कभी गहरे उतरे हो… बहुत गहरे तक… उस पार… जैसे ‘रोलिंग इन द डीप’। कभी गहरे तक अंदर कुछ जला है… बहुत गहरे तक जैसे देअर इज़ फायर स्टार्टिंग इन माय हार्ट… तुम्हारे घावों ने कभी तुम्हें कुछ याद दिलाया है। कुरेदा है किसी रात में तुमने कुछ। कभी किसी बुखार ने तुम्हें अंधेरे से बाहर निकाला है। कभी बारिश को तुमने आग लगाई है?
नवंबर की शाम में एक ग्राउंड पर जब पहली बार ‘रोलिंग इन द डीप’ गाया जा रहा था तो नीदरलैंड की सारी जवानियां उस जगह एकत्र हो गई थीं। शाम के गहराते अंधेरे में वहां मौजूद हर आदमी एडेल की प्रेम कहानी को गा रहा था। उस शाम इस गीत का ईको जहां भी दूर तक गलियों में पहुंच रहा था वहां से गुजरता हुआ हर शख्स अपने कंधे उचका रहा था।
दूर कहीं नीदरलैंड की इमारतों की खिड़कियों में खड़ी और बाहर झांकती हुईं उदास औरतें भी उस रात ‘रोलिंग इन डीप’ का कोरस गा रही थीं। एडेल के लाल और नीली लाइट्स वाले स्टेज के सामने मौजूद ज़्यादातर लोग प्रेम में रहें होंगे, लेकिन उनके बीच बहुत सारे बे-दिल भी मौजूद थे। ठीक एडेल की तरह। अकेले और अपने प्यार को कोसते हुए, ताना मारते हुए।
एडेल प्यार में भी है और उस पर गुस्सा भी है जिसने उसे लंदन की सड़कों पर अकेला रोता हुआ छोड़ दिया था कभी। इसीलिए वो गाती हैं। समवन लाइक यू… Sometimes it lasts in love, But sometimes it hurts instead. और यहां सारे बे-दिल उसे इसीलिए सुनने के लिए आते हैं क्योंकि उन्हें एडेल के म्यूजिक में प्यार के रंज ओ ग़म का पूरा पैकेज मिलता है।
एडेल के गीतों में मोहम्मद रफी की तरह दुआएं नहीं हैं। वो प्रेमी से ब्रेकअप के बाद उसके लिए प्रार्थनाएं नहीं करती, उसे कोसती हैं। गाते हुए उसका बायां हाथ ज़्यादातर वक़्त उसके सीने पर होता है, फिर वो रोते हुए अपने दिल को थपथपाने लगती है। आई हियर्ड देट यू आर सैटल्ड डाऊन, देट यू फाउंड अ गर्ल एंड यू आर मैरिड नाऊ।
वो अकेले अपनी कामयाबी सेलिब्रेट करती हैं। अपने प्रेम का टूटना और उसकी बर्बादी भी अकेले ही मनाती हैं।
सबसे ग्रेसफुल यह है कि कई सालों बाद रॉयल अल्बर्ट हॉल में हजारों लोगों के सामने गाते हुए भी वो अपने दिल को संभाले रखना नहीं भूलती। बढ़ती हुई उम्र और बदलते वक्त में अपने दिल को बनाए रखना इस जमाने में बहुत पीछे छूट जाने की तरह है। लेकिन वो अब भी, कई सालों बाद अपने लंदन वाले अज्ञात प्रेमी के लिए रोते हुए ‘रोलिंग इन द डीप’ गाती हैं। टिश्यू पेपर से आंसूओं को पोंछती हैं और फिर मुस्कुराने लगती हैं।
29 नवंबर 2010 को जब ‘रोलिंग इन द डीप’ रीलिज हुआ तो बिलबोर्ड-100 और बिलबोर्ड-200 के चार्टबस्टर्ड में यह सॉन्ग टॉप पर था। ‘समवन लाइक यू’ भी सारे बेडरूम और बार में बजता था। ठीक 2010 के इसी नवंबर में मैं बसों में 70 और 80 के दशक का संगीत सुन रहा था। मेहदी और एनएफके को समझ रहा था। नौकरी कर रहा था।
5 मई 1988 की पैदाइश एडेल 2010 में बाईस साल की थीं। इस समय में और भी दूसरी लड़कियां बाईस या तेइस साल की उम्र की रहीं होगीं। प्रेम में भी होंगी। बहुत सारे ख़त लिखे गए होंगे, नसे काटीं गईं होगीं। फिर अलग भी हुईं होंगी। एडेल की ही तरह। लेकिन उन्हें एडेल की तरह रॉयल अल्बर्ट हॉल में टूटते हुए सितारों के बीच ग्लैमरस अकेलापन नसीब नहीं हुआ, वो सचमुच कहीं अकेली चुल्हों की आंच में अपनी प्रेम कहानियां जला रहीं होंगी। जैसे एडेल बारिशों को आग लगाती हैं।