यूनेस्को ने 8 जुलाई, 2017 को अहमदाबाद को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी घोषित कर दिया। अहमदाबाद की नींव 1411 ई. में अहमद शाह अब्दाली ने रखी थी। अहमदशाह अब्दाली के नाम पर ही इस शहर का नाम अहमदाबाद रखा गया। अहमदाबाद का इतिहास 600 साल पुराना है और इसे सर्वप्रथम असावल के निकट बसाया गया था।
अहमदाबाद को 'पूर्व के बोस्टन' के नाम से जाना जाता है। जब इस नगर की स्थापना हुई, तब अहमद शाह अब्दाली ने बाहर से जुलाहों, कारीगरों और कामगारों को लाकर बसाया। अहमदाबाद में कुल मिलाकर 70 ऐसी इमारतें हैं, जो ऐतिहासिक महत्व की हैं जिनमें से 27 इमारतें केंद्रीय पुरातत्व विभाग के पास हैं। जामा मस्जिद, तीन दरवाजा, भद्रा गेट और टॉवर, रानी की वाव, राजा की वाव, पुराने शहर की दीवार और 12 दरवाजे इत्यादि हैं, जो इस शहर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में शामिल करने के लिए काफी हैं।
6ठी शताब्दी से अहमदाबाद गुजरात की राजधानी रही है, जो कि किसी भी शहर के लिए गर्व का विषय होगा। आज का अहमदाबाद लगभग 55 लाख आबादी के साथ भारत के सर्वाधिक आबादी वाले शहरों में से एक है। अहमदाबाद 15वीं शताब्दी से ही अपने कपड़ों के कारोबार के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र से ज्यादा दूर न होने के कारण व्यापार की सही परिस्थिति होने से अहमदाबाद खूब फला-फूला।
यूनेस्को द्वारा अहमदाबाद को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है साबरमती नदी के किनारे बसाया गया शहर। यह शहर एक दीवार को बनाकर उसके अंदर बसाया गया था। इसमें लगभग 100 मोहल्ले थे। इस शहर के चारों ओर बनी दीवार के 12 दरवाजे हैं जिनका अस्तित्व आज भी उपस्थित है। एक अन्य कारण भी है, जो इसे हेरिटेज सिटी बनाने में मदद करता है, वह यह कि महात्मा गांधी ने यहां 30 लगभग वर्षों तक रहकर आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया।
वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनने के बाद अहमदाबाद 600 साल पुरानी सिटी के मामले में पेरिस, वियना, काहिरा, ब्रूसेल्स, रोम और इडनबर्ग के साथ शामिल हो गया। हेरिटेज सिटी की प्रबल दावेदार मुंबई और दिल्ली को पछाड़ते हुए अहमदाबाद ने यह खिताब हासिल किया। अहमदाबाद की ऐतिहासिक इमारतें हिन्दू-मुस्लिम कला की अद्वितीय नमूना हैं।