैया। आर्थिक तंगी या गरीबी आज के वक्त में ऐसी घातक बीमारियां हैं, जो इंसान को अंदर से तो खाती ही हैं, सामाजिक रूप से भी कमजोर करती जाती हैं। ऐसी स्थिति में कई बार इंसान अपना धैर्य खोता है और कई बार हिम्मत जुटा कर फिर खड़ा होने की कोशिश करता है क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प भी नहीं होता। 
 
कई बार यहीं से इंसान की असल शक्ति का प्रस्फुटन होता है, जिससे वह खुद अंजान होता है। कई बार इन्हीं परि‍स्थितियों से गुजरते हुए लोग अपने वक्त के साथ-साथ नसीब भी बदल लेते हैं, या इसे यूं भी देख सकते हैं कि इन कठिन डगर से गुजरने के बाद ही इंसान अपने भाग्य के सबसे बेहतरीन अंश को पा जाता है। अपनी किस्मत चमका लेता है। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है इनर पावर और लक्ष्य के प्रति जुनून, जो इंसान को निम्नतर परिस्थितियों में बेचैन कर दे और इतना मजबूर भी, कि अब कुछ किए बिना दम नहीं लिया जाएगा। 
 
इतिहास से लेकर वर्तमान तक, ऐसे कई लोग खुद को मिसाल बना चुके हैं, जिनसे वाकई सीख लेने की जरूरत है कि बुरी परिस्थितियां धैर्य खोकर अवसाद में जाने के लिए नहीं बल्कि अपनी अंदरूनी क्षमताओं को पहचानकर फिर उठ खड़ा होने के लिए है, जो सब कुछ बदल सकती हैं। इसे परेशानी की बजाए अगर अवसर के रूप में देखा जाए, तो मन का उत्साह बना रहता है और ये आपको लक्ष्य तक पहुंचाकर ही रहेगा। 
 
जीवन बोझ या अंधकारमय कभी नहीं लगेगा अगर आपने अपने मन, कर्म और किस्मत के प्रति सकारात्मक रुख अख्तियार कर लिया हो। कई बार बुरा वक्त भी अच्छी किस्मत लिख कर जाता है, अगर आप उसका सामना करने के लिए तैयार हैं। लेकिन यहां समाज का रवैया भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समाज को यह समझने की अवश्यकता है कि जीवन कई परिस्थितियों का एक समूह है, और उतार चढ़ाव हर किसी के जीवन का अभिन्न अंग।

 
आज किसी के साथ जो हो रहा है कल हमारे साथ भी संभावित है। इसलिए अपनी सोच और व्यवहार में संतुलन बनाए रखना जरूरी है। हमारी यह जिम्मेदारी है, कि बुरे वक्त या आर्थित तंगी से जूझ रहे इंसान का अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक प्रताड़ना देने के बजाए उसे समझें और सहयोग करें। हो सकता है आपने कभी ऐसी परि‍स्थितियां नहीं देखी हों इसलिए आपको इनकी गंभीरता का एहसास न हो, लेकिन हमारी प्रतिक्रियाएं सदैव सकारात्मक होनी चाहिए।

कई बार आपका गलत और असहयोगात्मक रवैया सामने वाले का बचा-कुचा आत्मविश्वास भी खत्म कर देता है और वह खुद को कमतर व हीनभावना से ग्रस्त पाता है, बावजूद इसके कि विपरीत हालातों में उसका कोई हाथ नहीं।

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